बिहार के एक और 'दशरथ मांझी', सिंचाई में थी मुश्किल, 30 साल में खोद डाली 3 किमी लंबी नहर
By विनीत कुमार | Published: September 13, 2020 09:41 AM2020-09-13T09:41:12+5:302020-09-13T09:41:12+5:30
बिहार के गया जिले में एक शख्स ने बारिश के पानी को गांव के तालाब में लाने के लिए अकेले ही 3 किलोमीटर लंबी नहर खोद डाली। जंगलों और पहाड़ों से घिरे इस इलाके में नहर बनाने में उसे 30 साल लग गए।
बिहार के गया जिले के दशरथ मांझी से मिलती-जुलती एक और कहानी सामने आई है। एक शख्स ने पास की एक पहाड़ी से बारिश के पानी को अपने खेल में लाने के लिए तीन किलोमीटर लंबा नहर खोद डाला। ये मामला भी बिहार गया जिले के लहटुआ क्षेत्र के कोठीलावा गांव की है।
न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार नहर खोदने वाले लौंगी भूइयां ने बताया, 'मुझे इस नहर को खोदने में 30 साल लगे। इसकी मदद से पानी गांव में एक तालाब में जा सकेगा।'
उन्होंने आगे बताया, 'पिछले 30 साल से मैं पास के जंगल जाता था और नहर खोदता था। किसी ने मेरे इस काम में साथ नहीं दिया। गांव वाले अब जीविका कमाने के लिए शहर की ओर जा रहे हैं, लेकिन मैंने गांव में रहने का फैसला किया।'
Bihar: A man has carved out a 3-km-long canal to take rainwater coming down from nearby hills to fields of his village, Kothilawa in Lahthua area of Gaya. Laungi Bhuiyan says, "It took me 30 years to dig this canal which takes the water to a pond in the village." (12.09.2020) pic.twitter.com/gFKffXOd8Y
— ANI (@ANI) September 12, 2020
कोठीवाला गांव चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है। ये जिला मुख्यालय गया से करीब 80 किलोमीटर दूर है। ये गांव माओवादियों की शरणस्थली के रूप में भी चिह्नित है।
इस क्षेत्र में लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत यहां खेली और पशुपालन है। बारिश के मौसम में पहाड़ों से आने वाला पानी नदियों में बह जाता है। इसे ही लाने के लिए भूइयां ने नहर बनाने की सोची। भूइयां को लगता था कि यह पानी अगर खेतों में आ सके तो इससे कई समस्याओं से मुक्ति मिल जाएगी।
एक ग्रामीण पट्टी मांझी ने बताया, 'वह (लौंगी भुईयां) पिछले 30 सालों से अकेले नहर बनाने के काम में लगे हुए थे। उनके इस प्रयास से बड़ी संख्या में जानवारों को पानी मिलेगा और खेतों की सिंचाई भी हो सकेगी। वह यह नहर सिर्फ अपने फायदे के लिए नहीं बना रहे हैं बल्कि पूरे इलाके की मदद करने के लिए ऐसा कर रहे हैं।'
वहीं, गया के रहने वाले एक शिक्षक राम विलास सिंह ने ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने के लिए भूइयां की ओर से किए गए प्रयासों की सराहना की।