बिहार: कोरोना महामारी के बीच पटना एम्स के डॉक्टर करेंगे हड़ताल, सूबे में संक्रमितों का आंकड़ा 83 हजार के करीब
By एस पी सिन्हा | Published: August 10, 2020 09:03 PM2020-08-10T21:03:04+5:302020-08-10T21:18:22+5:30
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि अगर 13 अगस्त ये फैसला वापस नहीं लिया गया और उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह 14 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे.
पटना: एम्स के डॉक्टरों को राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज में तैनात किये जाने के सरकार के फैसले को लेकर पटनाएम्स के रेजिडेंट डॉक्टर आरपार के मूड में आ गए हैं. कोरोना संकट के बीच पटना एम्स के डॉक्टरों ने 14 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है. ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस पटना के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एम्स प्रबंधन को इस बारे में जानकारी दे दी है. रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने अपनी पुरानी मांगों को लेकर 13 अगस्त तक फैसला लेने को कहा है.
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि अगर 13 अगस्त ये फैसला वापस नहीं लिया गया और उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह 14 अगस्त से अनिश्चितकालीन हडताल पर चले जाएंगे. डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि उन्हें कोरोना महामारी की स्थिति और इसकी भयावहता के बारे में अच्छी तरह से अनुभव है.
बिहार के डॉक्टर बिहार सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं
बता दें कि डॉक्टरों ने कहा है कि कोरोना वारियर्स के तौर पर उन्होंने फ्रंटलाइन में लगातार 24 घंटे काम किया है. लेकिन उनकी तैनाती को लेकर जो नया फैसला लिया गया है, वह कतई मंजूर नहीं है. एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स अस्पताल प्रशासन के उस फैसले का विरोध कर रहे हैं जिसमें यह कहा गया है कि एम्स के डॉक्टरों को राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज में तैनात किया जा सकता है.
एसोसिएशन को डॉक्टरों की पोस्टिंग के मामले में कई फसलों पर ऐतराज है और लिहाजा उन्होंने इसे वापस लेने की मांग एम्स डायरेक्टर के सामने रख दी है. एसोसिएशन को डॉक्टरों की पोस्टिंग के साथ साथ और भी कई फैसलों को लेकर नाराजगी है. अब ऐसे में अगर एम्स प्रशासन रेजिडेंट डॉक्टर की मांग नहीं मानता है तो 14 अगस्त से पटना एम्स में इलाज मुश्किल हो जाएगा. उल्लेखनीय है कि पटना एम्स को सरकार ने कोविड अस्पताल के तौर पर घोषित कर रखा है. अगर यहां स्ट्राइक हुई तो मरीजों को इसका खामियाजा उठाना पडेगा.
राज्य में अब तक कुल संक्रमितों की संख्या 82,741 हो गई-
इस बीच, राज्य में आज 3021 नए कोरोना संक्रमितों की पहचान की गई है. इस तरह राज्य में अब तक कुल संक्रमितों की संख्या 82,741 हो गई है. पटना में 402, बेगूसराय में 171, बक्सर में 169, पूर्वी चंपारण में 141, मुजफ्फरपुर में 114, समस्तीपुर में 116, सारण में 113, वैशाली में 149 और पश्चिमी चंपारण में 108 नए संक्रमित मिले हैं.
जबकि अररिया में 36, अरवल में 24, औरंगाबाद में 45, बांका में 39, बेगूसराय में 171, भागलपुर में 74, भोजपुर में 83, बक्सर में 169, दरभंगा में 45, गया में 92, पूर्वी चंपारण में 141, गोपालगंज में 64, जमुई में 17, जहानाबाद में 97, कैमूर में 21, कटिहार में 14, खगडिया में 66, किशनगंज में 54, लखीसराय में 14, मधेपुरा में 25, मधुबनी में 61, मुंगेर में 64, मुजफ्फरपुर में 114, नालंदा में 93, नवादा में 18, पटना में 402, पूर्णिया में 67, रोहतास में 87, सहरसा में 96, समस्तीपुर में 116, सारण में 113, शेखपुरा में 70, शिवहर में 19, सीतामढी में 26, सीवान में 56, सुपौल में 67, वैशाली में 149 और पश्चिमी चंपारण में 108 नए संक्रमित मिले हैं.
अस्पतालों में कोरोना के मरीजों और उनके अटेंडेंट को अपनी कलाई में लगाना होगा हैंड बैंड-
वहीं, बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में कोरोना के मरीजों और उनके अटेंडेंट को अपनी कलाई में हैंड बैंड लगाना होगा. दोनों के हैंड बैंड के रंग अलग-अलग होंगे, ताकि कोरोना संक्रमित और अस्पताल में मौजूद रहने वाले उनके अटेंडेंट के बीच अंतर पता चल सके.
स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यह कदम उठाने का निर्णय लिया है. विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल और नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से इसकी शुरुआत की जाएगी. बताया जाता है कि अस्पताल प्रशासन द्वारा कोरोना संक्रमितों और उनके परिजन जो अस्पताल में रहते हों उन्हें ये हैंड बैंड उपलब्ध कराए जाएंगे.
इससे अस्पताल में अन्य रोगों के इलाज के लिए आने वाले मरीजों के बीच भी अंतर किया जा सकेगा. उन्हें कोविड वार्ड की ओर जाने से रोका जाएगा. अस्पताल को संक्रमण से मुक्त रखने की दिशा में ये कवायद की जा रही है.