बिहार एनडीए में रार, जीतनराम मांझी के बाद मुकेश सहनी ने बढ़ाई टेंशन, राजद प्रमुख लालू यादव से बात, कहा-इसे पर्दे में ही रहने दीजिए
By एस पी सिन्हा | Published: June 12, 2021 09:24 PM2021-06-12T21:24:21+5:302021-06-12T21:26:14+5:30
बिहार एनडीए की सरकार बनने के बाद से ही सरकार में शामिल चारों घटक दल- भाजपा, जदयू, हम और वीआइपी के बीच कुछ न कुछ खटपट की खबर लगातार मीडिया में सुर्खियां बनती रही हैं।
पटनाः बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए नेताओं के बीच खटपट चल रही है। एनडीए नेता एक के बाद एक वार-पलटवार कर रहे हैं। सरकार की सहयोगी पार्टियां अपने रुख से अटकलों का बाजार गर्म कर दे रहे हैं।
हाल ही में हम प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने दलित-अल्पसंख्यक के मुद्दे पर भाजपा को नसीहत दी थी, जिसपर भाजपा ने भी पलटवार किया था। अब वीआईपी पार्टी के प्रमुख व नीतीश सरकार में मंत्री मुकेश सहनी ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से फोन पर बातचीत कर बिहार की सियासत को गर्मा दी है।
19 लाख के रोजगार पर काम करने की सलाह दी
मुकेश सहनी के इस गतिविधि से एनडीए की टेंशन बढ़ गई है। दरअसल, मुकेश सहनी ने लालू यादव से बातचीत के बाद सवाल करने पर कहा कि इसे पर्दे में ही रहने दीजिए। यह कहकर उन्होंने एनडीए में हलचल मचा दी है। इसके साथ ही सहनी ने बिना नाम लिए भाजपा नेताओं को अनावश्यक बयानबाजी की बजाय जनता से किए 19 लाख के रोजगार पर काम करने की सलाह दी है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'एनडीए गठबंधन के साथीगणों से अनुरोध है कि अनावश्यक बयानबाजी से बचें एवं हम सब मिलकर बिहार की जनता से किए गए 19 लाख रोजगार के वादे पर काम करें।' वीआईपी नेता ने कहा कि बहुत से नेता अलग-अलग मुद्दों पर बयान दे रहे हैं, जो सही नहीं है। हमने जनता से 19 लाख रोजगार देने का वादा किया है, इसलिए वादे के अनुसार हमें उसपर ध्यान देना चाहिए। यदि किसी साथी को ये वादा याद नहीं है तो उन्हें इसे याद दिलाना कोई बड़ी बात नहीं है।
सहनी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा
वहीं, सहनी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा है, जिसमें जनप्रतिनिधियों को पूर्व की भांति ऐच्छिक कोष की धनराशि खर्च करने की शक्ति प्रदान किए जाने की अपील की है, इससे पहले भी मुकेश सहनी ने बांका में हुए बम विस्फोट को लेकर भाजपा को लेकर नसीहत दे डाली। उन्होंने बांका की घटना पर कहा कि यह जांच का विषय है।
जांच एजेंसी पहले घटना की जांच कर ले फिर हमें उसपर प्रतिक्रिया देनी चाहिए. यहां बता दें कि इससे पहले तेजप्रताप यादव ने भी जीतन राम मांझी से मुलाकात की थी, जिस पर भी कई तरह के कयास लगाये जा रहे थे। हालांकि, जब वे मीडिया से मुखातिब हुए तब दोनों ने किसी भी तरह की राजनीतिक चर्चा होने से इनकार कर दिया था।
महागठबंधन के दरवाजे आपके लिए खुले
लालू के 74वें जन्मदिन के बहाने जीतन राम मांझी और लालू की फोन पर बंद कमरे में बात हुई थी। वैसे, तेज प्रताप यादव से पूछा गया था तो उनका सीधा-सीधा कहना था कि मैंने मांझी जी को कहा- मन डोल रहा है तो आ जाइए, महागठबंधन के दरवाजे आपके लिए खुले हैं।
गौरतलब है कि राज्य में एनडीए की सरकार बनने के बाद से ही सरकार में शामिल चारों घटक दल- भाजपा, जदयू, हम और वीआइपी के बीच कुछ न कुछ खटपट की खबर लगातार मीडिया में सुर्खियां बनती रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी खूब बयानबाजी होती है। इन ताजा घटना क्रमों के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि डोरे डालनेवाले सफल नहीं होंगे. साथ ही एनडीए के नेताओं को सार्वजनकि बयानबाजी के बजाय आंतरिक फोरम पर अपनी बात रखने की नसीहत दी है।
उन्होंने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी एनडीए के वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए किसी जन-प्रतिनिधि की उनसे शिष्टाचार भेंट का राजनीतिक मायने निकालने की जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए। जीतन राम मांझी किसी एक जाति के नहीं, बल्कि बिहार में दलितों के सर्वमान्य नेता हैं। मांझी ने राजद का कुशासन भी देखा है, किसी को मांझी से जबर्दस्ती मिलवा देने से कई फर्क नहीं पड़ता। एनडीए अटूट है, सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। किसी को मुगालते में नहीं रहना चाहिए।