बिहार में एक और 'आंखफोड़वा कांड'! अस्पताल हुआ सील, डॉक्टरों पर FIR से आईएमए नाराज
By एस पी सिन्हा | Published: December 4, 2021 06:33 PM2021-12-04T18:33:13+5:302021-12-04T18:35:13+5:30
मुजफ्फरपुर के इस अस्पताल में पिछल कुछ दिनों में 65 लोगो के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था. इसमें लगभग सभी मरीजो की आंखे खराब होने लगी और उनकी आंखों की रोशनी जाने लगी.
पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर में हुए चर्चित 'आंखफोड़वा कांड' में बडी कार्रवाई करते हुए आई हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर, अस्पताल का कार्यालय, सचिव कक्ष और दवाखाना कक्ष को सील कर दिया गया है. पुलिस और मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में शनिवार दोपहर यह कार्रवाई की गई.
बता दें कि बीते दिनों इस अस्पताल में 65 लोगो के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था. इसमें लगभग सभी मरीजो की आंखे खराब होने लगी और उनकी आंखों की रोशनी जाने लगी. इसके बाद अब तक 17 लोगो की आंखे निकाली जा चुकी है.
मामला प्रकाश में आने के बाद सिविल सर्जन के द्वारा डॉक्टर एनडी साहू, डॉक्टर समीक्षा सहित चार डॉक्टर एवं पांच पारा मेडिकल स्टाफ पर प्राथमिकी दर्ज कराया गया है. मुजफ्फरपुर आई हॉस्पीटल की इस करतूत पर देश भर में सनसनी फैल गई और इसे 'आंखफोड़वा कांड' बताया जा रहा है.
पुलिस कर रही पूरे मामले की जांच
डीएसपी ने बताया कि उपर के निर्देश के अनुसार इसे सील कर दिया गया है. आगे की कार्रवाई की जा रही है. हॉस्पीटल संचालक और डॉक्टर पर दर्ज के सम्बंध में रामनरेश पासवान ने बताया कि नियम संगत कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि प्राथमिकी में तर्कसंगत और कानून सम्मत धाराएं लगाई गई हैं. इसी अनुसार पुलिस जांच कर रही है.
डॉक्टरों पर कार्रवाई का IMA ने किया विरोध
इस मामले में चार डॉक्टरों पर हुए प्राथमिकी का विरोध इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की तरफ से किया गया है. एसोसिएशन का कहना है कि यह प्राथमिकी सिर्फ इसलिए की गई है, ताकि मामले में जनता के विरोध को कम किया जा सके. एसोसिएशन की बिहार शाखा के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार और सचिव
डॉ सुनील कुमार ने मुजफ्फरपुर कांड को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है लेकिन उन्होंने डॉक्टरों पर हुए प्राथमिकी पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए बताया कि इससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण जांच कमेटी की जांच रिपोर्ट आए बिना नेत्र चिकित्सकों का प्राथमिकी में उल्लेख किया जाना है.
आईएमए का क्या है तर्क
आईएमए की तरफ से बात करते हुए दोनों डॉक्टर ने बताया कि मुजफ्फरपुर आंख अस्पताल से अल्पकालिक रूप से संबंधित डॉक्टर साहू और अन्य नेत्र चिकित्सक आंखों के ऑपरेशन के लिए योग्यता प्राप्त हैं. उन्हें अनगिनत ऑपरेशन का अनुभव है. आईएमए का कहना है कि मरीजों की आंखे लापरवाही के कारण नहीं, बल्कि संक्रमण के कारण गई हैं.
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों पर की गई कार्रवाई का बुरा परिणाम सरकार के अंधापन निवारण कार्यक्रम पर पड़ सकता है. आईएमए बिहार और बिहार ऑफथैलेमिक सोसायटी द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय जांच दल इस पूरी घटना की जांच करेगा. आईएमए ने सरकार से आग्रह किया है कि अपूर्ण जांच और सभी पक्षों को सुने बिना कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए.