बिहार: दिल्ली की अदालत ने रेप के आरोपी लोजपा सांसद को अग्रिम जमानत दी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 25, 2021 05:45 PM2021-09-25T17:45:06+5:302021-09-25T17:53:27+5:30
दिवंगत नेता रामविलास पासवान के भतीजे और चिराग पासवान के चचेरे भाई प्रिंस राज को विशेष जज विकास धुल ने यह देखते हुए अग्रिम जमानत दे दी कि प्रथम दृष्टया झूठे आरोप सिद्ध होने की संभावना है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ या आरोपी के न्याय से भागने की कोई संभावना नहीं है.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को बिहार से लोजपा सांसद प्रिंस राज को बलात्कार के एक मामले में यह कहते हुए जमानत दे दी कि मामले में गलत आरोप लगाए जाने की संभावना है.
दिवंगत नेता रामविलास पासवान के भतीजे और चिराग पासवान के चचेरे भाई राज बिहार की समस्तीपुर सीट से सांसद हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, विशेष जज विकास धुल ने राज को यह देखते हुए अग्रिम जमानत दे दी कि प्रथम दृष्टया झूठे आरोप सिद्ध होने की संभावना है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ या आरोपी के न्याय से भागने की कोई संभावना नहीं है.
अदालत ने आगे कहा कि वास्तव में अभियोक्ता ही आरोपी को उसकी तस्वीर/वीडियो प्रसारित करके उसे बदनाम करने की धमकी देने की कोशिश कर रही थी जो उसके पास थी. उसने आरोपी द्वारा दर्ज प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों की भी पुष्टि की कि उनके बीच सहमति से शारीरिक संबंध थे.
इससे पहले गुरुवार को विशेष न्यायाधीश विकास धुल ने राज और दिल्ली पुलिस के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद सांसद की अग्रिम जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इस मामले में आरोपी और महिला दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए थे.
राज ने फरवरी में आरोप लगाया था कि महिला ने सोशल मीडिया पर उनकी कुछ अश्लील तस्वीरें लीक कर उनसे 1 करोड़ रुपये की जबरन वसूली करने और झूठे बलात्कार के मामले में फंसाने की कोशिश की थी. तीन महीने बाद महिला ने सांसद पर रेप का आरोप लगाते हुए पुलिस से संपर्क किया था.
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने में अनुचित देरी हुई है और महिला द्वारा दर्ज की गई वर्तमान प्राथमिकी फरवरी 2021 में महिला के खिलाफ जबरन वसूली का आरोप लगाते हुए आवेदक द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के बाद दर्ज कराई गई थी.
अदालत ने यह भी कहा कि राज के न्याय से भागने की संभावना भी काफी कम है क्योंकि वह एक मौजूदा लोकसभा सदस्य हैं और समाज से उनका काफी जुड़ाव है.
हालांकि, अतिरिक्त लोक अभियोजक ने आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों की गंभीरता के आधार पर उसकी अग्रिम जमानत का विरोध किया.
अभियोजक ने तर्क दिया कि महिला में पहले मामले की रिपोर्ट करने का साहस नहीं हो सका था और जब उसने फरवरी, 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी छोड़ दी, तो उसे आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का साहस मिला.