बिहार: नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनने को राजी तो हो गए हैं, लेकिन गहरा गए ये सवाल
By प्रदीप द्विवेदी | Published: November 15, 2020 10:04 PM2020-11-15T22:04:36+5:302020-11-15T22:07:37+5:30
जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का नेता चुन लिया गया जिससे उनके एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया।
बिहार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनने को राजी तो हो गए हैं, लेकिन कई किन्तु-परन्तु के सवाल गहरा गए हैं. खबरें हैं कि जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार को रविवार को एनडीए का नेता चुन लिया गया, जिसके बाद नीतीश कुमार का एक बार फिर बिहार का मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है. लेकिन, दिलचस्प बात यह है कि विधानमंडल दल के नेता चुने जाने के बाद नीतीश कुमार का कहना था कि- मैं मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहता था, लेकिन बीजेपी के नेताओं के आग्रह और निर्देश के बाद मैंने मुख्यमंत्री बनना स्वीकार किया. मैं तो चाहता था कि मुख्यमंत्री बीजेपी का बने.
नीतीश कुमार के इस बयान के बाद सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है और कई प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं.
सबसे बड़ा सवाल सत्ता की हिस्सेदारी को लेकर है कि यदि बीजेपी के कहने पर नीतीश कुमार सीएम बन रहे हैं, तो क्या ढाई-ढाई वर्ष के कार्यकाल पर कोई सियासी समझौता हुआ है.
यदि नीतीश कुमार सीएम नहीं बनते तो जहां एक ओर बीजेपी की सियासी बदनामी होती, क्योंकि पीएम मोदी एकाधिक बार कह चुके थे कि सीएम नीतीश कुमार ही होंगे, वहीं बीजेपी में सीएम का कोई सशक्त चेहरा भी अभी सामने नहीं है.
उधर, सुशील मोदी ने तारकिशोर प्रसाद को उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने की जानकारी मिलते ही ट्वीट किया- भाजपा एवं संघ परिवार ने मुझे 40 वर्षों के राजनीतिक जीवन में इतना दिया कि शायद किसी दूसरे को नहीं मिला होगा, आगे भी जो जिम्मेदारी मिलेगी उसका निर्वहन करूंगा, कार्यकर्ता का पद तो कोई छीन नहीं सकता.
सवाल यह भी है कि क्या लंबे समय तक उप-मुख्यमंत्री रहने वाले सुशील मोदी की भूमिका भी बदली जा रही है. शायद, बीजेपी बिहार में आक्रामक नेतृत्व चाहती है, जो तेजस्वी यादव को टक्कर दे सके.
ऐसा माना जा रहा नीतीश कुमार और सुशील मोदी जैसी सुसभ्य सियासत समाप्त होती जा रही है, प्रचलन से बाहर होती जा रही है. लिहाजा, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बिहार की ताजा गर्म सियासत ठंडी होने के बाद सत्ता का नया समीकरण सामने आएगा, तब यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार और सुशील मोदी की क्या भूमिका रहती है?