बिहार में शराबबंदी पर सियासतः भाजपा और सहयोगी जदयू में तकरार, राजद ने कहा- समर्थन वापस लेना चाहिए
By एस पी सिन्हा | Published: November 25, 2021 07:11 PM2021-11-25T19:11:58+5:302021-11-25T19:12:50+5:30
आलोक मेहता ने आरोप लगाया कि बिहार में शराबंदी लागू करने में सरकार नाकाम साबित हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार में सवाल उठाने का मतलब नहीं है.
पटनाः बिहार में शराबबंदी को लेकर सियासत हावी है. शराबबंदी कानून को लेकर एक ओर जहां भाजपा और सहयोगी जदयू में ही तकरार देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर राजद ने इस मसले पर तंज कसा है.
भाजपा विधायकों के द्वारा उठाये गये सवाल पर अब राजद के महासचिव आलोक मेहता ने इशारों-इशारों में ही भाजपा से कहा कि जो शराबबंदी कानून के पक्ष में नहीं है, उसे समर्थन वापस लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार में शामिल भाजपा के विधायक लगातार शराबबंदी कानून को लेकर नाराज चल रहे हैं, तो ऐसे में भाजपा को सरकार से समर्थन वापस लेकर बाहर आ जाना चाहिए.
भाजपा विधायकों को अपना समर्थन सरकार से वापस ले लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार में रहकर भाजपा अनर्गल अलाप कर रही है. आलोक मेहता ने आरोप लगाया कि बिहार में शराबंदी लागू करने में सरकार नाकाम साबित हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार में सवाल उठाने का मतलब नहीं है. अगर वो इस कानून का विरोध करते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के विधायक दोनों काम नहीं कर सकते. एक तरफ सरकार को समर्थन भी देते रहेंगे, सत्ता में भागीदार भी रहेंगे और दूसरी तरफ शराबबंदी पर सवाल भी खडे़ करेंगे, यह नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि राज्य में शराबबंदी कानून फेल है.
जिस सरकार ने पंचायतों में शराब की दुकान को खोले, उससे शराबबंदी कानून की सफलता की कामना करना विडंबना है. सरकार पिछले 5 सालों से शराब बंदी कानून की सफलता को लेकर काम करने की बात करती हैं. लेकिन यह नहीं हो पा रहा है. सरकार में पूरी तरह से इच्छाशक्ति की कमी है.