पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच पिछले दिनों सचिवालय में हुई गुफ्तगू के बाद सियासत गर्मा गई है। हालांकि इस बीच शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सफाई देनी पडी है। लेकिन दोनों के बीच हुई मुलाकातों ने नए अटकलों को जन्म देना शुरू कर दिया है। इसके पहले पीएम मोदी को भी उन्होंने आश्वासन दिया था कि अब वो कहीं नहीं जाएंगे। उल्लेखनीय है कि जब नीतीश कुमार पलटी मारने वाले होते हैं, तब पूरी तरह से इस तरह की बातों को नकारते रहते हैं। वह कहते हैं कि क्या फालतू की बात करते रहते हैं। हम यही हैं और अब कभी भी इधर-उधर नहीं करेंगे।
लेकिन कुछ दिनों बाद ही सियासी हलचल बढ़ जाती है और पलटी का खेल हो जाता है। ऐसे में ये मुलाकात ढेर सारे सवालों के साथ घिर गए हैं। तेजस्वी यादव के साथ नीतीश कुमार की मुलाकात सूचना आयुक्त की नियुक्ति को लेकर थी। लेकिन उसके बाद भी दोनों के बीच करीब आधे घंटे तक मुलाकात चली। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पलटी मारने की नींव पड़ चुकी है। दीवार तैयार करना बाकी है।
वह भी कुछ दिनों में शायद हो जाए। सियासत के जानकारों अनुसार देश की सियासत में जो इस वक्त चल रहा है, उससे नीतीश कुमार बेहद असहज महसूस कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार इस बार राजद से बातचीत के लिए दो नेता लगे हुए हैं। जबकि तेजस्वी यादव की तरफ से एक बड़े नेता के द्वारा सेतु का काम किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार दोनों दलों के बीच एक दो राउंड की बातचीत हुई भी है। पटना से दिल्ली तक सेतु बनाने का काम जारी है। इस बीच सिंगापुर से लौटते ही राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने सभी सांसदों एवं विधायकों को अचानक तलब कर एक बैठक भी की है। लेकिन सांसदों को क्या संदेश दिया गया, इसकी कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
सियासी जानकारों की मानें तो वक्फ बोर्ड बिल और गौरक्षा के नाम पर हो रही सियासत से नीतीश कुमार खुश नजर नहीं आ रहे हैं। इस बीच प्रशांत किशोर के द्वारा भी अल्पसंख्यकों पर डोरे डाले जाने से वोटों के बिखराव की संभावना को देखते हुए नीतीश कुमार धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ आना मुनासिब समझने लगे हैं। ऐसे में यह संभावना जताई जाने लगी है कि सियासत के पक्के खिलाड़ी नीतीश कुमार किसी भी पल पल्टी मार दे सकते हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपनी सफाई पेश करनी शुरू कर दी है।