बिहार विधानमंडल में उठा मॉब लिंचिंग और बाढ़ राहत का मुद्दा, विपक्षी दलों ने जमकर किया हंगामा
By एस पी सिन्हा | Published: July 22, 2019 07:20 PM2019-07-22T19:20:19+5:302019-07-22T19:20:19+5:30
बिहार विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने के लिए सदन पहुंचे वाम दलों के सदस्यों ने मॉब लिंचिंग को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों के सदस्य हंगामा करने लगे.
बिहार विधानमंडल के सत्र के दौरान के सोमवार (22 जुलाई) 17वें दिन विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन के बाहर और अंदर जमकर हंगामा किया. विपक्षी दलों के सदस्यों ने बिहार में हुए मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर हंगामा करते हुए सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की. विधानसभा शुरू होने से पहले ही राजद और माले के सदस्यों ने मॉब लिंचिंग को लेकर विधानसभा के बाहर हंगामा किया.
बिहार विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने के लिए सदन पहुंचे वाम दलों के सदस्यों ने मॉब लिंचिंग को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों के सदस्य हंगामा करने लगे.
राजद समेत अन्य विपक्षी दलों के सदस्य मॉब लिंचिंग पर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया. साथ ही सरकार से जवाब देने की मांग करते हुए हंगामा करने लगे. इस पर विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने कहा कि आपलोग समय पर इस मुद्दे को उठाइएगा. समय पर उठाएंगे तो समस्या का समाधान हो सकता है. इसके बाद उन्होंने कार्यस्थगन की मांग को अस्वीकार कर दिया.
राजद की विधायक एज्या यादव ने कहा कि सरकार बिल्कुल निष्क्रिय हो गई है. प्रदेश में लगातार मॉब लिंचिंग हो रही है और सरकार सुस्त है. वहीं बाढ के मुद्दे पर भी विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की.
एज्या यादव ने कहा कि बाढ़ से जनता त्रस्त है. लेकिन, जिस स्तर पर मदद मिलनी चाहिए उस स्तर पर पीड़ितों को मदद नहीं मिल रही है. हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी की मुलाकात पर उन्होंने चुप्पी साध ली और कहा कि मॉब लिंचिंग और बाढ ही बर्निंग मुद्दा है.
वहीं, प्रश्नकाल की कार्यवाही शुरू होने पर राजद सदस्य कुमार सर्वजीत के सवालों का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने एलान किया कि जमाकर्ताओं की जमा राशि सहारा इंडिया के द्वारा वापस नहीं किया गया तो अब मामला दर्ज किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि अप्रैल से मई 2019 तक सहारा इंडिया के खिलाफ करीब 6100 आवेदन प्राप्त हुए हैं. अब तक इनमें से मात्र 50 फीसदी से भी कम आवेदनों का निबटारा किया गया है. उन्होंने कहा कि पटन में सबसे अधिक आवेदन मिले हैं.
उन्होंने सदन को बताया कि सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को जमाकर्ताओं की राशि भगुतान करने को लेकर कंपनी से बात करने को कहा है. साथ ही कहा कि अगर कंपनी की ओर से जमाकर्ताओं की जमा राशि को वापस नहीं किया गया, तो फिर सरकार मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई करेगी. उन्होंने कहा कि हम जमाकर्ताओं की राशि वापस कराने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेंगे.