बिहारः मंत्री के इस्तीफे की पेशकश से गरमाई सियासत, लालू बोले- अच्छी या बुरी सरकार छोड़िए, यहां तो सरकार ही नहीं
By एस पी सिन्हा | Published: July 2, 2021 03:26 PM2021-07-02T15:26:23+5:302021-07-02T15:30:39+5:30
बिहार में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी के इस्तीफे की पेशकश के बाद से सूबे की सियासत गरमा गई है। विपक्ष तो विपक्ष सरकार को अपने ही मंत्री और विधायकों की आलोचना सुननी पड़ रही है।
पटनाःबिहार में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी के इस्तीफे की पेशकश के बाद से सूबे की सियासत गरमा गई है। विपक्ष तो विपक्ष सरकार को अपने ही मंत्री और विधायकों की आलोचना सुननी पड़ रही है। सूबे में अफसरशाही के आरोप से घिरे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने एक बार फिर से तंज कसा है। दरअसल, जून के आखिरी हफ्ते में अलग-अलग विभागों में हुए तबादलों ने बवाल खड़ा कर दिया है। लालू यादव ने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य में अच्छी या बुरी की कौन कहे, सरकार नाम की चीज है ही नहीं।
उन्होंने कहा है कि ’थर्ड डिवीजन’ से पास करने का नतीजा यही होता है। लोक मर्यादा और जनादेश को ताक पर रखकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नीतीश कुमार भले ही बैठ गए हों, लेकिन अब रिजल्ट सामने आ रहा है। हर तरफ इसी के चर्चे हो रहे हैं। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि, 'गिरते-पडते, रेंगते-लेटते, धन बल-प्रशासनिक छल के बलबूते जैसे-तैसे थर्ड डिविजन प्राप्त 40 सीट वाला जब नैतिकता, लोक मर्यादा और जनादेश को ताक पर रखकर मुख्यमंत्री बनता है तब ऐसा होना स्वाभाविक है।'
गिरते-पड़ते, रेंगते-लेटते, धन बल-प्रशासनिक छल के बलबूते जैसे-तैसे थर्ड डिविज़न प्राप्त 40 सीट वाला जब नैतिकता, लोक मर्यादा और जनादेश को ताक पर रखकर मुख्यमंत्री बनता है तब ऐसा होना स्वाभाविक है।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) July 2, 2021
Forget about good or bad, there is No governance at all in Bihar. pic.twitter.com/tEwzgbnAmG
इसके साथ ही लालू यादव ने यह भी कहा है कि बिहार में अच्छी और बुरी सरकार की बात तो छोड दीजिए, यहां तो सरकार नाम की चीज ही नहीं है। दरअसल, लालू यादव ने अपने ट्वीट के साथ मंत्री मदन सहनी के बयान वाली उस मीडिया रिपोर्ट को भी साझा किया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि चंद अफसरों की सरकार में चलती है मंत्री और विधायक की कोई नहीं सुनता।
मांझी भी सहनी के समर्थन में आए
उधर, हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने भी मदन सहनी का समर्थन किया है। मांझी का भी कहना है कि अफसर मंत्री-विधायक की बात तो सुनते ही नहीं हैं। साथ ही उनका कहना था कि, सरकार के करीब 25 फीसदी ऐसे अफसर हैं, जो जनप्रतिनिधियों की बातों को एकदम ही नहीं सुनते।
सहनी ने की थी इस्तीफे की पेशकश
यहां बता दें कि गुरुवार को नीतीश सरकार में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने इस्तीफे की पेशकश की थी। मदन सहनी ने कहा था कि उनके विभाग में अधिकारियों का राज चल रहा है और अब उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा। मदन सहनी ने अपने विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद पर गंभीर आरोप लगाए थे। मंत्री मदन सहनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद ने पूरे विभाग को चौपट कर दिया है। विभाग में कोई काम नहीं हो रहा है। ट्रांसफर पोस्टिंग में मंत्री की नहीं सुनी जा रही है। प्रधान सचिव चार सालों से विभाग में जमे हैं। प्रधान सचिव बतायें कि उन्होंने क्या किया? विभाग के कई अहम पदों पर सालों से एक ही अधिकारी जमे हुए हैं। उनके कारण सही तरीके से काम नहीं हो पा रहा है।
चौपट हो गया विभाग-सहनी
मदन सहनी ने कहा कि प्रधान सचिव मंत्री की बात ही नहीं सुनते। प्रधान सचिव के रवैये को लेकर उन्होंने ऊपर भी शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई। पूरा समाज कल्याण विभाग चौपट हो गया है। इसलिए उनके पास इस्तीफा देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। जानकारों की मानें तो सारा मामला ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़ा है। जून के महीने में विभागों को अपने स्तर पर ट्रांसफर करने की छूट होती है। समाज कल्याण विभाग के सूत्रों के मुताबिक मंत्री मदन सहनी ने नियमों को ताक पर रख कर ट्रांसफर करने की कवायद शुरू की थी, लेकिन प्रधान सचिव ने नियम विरूद्ध ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया था। मंत्री औऱ सचिव की लड़ाई में विभाग में ट्रांसफर ही नहीं हो पाया।