मुसीबत में पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. मेवालाल चौधरी, कुलपति ने अभियोजन चलाने के लिए मांगी राजभवन से अनुमति
By एस पी सिन्हा | Published: November 23, 2020 07:08 PM2020-11-23T19:08:06+5:302020-11-23T21:06:05+5:30
राजद ने नीतीश कुमार की सरकार पर हमले किये हैं. राजद ने एक बार फिर सवाल किया है कि आपके नवरत्नों में अपराधी और भ्रष्टाचारी ही क्यों है और इनके मंत्रियों को भ्रष्टाचार बड़ी बात क्यों नहीं लगती है?
पटनाः बिहार में नीतीश सरकार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में कुछ घंटों के लिए शिक्षा मंत्री बन इस्तीफा देने वाले तारापुर के विधायक और बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के पूर्व कुलपति डॉ. मेवालाल चौधरी की मुश्किलें बढ़ने वाली है.
इसी बीच राजद ने नीतीश कुमार की सरकार पर हमले किये हैं. राजद ने एक बार फिर सवाल किया है कि आपके नवरत्नों में अपराधी और भ्रष्टाचारी ही क्यों है और इनके मंत्रियों को भ्रष्टाचार बड़ी बात क्यों नहीं लगती है? दरअसल, बीएयू में सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति घोटाले में मुख्य आरोपी मेवालाल के मामले में भागलपुर के एसएसपी आशीष भारती ने अभियोजन स्वीकृति के लिए बीएयू के कुलपति को पत्र लिखा है. इसके बाद कुलपति डॉ. एके सिंह ने राजभवन से निर्देश लेने के साथ ही कानूनी विशेषज्ञों से राय लेने की तैयारी शुरू कर दी है.
इसके साथ ही पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. मेवालाल चौधरी से जुडे़ भ्रष्टाचार के मामले में कुलपति ने राजभवन से राय भी मांगी है. कारण कि कोर्ट में आरोप पत्र समर्पित करने के लिए अभियोजन स्वीकृति आवश्यक है. इसी सिलसिले में एसएसपी ने डॉ. मेवालाल और बीएयू के तत्कालीन सहायक निदेशक डॉ. एमके वाधवानी के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के आदेश की मांग की है. कुलपति डॉ. सिंह ने कहा कि मामले में कानून विशेषज्ञों से राय लेने व राजभवन से निर्देश के बाद ही वह कोई कदम उठाएंगे.
पत्र को लेकर बीएयू के अधिकारियों के बीच काफी चर्चा है
वहीं, इस पत्र को लेकर बीएयू के अधिकारियों के बीच काफी चर्चा है. अधिवक्ता अमिताभ कुमार ने बताया कि अनुसंधान के दौरान पूर्व वीसी के विरुद्ध प्रथमदृष्टया अपराध साबित हो गया है. इसके लिए अभियोजन स्वीकृति के लिए लिखा गया है. स्वीकृति मिलते ही भागलपुर पुलिस चार्टशीट दायर करेगी. इसके बाद मामले में ट्रायल चलेगा.
वरीय अधिवक्ता ने बताया कि कुलपति को कुलाधिपति से अभियोजन स्वीकृति का आदेश लेना होगा. कुलाधिपति के आदेश के बाद ही पुलिस चार्टशीट दायर कर सकेगी. इसके बाद निगरानी कोर्ट में ट्रायल चलेगा. इस मामले में हाईकोर्ट से दोनों अभियुक्त जमानत पर हैं. इसलिए अब कोर्ट में ही ट्रायल चलेगा.
यहां बता दें कि जुलाई 2011 में 161 कनीय वैज्ञानिक सह सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति का विज्ञापन निकला था. विज्ञापन के आधार पर अगस्त 2011 में साक्षात्कार और सितंबर में योगदान कराया गया था. 2015 में आरटीआई में साक्षात्कार के अंक की मांग की गई. साक्षात्कार में असफल प्रतिभागियों ने अंक में हेराफेरी का आरोप लगाया.
मामला राजभवन पहुंचा. राजभवन के आदेश पर सेवानिवृत्त न्यायामूर्ति ने नियुक्ति में गडबडी की जांच कर रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में तत्कालीन कुलपति और चयन समिति के अध्यक्ष डॉ. मेवालाल चौधरी को नियुक्ति में अनियमितता का दोषी पाया गया. इसी आधार पर राजभवन ने डॉ. मेवालाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया था. इसके बाद रजिस्ट्रार अशोक कुमार ने 21 फरवरी 2017 को सबौर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.