बिहार: JDU ने प्रशांत किशोर के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा-'पीके' को अपने बारे में हो गया है भ्रम
By एस पी सिन्हा | Published: March 7, 2019 05:58 PM2019-03-07T17:58:20+5:302019-03-07T17:58:20+5:30
पहले प्रशांत किशोर ने कह दिया कि पहले वे मुख्यमंत्री- प्रधानमंत्री बनने में मदद करते थे अब युवाओं को सांसद-विधायक बनने में मदद करेंगे.
बिहार में सत्तारूढ दल जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के खिलाफ उनकी ही पार्टी के प्रवक्ता ने मोर्चा खोल दिया है. नीरज कुमार ने कहा कि प्रशांत किशोर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है. उन्होंने बिना नाम लिए हुए प्रशांत किशोर को कहा कि किसी को भ्रम में नहीं रहना चाहिए. वहीं, जदयू के दो बडे नेताओं की भिडंत से पार्टी के अंदरखाने भूचाल है.
दरअसल, प्रशांत किशोर के कुछ हालिया बयानों ने पार्टी को असहज कर रखा है. पहले प्रशांत किशोर ने कह दिया कि पहले वे मुख्यमंत्री- प्रधानमंत्री बनने में मदद करते थे अब युवाओं को सांसद-विधायक बनने में मदद करेंगे. प्रशांत किशोर के इस बयान पर जदयू के अंदरखाने गर्माहट बढी हीं थी कि प्रशांत किशोर ने यह कहकर भूचाल ला दिया कि नीतीश कुमार ने जब महागठबंधन छोडा तो उन्हें फिर से चुनाव में जाना चाहिए था.
‘पीके’ के इस बयान पर जदयू ज्यादा नाराज है. जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने आज कहा कि किस बात के लिए फ्रेश मैंडेट लेते और चुनाव में जाते नीतीश कुमार. भाजपा के साथ जाकर सरकार बनाने का फैसला पार्टी की कार्यकारिणी और विधायक दल का फैसला था. आज भी जीरो टालरेंस की नीति पर सरकार चला रहे हैं. प्रशांत किशोर क्या बोलते हैं वे जाने. नीरज कुमार ने कहा कि मनुष्य को अपने बारे मे भ्रम हो जाता है.
राजनीतिक कार्यकर्ता अपने पारिवारिक दायित्व को छोडकर सामाजिक साख बनाता है. उसकी साख पार्टी के नेता पहचानते हैं. सांसद-विधायक बनाने की पात्रता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तय करते हैं. विधायक-सांसद जनता बनाती है पार्टी टिकट देती है.
यहां बता दें कि प्रशांत किशोर ने मंगलवार को कहा था कि जब वे सांसद ,विधायक और विधान पार्षद बना सकते हैं तो फिर मुखिया और सरपंच क्यों नहीं बना सकते. प्रशांत किशोर कल मुजफ्फरपुर में यूथ को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने यह बात कही थी.
दरसअल, प्रशांत किशोर ने कुछ दिन पहले उद्धव ठाकरे से मुलाकत की थी. इसको लेकर 2 दिन पहले जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सवाल उठा था. इसके बाद पीके ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में काफी देर तक अपनी सफाई दी थी. जदयू में पीके की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी हाल में एनडीए की रैली में भी उनकी मौजूदगी नहीं दिखी थी.
सिर्फ रैली ही नहीं बल्कि कहीं किसी पोस्टर में भी प्रशांत किशोर नजर नहीं आये. अब एक बार जदयू नेताओे की तरफ से सीधे पीके को निशाना बनाया जा रहा है. ऐसे में समझा जा सकता है कि जदयू में पीके की क्या स्थिति रह गई है?