विवादों के घेरे में आए राज्यपाल फागू चौहान, पीएमओ में तलब, कुलपतियों के भ्रष्टाचार का खुलासा, नीतीश सरकार और राजभवन आमने-सामने
By एस पी सिन्हा | Published: November 24, 2021 08:50 PM2021-11-24T20:50:34+5:302021-11-24T20:51:23+5:30
बिहार के राज्यपाल फागू चौहान को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से बुलावा आया है. राजभवन के एक उच्च अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि राज्यपाल आज दिल्ली रवाना हो गये हैं.
पटनाः बिहार में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों पर भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर राज्य सरकार और राजभवन अब आमने-सामने आ गया है. मगध विश्वविद्यालय, अरबी फारसी विश्वविद्यालय और पाटलीपुत्र विश्वविद्यालय, एक के बाद एक जिस तरह से बिहार के विश्वविद्यालयों में किताबों और उत्तर पुस्तिका की खरीदी को लेकर घोटाले सामने आ रहे हैं.
उनका सीधा संबंध राजभवन से जुड़ रहे हैं. उसको लेकर राजभवन पूरी तरह से विवाद में घिर गया है. इधर, बिहार सरकार ने अब राजभवन से दूरी बनानी शुरू कर दी है. वहीं इन घटनाओं को लेकर अब बिहार के राज्यपाल फागू चौहान को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से बुलावा आया है. राजभवन के एक उच्च अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि राज्यपाल आज दिल्ली रवाना हो गये हैं.
ऐसे में राज्यपाल फागू चौहान के अचानक दिल्ली जाने को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई प्रकार की चर्चा शुरू हो गई है. दरअसल, राज्यपाल फागू चौहान ने भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों के आरोपी और विशेष निगरानी ईकाई की छापेमारी में बेनकाब हो चुके मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डा. राजेंद्र प्रसाद को एक महीने का मेडिकल छुट्टी दे दिया है.
वहीं, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के जिस कुलपति पर सरकारी पैसे की लूट का आरोप लगा उसी को राज्यपाल फागू चौहान ने बेस्ट कुलपति का अवार्ड दे दिया है. हद देखिये कि जिस दिन मीडिया से लेकर पूरे शिक्षा जगत में आरोपी कुलपति के कारनामों की चर्चा हो रही थी, उसी दिन यानि 23 नवंबर को राजभवन में सम्मान समारोह आयोजित कर अवार्ड दिया गया.
राजभवन के कारनामों से भारी नाराज बिहार सरकार के मंत्री और पदाधिकारियों ने इस सम्मान समारोह का बहिष्कार कर दिया. शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जिस व्यक्ति पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है, उसे अवार्ड देने का निर्णय कुलाधिपति कार्यालय का है. उन्होंने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह पर वित्तीय अनियमितता के आरोप के मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग भी की है. प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह पर अधिक कीमत पर उत्तर पुस्तिका की खरीदारी करने का आरोप है.
वहीं, मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद के यहां पिछले दिन निगरानी ने छापा मारा था. इनके उपर 30 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का आरोप है. ऐसे में राज्यपाल को पीएमओ से बुलावे को हाल के दिनों में जिस तरह से विश्वविद्यालयों में गड़बड़ी सामने आई है और उसके बाद भी राजभवन के किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं किए जाने से जोड़ा जा रहा है.
राज्यपाल फागू चौहान को दिल्ली बुलाए जाने पर यह चर्चा होने लगी है कि मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद पर भ्रष्टाचार के लगे आरोपों के बावजूद उन्हें पद से नहीं हटाया जाना भी एक कारण हो सकता है. वहीं हाल में मौलाना महजरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय में टेंडर में घालमेल के बावजूद तत्कालीन प्रभारी कुलपति के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने के बजाय अवार्ड देना कारण हो सकता है.
यहां बता दें कि मौलाना महजरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय कुलपति ने भी मुख्यमंत्री और राज्यपाल को लेटर लिखकर उत्तर पुस्तिका में खरीदी को लेकर प्रभारी कुलपति पर सीधे सीधे भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, लेकिन इसके बाद भी राजभवन ने चुप्पी साधे रखी. राजभवन में चांसलर अवार्ड समारोह का आयोजन किया गया था. जिसमें 5 शिक्षकों, 6 विद्यार्थियों, 2 महाविद्यालयों के साथ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह को राज्यपाल फागू चौहान ने सम्मानित किया.