राज्यसभा के लिए राजद की ओर से मीसा भारती और फैयाज अहमद ने भरा पर्चा, जेडीयू में संशय बरकरार
By एस पी सिन्हा | Published: May 27, 2022 06:13 PM2022-05-27T18:13:28+5:302022-05-27T18:15:55+5:30
इस मौके पर लंबे अरसे के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी विधानसभा पहुंचे। दोनों के नामांकन के लिए पूरा लालू परिवार साथ विधानसभा पहुंचा। तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव इस दौरान लालू प्रसाद यादव के साथ रहे।
पटना: बिहार से राज्यसभा की 5 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए राजद की ओर से आज मीसा भारती और फैयाज अहमद ने अपना नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर लंबे अरसे के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी विधानसभा पहुंचे। दोनों के नामांकन के लिए पूरा लालू परिवार साथ विधानसभा पहुंचा। तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव इस दौरान लालू प्रसाद यादव के साथ रहे।
विधानसभा के सचिव और निर्वाचित पदाधिकारी शैलेंद्र सिंह के समक्ष दोनों प्रत्याशियों ने चार-चार सेट में पर्चा भरा। दोनों प्रत्याशियों के लिए राजद को वाम दल का भी समर्थन प्राप्त है। मीसा भारती अभी राज्यसभा की सदस्य हैं। उनका कार्यकाल सात जुलाई को पूरा हो रहा है। लालू यादव ने मीसा भारती को फिर एकबार राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है।
मीसा भारती लोकसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं। लेकिन उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा के रामकृपाल यादव ने मीसा भारती को हराया था। वहीं दूसरे उम्मीदवार के लिए इस बार पार्टी प्रमुख ने मधुबनी में मेडिकल कॉलेज चलाने वाले डॉ फैयाज अहमद को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस तरह से मीसा भारती ने तीसरी बार, तो वहीं फैयाज ने पहली बार राज्यसभा के लिए नामांकन किया।
मीसा और फैयाज के निर्वाचन होने के बाद राज्य सभा में राजद के सांसदों की संख्या बढ़कर छह हो जाएगी। 10 जून को होने वाले चुनाव में जब मीसा और फैयाज निर्वाचित होंगे तो दोनों अगले छह साल के लिए राज्यसभा में रहेंगे। इन दोनों के आलावा प्रेमचंद गुप्ता और अमरेंद्र धारी सिंह का कार्यकाल अप्रैल 2026 में पूरा हो रहा है। वहीं मनोज झा और अहमद अशफाक का कार्यकाल अप्रैल 2024 में पूरा होगा।
इसके साथ लालू प्रसाद यादव के पुराने माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण पर ही भरोसा जताया है। हालांकि तेजस्वी यादव ने सभी जातियों को साथ लेकर ए-टू-जेड समीकरण लेकर चलने का ऐलान किया है, नावजूद इसके लालू ने माय समीकरण पर ही ज्यादा ध्यान रखा है। लालू यादव ने मुसलमानों व यादवों को वोट बैंक बनाकर बिहार में 15 साल तक बिहार की सत्ता पर मजबूत पकड़ बनाए रखी। हालांकि वक्त के साथ जातियों व समुदायों पर आधिरित नए वोट बैंक भी बने। जिसमें लव-कुश, दलित, महादलित आदि कई वोट बैंक व उनके नेता समाने आए।
इस बीच पप्पू यादव, असदुद्दीन ओवैसी आदि कई नेताओं ने यादव व मुसलमान वोट बैंक वाले लालू के एम-वाई (माय) समीकारण में सेंध लगाने का प्रयास किया। इसके बाद तेजस्वी यादव ने जाति की राजनीति से हटते हुए सबों को साथ लेकर चलने की नीति के तहत 'ए-टू-जेड' का फार्मूला तैयार किया, लेकिन लालू ने इसे नकारते हुए माय पर भरोसा जताते हुए वर्तमान उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का काम किया।
यहां बता दें कि बिहार में 5 सीटों पर हो रहे राज्यसभा चुनाव में विधायकों की संख्या के हिसाब से भाजपा और राजद को दो-दो और जदयू को एक सीट मिल सकती है। इधर केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह के नाम पर आज तक संशय बना हुआ है।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने गए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कह दिया कि समय पर पता चल जाएगा। हालांकि, गुरुवार शाम मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष से आरसीपी सिंह की मुलाकात के बाद राजद ने दावा किया है कि आरसीपी सिंह के नाम पर मुहर लग चुकी है। ऐसे में राजद भले जो दावा करे, लेकिन जब तक पार्टी की ओर से अधिकृत रूप से घोषणा नहीं की जाती, कुछ भी कहना मुश्किल है।