सीएम नीतीश ने कड़क अधिकारी केके पाठक को सौंपी शराबबंदी की कमान, विपक्ष लगातार कर रहा सरकार पर हमला
By एस पी सिन्हा | Published: November 18, 2021 05:54 PM2021-11-18T17:54:01+5:302021-11-18T17:55:24+5:30
कड़क और तेजतर्रार आइएएस अधिकारी केके पाठक को मद्य निषेध विभाग की जिम्मेवारी सौंपे जाने के बाद कांग्रेस और राजद ने इसको लेकर सरकार पर तंज कसा है.
पटनाः कड़क और तेजतर्रार आइएएस अधिकारी केके पाठक को मद्य निषेध विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाये जाने के बाद सियासत शुरू हो गई है. विपक्षी दलों ने सरकार के इस निर्णय पर सवाल खडे़ किए हैं तो सत्ता पक्ष ने इसका स्वागत किया है.
एक ओर जहां कांग्रेस और राजद ने इसको लेकर सरकार पर निशाना साधा है तो दूसरी ओर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने जमकर पलटवार किया है. केके पाठक को मद्य निषेध विभाग की जिम्मेवारी सौंपे जाने के बाद कांग्रेस और राजद ने इसको लेकर सरकार पर तंज कसा है.
कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि जिस अधिकारी को नीतीश कुमार वर्षों पहले हटा दिए थे, उन्हें फिर से लाना उनकी मजबूरी है या जरूरी है, या फिर असफल शराबबंदी का ठीकरा अधिकारी पर फोड़ना चाहते हैं. वहीं राजद नेता विजय प्रकाश ने कहा कि जिस अधिकारी को असक्षम समझ कर उत्पाद विभाग से हटाया गया था, उन्हें फिर से सक्षम समझकर फिर से लाया गया है.
उन्होंने पूछा है कि यदि वे सक्षम व्यक्ति तो किस कारण से हटाया गया और यदि वे असक्षम थे तो फिर किस आधार पर वापस लाया गया? इधर, ललन सिंह ने कहा कि शार्क और पोठिया मछली उन्हें समझ में आती है. लेकिन तेजस्वी यादव शराबबंदी के खिलाफ जितना बोलते हैं तो उन्हें अपने चुनावी घोषणापत्र में इसे शामिल करना चाहिए कि वे इसे समाप्त कराएंगे.
लेकिन बिहार में शराबबंदी है और आगे भी रहेगी. इसे और प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए हर संभव उपाय किए जाएंगे. इस दौरान केके पाठक की नियुक्ति को लेकर उठे सवाल पर उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि किस अधिकारी का पदस्थापन कहां होगा, यह राजद से पूछकर होगी क्या? केके पाठक पर सवाल उठाने का उनको क्या मतलब है?
शराबबंदी का कानून बना था तब केके पाठक ही उत्पाद आयुक्त थे. यहां बता दें कि केशव कुमार पाठक (केके पाठक), 1990 बैच के आइएस अधिकारी हैं. ये उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे. अपने कड़क अंदाज के लिए प्रसिद्ध केके पाठक जब गोपालगंज के जिलाधिकारी थे, तब इनका जलवा दिखा था.
बताया जाता है कि उनकी वजह से तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के करीबियों को दिक्कत होने लगी थी. तब पाठक का तबादला सचिवालय कर दिया गया था. इनके साथ कुछ विवादों का नाता भी जुडा था. अब हाल के दिनों में जिस तरह के शराबबंदी को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सवाल उठ रहे थे.
उसके बाद यह जरुरी था कि मद्य निषेध विभाग की जिम्मेदारी किसी कड़क अधिकारी को सौंपा जाए. लगभग पांच साल बाद केके पाठक को फिर से विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी गई है. आज विभाग की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही केके पाठक ने साफ कर दिया है कि वह बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेंगे. बताया जा रहा है कि वह जल्द ही इस संबंध में विभाग में बडे़ फेरबदल कर सकते हैं.