बिहार में शराबबंदीः एसपी राकेश कुमार सिन्हा का पत्र वायरल, लिखा-उत्पाद विभाग के इंस्पेक्टर, दरोगा और सिपाही तक शराब के धंधे में लिप्त हैं...
By एस पी सिन्हा | Published: January 20, 2021 03:41 PM2021-01-20T15:41:10+5:302021-01-20T19:59:09+5:30
बिहार में एसपी मद्य निषेध के द्वारा लिखी गयी चिट्ठी ने शराबबंदी का पोल खोल दिया है, जिसमे यह कहा गया है कि उत्पाद अफसरों की मिलीभगत से पूरे प्रदेश में शराब का अवैध धंधा जोर शोर से चल रहा है.
पटनाः बिहार में शराबबंदी के बावजूद शराब माफिया का बड़ा खेल चल रहा है. हैरत की बात यह है कि इस खेल में पुलिस मुख्यालय की भूमिका पर भी सवाल खड़े होता नजर आ रहा है.
हालांकि बिहार में शराबबंदी को लेकर सरकार की तरफ से लगातार दावे किए जाते हैं. लेकिन शराबबंदी के बावजूद पूरे राज्य में शराब का जप्त होना और उसके धंधे का चोखा होना यह साबित करता है कि शराबबंदी को जिन पर लागू करवाने की जिम्मेदारी है कहीं ना कहीं उनकी संलिप्तता की वजह से यह पूरी तरह सफल नहीं है.
माफिया के साथ जनप्रतिनिधियों की सांठगांठ...
बिहार में एसपी मद्य निषेध के द्वारा लिखी गयी चिट्ठी ने शराबबंदी का पोल खोल दिया है, जिसमे यह कहा गया है कि उत्पाद अफसरों की मिलीभगत से पूरे प्रदेश में शराब का अवैध धंधा जोर शोर से चल रहा है. मद्य निषेध एसपी रहते हुए राकेश कुमार सिन्हा ने राज्य के सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को पत्र लिखा था. इस पत्र में उन्होंने उत्पाद विभाग से जुडे़ अधिकारियों और उनके परिजनों की संपत्ति की जांच कराने को कहा था साथ ही साथ शराब माफिया के साथ जनप्रतिनिधियों की सांठगांठ को लेकर भी उन्होंने सवाल खडे़ किए थे.
पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया
सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखे जाने के बाद राकेश कुमार सिन्हा का तबादला कर दिया गया. 6 जनवरी को राकेश कुमार सिन्हा ने यह पत्र लिखा और 19 जनवरी को उनका स्थानांतरण स्पेशल ब्रांच में कर दिया गया. एसपी मद्य निषेध ने उत्पाद विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर ही सवाल खड़ा करते हुए चिट्ठी लिखकर उत्पाद विभाग के इंस्पेक्टर, दरोगा और सिपाही के शराब के अवैध धंधे में सम्मिलित होने का आरोप लगाते हुए इनके और रिश्तेदारों की संपत्ति की जांच करने को कहा है. अब यह पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया है.
एसपी मद्य निषेध द्वारा लिखे गए पत्र में शराब के अवैध धंधे में उत्पाद अफसरों की मिलीभगत होने का खुल्लम खुल्ला आरोप लगाया गया है. इसी के तहत उसमें लिखा गया है कि उत्पाद विभाग के इंस्पेक्टर दरोगा और सिपाही शराबबंदी को असफल करने में लगे हुए हैं. अवैध धंधे से इन लोगों ने अकूत संपत्ति कमाई है इन लोगों के द्वारा शराबबंदी कानून का मजाक बना दिया गया है.
परिवार के सदस्यों के मोबाइल लोकेशन की भी जांच करने को कहा
चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि उन्होंने विगत वर्षों से उत्पाद विभाग में कार्यरत इंस्पेक्टर दरोगा सिपाही के साथ उनके रिश्तेदारों की चल अचल संपत्ति की जांच करने के साथ परिवार के सदस्यों के मोबाइल लोकेशन की भी जांच करने को कहा है.
सूत्रों की माने तो शराबबंदी को लेकर लिखा गया एसपी मद्य निषेध के द्वारा यह पत्र आम लोगों की शिकायत के बाद उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है. इस चिट्ठी से प्रशासनिक महकमे में हडकंप मचा हुआ है. इस पत्र ने सियासी गलियारे में भी हडकंप मचा कर रख दिया है.
राकेश कुमार सिन्हा की तरफ से जारी किए गए उस आदेश को रद्द कर दिया
इस पत्र से मचे हड़कंप के बाद पुलिस मुख्यालय ने पटना के मध निषेध एसपी रहते राकेश कुमार सिन्हा की तरफ से जारी किए गए उस आदेश को रद्द कर दिया है. बिहार पुलिस मुख्यालय की तरफ से सभी एसएसपी और एसपी को बजाप्ता है, इसके लिए आदेश जारी किया गया है. इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 6 जनवरी को जारी आदेश को निरस्त किया जाता है.
एसपी राकेश कुमार सिन्हा के तबादले के बाद मंगलवार को यह आदेश जारी किया गया है. अब ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर आला पुलिस अधिकारी या सरकार उत्पाद विभाग के अधिकारियों की संपत्ति जांच और शराब माफिया के साथ उनकी संलिप्तता की भूमिका की जांच कराने से क्यों भाग रहे हैं? जानकारों की अगर मानें तो बिहार में शराबबंदी की आड़ में करोड़ों रुपये धंधे का खेल चल रहा है और शायद ही कोई थानेदार और पुलिसकर्मी ऐसा हो जो इसमें संलिप्त नही हो.