बिहार: कोरोना त्रासदी देखते हुए भी सरकार ने नहीं दिया स्कूलों को फीस माफी का आदेश, अन्य राज्यों को देख लोगों में नाराजगी
By एस पी सिन्हा | Published: April 6, 2020 07:51 AM2020-04-06T07:51:26+5:302020-04-06T07:51:26+5:30
उत्तर प्रदेश की सरकार, झारखंड की सरकार और छत्तीसगढ़ की सरकार सहित कई प्रदेशों में यह आदेश जारी किया गया है कि कोरोना त्रासदी के दौरान किसी स्कूल प्रबंधन ने फीस मांगी तो स्कूल मालिक को जेल भेज दिया जाएगा. लेकिन बिहार सरकार ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है. इससे बिहार के लोगों में नाराजगी देखी जा रही है.
कोरोना के कहर के बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सहित कई प्रदेशों की सरकार ने कोरोना त्रासदी के दौरान किसी स्कूल प्रबंधन से फीस अथवा बस का किराया नहीं वसूलने का निर्देश जारी किया है. लेकिन बिहार की नीतीश कुमार सरकार इस पर चुप्पी साधे बैठी है. ऐसे में अब यहां के लोगों में यह चर्चा चल निकली है कि अगर अन्य राज्य सरकारें ऐसा निर्णय ले सकती हैं तो फिर नीतीश कुमार ने ऐसा निर्णय क्यों नहीं लिया?
यहां बता दें कि उत्तर प्रदेश की सरकार, झारखंड की सरकार और छत्तीसगढ़ की सरकार सहित कई प्रदेशों में यह आदेश जारी किया गया है कि कोरोना त्रासदी के दौरान किसी स्कूल प्रबंधन ने फीस मांगी तो स्कूल मालिक को जेल भेज दिया जाएगा. लेकिन बिहार सरकार ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है. इससे बिहार के लोगों में नाराजगी देखी जा रही है. अन्य प्रदेशों में जहां इस प्रकार के निर्णय से स्कूल संचालकों मेम हड़कंप मच गया है, वहीं बिहार में स्कूल के संचालक यह देख रहे हैं कि स्कूल बन्द रहने से उन्हें तो कोई नुकसान है नहीं फिर चिंता किस बात की.
यहां उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश शासन के आदेश के आलोक में गौतमबुद्ध नगर के डीएम ने स्कूल मालिकों को स्पष्ट चेतावनी दी है की फीस मांगने पर मुकदमा दर्ज कराकर 1 साल के लिए जेल भेज देंगे. नए जिलाधिकारी के इस आदेश के बाद स्कूल मालिकों के बीच हड़कंप मच गया है. डीएम को जानकारी मिली थी कि लॉक डाउन के दौरान भी स्कूल वाले अभिभावकों पर फीस देने का दबाव बना रहे हैं.
इसी तरह बिहार में भी स्कूल खुलते ही स्कूल प्रबंधन के द्वारा बच्चों के अभिभावकों पर फीस के लिए दबाव बनाया जाने वाला है. लेकिन यहां कोई देखने वाला नहीं है. इससे कोरोना संकट से जूझ रहे बिहार वासियों मे नाराजगी देखी जा रही है. लोगों का कहना है कि अगर अन्य प्रदेश ऐसा निर्णय लेने में देर नहीं किये हैं तो आखिर क्या कारण है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसपर चुप्पी साधे हुए हैं.
लोगों का कहना है कि अगर बिहार में ऐसा नहीं होता है तो इसका मतलब यह माना जायेगा कि यहां की सरकार का निजी स्कूल संचालकों के साथ अच्छा सांठगांठ है और सभी मिलकर आम जनता का दोहन करना चाहते हैं. सबसे मजेदार बात तो यह है कि इस मुद्दे को अभी तक किसी भी विरोधी दलों के द्वारा भी नहीं उठाया गया है. इसका मतलब यह हि कि सभी की इसमें मौन सहमति है कि निजी स्कूल के संचालक छात्रों का दोहन करें. इससे बिहार में लोगों के बीच नाराजगी देखी जा रही है.