Bihar Politics News: सीएम नीतीश अंदाज की कॉपी करते मिमिक्री, मजाक उड़ाना राजद एमएलसी सुनील सिंह पर भारी, जा सकती है विधान पार्षद सदस्यता!
By एस पी सिन्हा | Updated: July 25, 2024 17:52 IST2024-07-25T17:51:22+5:302024-07-25T17:52:12+5:30
Bihar Politics News RJD MLC: सुनील कुमार सिंह ने इसी साल 13 फरवरी को बजट सत्र के दौरान सदन के अंदर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अंदाज की कॉपी करते हुए मिमिक्री की थी।

file photo
पटनाः बिहार विधान परिषद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मिमिक्री करना राजद विधान पार्षद डॉ. सुनील कुमार सिंह पर भारी पड़ता दिख रहा है। विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने आज बड़ी कार्रवाई करते हुए विधान परिषद में विपक्ष के मुख्य सचेतक डा.सुनील कुमार सिंह की विधान परिषद की सदस्यता को रद्द करने की अनुशंसा कर दी है। वही इसी मामले में दूसरे विधान पार्षद डॉ. कारी सोहेब को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। दोनों विधान पार्षद को लेकर दिए अलग अलग फैसलों को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।
दरअसल, सुनील कुमार सिंह ने इसी साल 13 फरवरी को बजट सत्र के दौरान सदन के अंदर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अंदाज की कॉपी करते हुए मिमिक्री की थी। सदन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री का मिमिक्री कर मजाक उड़ाने के मामले में भीष्म साहनी की मांग पर जांच समिति बनाई गई थी। इस जांच समिति ने वीडियो की जांच के बाद आरोपों को सही माना।
जिसमें दोनों विधान पार्षदों को दोषी माना गया। समिति ने बताया कि घटनाक्रम के आरोपित दोनों सदस्यों के कृत्य और उसके घनत्व का आकलन किया जाए तो डाॅ मो. सोहैब के मुकाबले डा. सुनिल कुमार सिंह का कृत्य अधिक एक गंभीर है। वे बिहार विधान परिषद में पदधारक सदस्य हैं।
समिति ने बताया है कि विपक्ष के मुख्य सचेतक के नाते डा. सुनील कुमार विधायी जिम्मेदारी नीतियों, नियमों और सदन के संवैधानिक प्राधिकार के प्रति अधिक होनी चाहिए। किंतु अपने आचार और व्यवहार में इन्होंने इसका पालन नहीं किया। सदन में वेल में आकर असंयमित नारेबाजी करने, सदन को बाधित करने, आसन के निदेश की अवमानना करने, सदन-नेता के प्रति मानहानि-कारक अशिष्ट शब्दों का प्रयोग कर उन्हें अपमानित करने के इनके प्रयास से उच्च सदन की गरिमा को आघात पहुंचा है।
समिति का मानना है कि डॉ. सुनील कुमार सिंह ने सदन में अपने असंसदीय आचरण और अमर्यादित व्यवहार से सदन के सदस्य बने रहने की पात्रता खो दी है। बिहार विधान परिषद की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के नियम 290 की कंडिका 10 (घ) के अधीन समिति सर्वसम्मति/बहुमत से अनुशंसा की है।
समिति ने जांच करने के बाद अपनी फाइनल रिपोर्ट सभापति को भेज दी थी। तत्कालीन सभापति देवेशचंद्र ठाकुर ने इसपर निर्णय भी लिया था। लेकिन अब उनके जगह आए नए सभापति अवधेश नारायण सिंह ने निर्णय लेते हुए सदस्यता रद्द करने का आदेश दे दिया है।