बिहार विधान परिषद चुनाव 2026ः जून में 9 सीट खाली, राजद को लगेगा झटका, केवल 1 सीट मिलने की संभावना?, उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश बनेंगे विधायक?
By एस पी सिन्हा | Updated: December 9, 2025 15:19 IST2025-12-09T15:18:09+5:302025-12-09T15:19:54+5:30
Bihar Legislative Council Elections 2026: मंत्री बनाये गये उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश मंगल को पांडेय की जगह पर विधान परिषद भेजा जा सकता है।

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पटनाः बिहार विधान परिषद की 9 सीटों के लिए के लिए अगले साल जून महीने के आखिरी सप्ताह में चुनाव होना है। दरअसल, 28 जून, 2026 को बिहार विधान परिषद के विधान सभा कोटे की 9 सीटें खाली हो रही हैं। मतलब 9 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। जिन 9 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उसमें बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और जदयू विधायक श्रीभगवान सिंह कुशवाहा भी शामिल हैं, जो बीते विधानसभा चुनाव में विधायक चुने गये हैं। शेष 7 सदस्यों में जदयू के 3, राजद के 2, भाजपा के 1 और कांग्रेस के 1 सदस्य है।
भाजपा विधान पार्षद मंगल पांडेय भी विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए हैं। परिषद में उनका कार्यकाल 2030 तक था। माना जा रहा है कि भाजपा चुनावी समझौते के अनुसार, एक सीट उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो को देगी। इसी समझौते के तहत मंत्री बनाये गये उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश मंगल को पांडेय की जगह पर विधान परिषद भेजा जा सकता है।
उनका कार्यकाल 5 साल का होगा। इस तरह ब्राह्मण की जगह कोइरी को मिलेगी। अगले साल 28 जून, 2026 को रिटायर हो रहे सदस्यों में जदयू के गुलाम गौस, भीष्म सहनी और कुमुद वर्मा हैं। जबकि राजद के मो. फारूक शेख और सुनील कुमार सिंह का भी कार्यकाल पूरा हो रहा है। भाजपा के संजय मयूख और कांग्रेस के समीर कुमार सिंह का भी कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
श्री भगवान सिंह कुशवाहा और सम्राट चौधरी समेत सभी 9 सदस्य विधान सभा कोटे से निर्वाचित हुए थे। मंगल पांडेय भी विधानसभा कोटे के थे। एक और विधान परिषद सदस्य राधाचरण साह भी जदयू से विधायक बन गये हैं। वे स्थानीय निकाय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र से चुने गये थे और उनका कार्यकाल 2028 तक था।
मंगल पांडेय और राधाचरण साह के इस्तीफे से रिक्त हुई सीट पर उपचुनाव सुनिश्चित है क्योंकि इनका कार्यकाल अभी काफी बचा हुआ ह। लेकिन श्री भगवान सिंह कुशवाहा और सम्राट चौधरी का कार्यकाल लगभग सात माह बचा हुआ है। संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, किसी रिक्त हुई सीट की अवधि 6 माह तक बची हुई हो तो उस सीट के लिए उपचुनाव नहीं कराया जाएगा।
लेकिन इन दो सीटों की अवधि सात महीने बची हुई है। ऐसे में इस सीट पर निर्वाचित व्यक्ति का कार्यकाल लगभग 6 महीने का ही होगा। संभव हुआ तो पार्टी उनको नये कार्यकाल में भी उम्मीदवार बना सकती है। यदि उन्हें अवधि विस्तार नहीं मिलता है, तब भी पूर्व सदस्य का ठप्पा लग जाने के बाद वे पेंशन, मेडिकल सुविधा और कूपन के आजीवन हकदार हो जाएंगे।
वहीं, बिहार विधान सभा में सदस्यों की संख्या के हिसाब से इस बार राजद मात्र एक सदस्य को ही विधान परिषद में भेज सकता है। जबकि भाजपा और जदयू 4-4 सदस्य भेज सकते हैं। यदि लोजपा(रा) भी अपना दावा पेश करती है तो एनडीए उसके दावे को नकार नहीं सकता है।
उसके लिए भाजपा या जदयू को अपनी एक सीट पर दावा छोड़ना पड़ सकता है। एक साथ 9 सीटों के चुनाव में एक सीट के लिए 24 विधायकों का समर्थन जरूरी है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में हार का जोरदार झटका राजद को विधान परिषद में लग सकता है।