बिहार: मेवालाल चौधरी पहले नहीं, नीतीश 15 साल के कार्यकाल में करीब आधा दर्जन मंत्रियों से ले चुके हैं इस्तीफा, सभी पर थे गंभीर आरोप
By एस पी सिन्हा | Published: November 20, 2020 04:47 PM2020-11-20T16:47:05+5:302020-11-20T21:09:58+5:30
बिहार में जिस तरह मेवालाल चौधरी ने पदभार ग्रहण करने के कुछ घंटे बाद ही इस्तीफा दिया, उसकी चर्चा खूब हो रही है. मेवालाल मामले में नीतीश कुमार की जमकर किरकिरी हुई है. वैसे नीतीश पिछले 15 साल के कार्यकाल में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है.
पटना: बिहार में नीतीश कैबिनेट के सदस्य और पदभार ग्रहण करने के महज दो घंटे बाद पद से इस्तीफा देनेवाले मेवालाल चौधरी नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा देनेवाले अकेले मंत्री नहीं है. दरअसल, नीतीश कुमार तीन ‘सी’- क्राइम, करप्शन व कम्यूनिलिज्म से समझौता नहीं करने वाले मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाते हैं.
विभिन्न आरोपों की वजह से नीतीश कुमार के 15 वर्षों के कार्यकाल में एक नहीं बल्कि करीब आधा दर्जन मंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है. वैसे मेवालाल मामले में नीतीश कुमार की जमकर किरकिरी हुई है.
2005 में जीतन राम मांझी से लिया इस्तीफा
नीतीश कुमार ने 2005 में अपनी पहली सरकार में जीतन राम मांझी को मंत्री बनाया था. हालांकि अपनी पहली सरकार में मंत्री बनाने के 24 घंटे के भीतर जीतनराम मांझी का इस्तीफा ले लिया था. दूसरे कार्यकाल में भी नीतीश कुमार ने जिन्हें मंत्री बनाया, उनके दागी होने पर उनसे इस्तीफा लेना पड़ा. रामानंद सिंह को भी नीतीश कैबिनेट से बाहर इसी कारण किया गया.
19 मई 2011 को कोर्ट द्वारा फरार घोषित होने के बाद सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह ने इस्तीफा दिया. जबकि नीतीश कुमार के तीसरे कार्यकाल में एक नहीं बल्कि दो मंत्रियों को पद छोडना पड़ा था. अक्टूबर, 2015 में स्टिंग ऑपरेशन में 4 लाख घूस लेते पकड़ाए निबंधन उत्पाद मंत्री अवधेश कुशवाहा ने इस्तीफा दिया.
वहीं, बालिकागृह कांड के बाद सीबीआई की तलाशी के दौरान ससुराल से कारतूस बरामद होने पर 2018 में तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा से इस्तीफा ले लिया गया. हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसबार बिहार विधानसभा चुनाव में मंजू वर्मा को टिकट भी दिया, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया. इसे लेकर भी कई सवाल खडे किये गये थे.
नीतीश कुमार के मौजूदा कार्यकाल में जारी है परंपरा
नीतीश कुमार के चौथे कार्यकाल में भी यह परंपरा कायम रही है. अब इस कड़ी में मेवालाल चौधरी का नाम जुड़ गया है. मेवालाल ने अपने त्यागपत्र में लिखा है कि ‘मैं अपने पद से त्याग पत्र देता हूं’. जिसके जवाब में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अनुशंसा लिखी है- ‘मैं इनका त्यागपत्र स्वीकृत करने की अनुशंसा करता हूं’.
हालांकि नीतीश कुमार पर यह सवाल उठ रहे हैं कि 2005 में जीतनराम मांझी का मामला उन्हें ज्ञात नहीं था और अनजाने में उन्हें कैबिनेट में शामिल कर लिया था. लेकिन मेवालाल के मामले में ऐसा नहीं माना जा सकता है.
मेवालाल का मामला नीतीश सरकार के दौरान ही हुआ है और इस मामले की जांच नीतीश कुमार ही करवा रहे हैं फिर उन्हें कैबिनेट में रखने और शिक्षा जैसा विभाग देने का फैसला कैसे लिया गया?
उल्लेखनीय है कि डॉ. मेवालाल चौधरी ने गुरुवार दोपहर करीब पौने एक बजे शिक्षा विभाग में पदभार ग्रहण किया. प्रधान सचिव संजय कुमार समेत तमाम आलाधिकारियों ने उनका स्वागत किया. तब चौधरी ने मीडिया को अपने ऊपर विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे तमाम आरोपों को निराधार बताया. वे छठ को लेकर विभाग से ही अपने क्षेत्र तारापुर जाने वाले थे, लेकिन अचानक मुख्यमंत्री आवास इस्तीफा देने चले गए.