JDU के दिग्गज नेता रहे पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह के बेटे पर पुलिस का शिकंजा, धोखाधड़ी का मामला दर्ज, गिरफ्तारी के आदेश जारी
By एस पी सिन्हा | Published: January 27, 2020 05:17 PM2020-01-27T17:17:33+5:302020-01-27T17:17:33+5:30
नरेंद्र सिंह ने 2015 में जदयू छोड़ दिया था और वह जीतन राम मांझी की अगुआई वाले हिंदुस्तान आवाम मोर्चा में शामिल हो गये थे. बाद में नरेंद्र सिंह माझी की पार्टी से भी अलग हो गये थे और खुद अपनी पार्टी बना ली थी.
बिहार में जदयू के एक प्रभावशाली नेता माने जाते रहे पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह के बेटे पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है. वह खुद को मुंगेर के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह का निजीकर्मी बताकर लोगों को ठगता था। इस गोरखधंधे की जांच में कथित संलिप्तता सामने आने के बाद रविवार को उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह के अनुसार ब्रजेश उर्फ बमबम के बयान के आधार पर दो लोगों के अलावा पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह और उनके बेटे सुमित सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने बताया कि बमबम इस गिरोह के सिलसिले में पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किये गये चार लोगों में एक था. पुलिस अधीक्षक ने दावा किया कि बमबम के बयान के अनुसार, इस रैकेट में शामिल लोग अपने को राजीव रंजन सिंह का निजी सहायक बताते थे और नौकरी दिलाने का वादा कर लोगों को चूना लगाते थे. उन्होंने इसकी पुष्टि उसके मोबाइल रिकार्ड्स से करने का दावा किया.
उन्होंने यह भी दावा किया कि बमबम ने अपने बयान में कहा है कि गिरफ्तार किये गये अन्य आरोपियों के साथ वह इस गोरखधंधे का हिस्सा था तथा पिता-पुत्र उसके सूत्रधार थे. पिता-पुत्र जमुई जिले के निवासी हैं. लोकसभा में जदयू के नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी लल्लन सिंह पहले राज्य में मंत्री थे.
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जांच के दौरान यह भी सामने आया कि बमबम ने झारखंड के देवघर में एक भूखंड की खरीददारी के लिए खुद को मंत्री का पीए बताया. पुलिस अधीक्षक के अनुसार पिता-पुत्र ने जमीन के पांच करोड के इस सौदे में बिचौलिये काम किया. बमबम को एक करोड़ रूपये मिलने थे. लिपि सिंह के अनुसार पिता-पुत्र और उनके सहयोगियों के खिलाफ भादंसं के तहत मामला दर्ज किया गया है और उनकी गिरफ्तारी का आदेश जारी किया गया है. जांच के दौरान इन सहयोगियों के नाम सामने आये.
यहां बता दें कि नरेंद्र सिंह ने 2015 में जदयू छोड़ दिया था और वह जीतन राम मांझी की अगुआई वाले हिंदुस्तान आवाम मोर्चा में शामिल हो गये थे. बाद में नरेंद्र सिंह माझी की पार्टी से भी अलग हो गये थे और खुद अपनी पार्टी बना ली थी. इसके पहले नरेन्द्र सिंह ने हीं 2005 में लोजपा को तोड़कर विधायकों को अपने साथ नीतीश कुमार के समर्थ में ले आये थे.
तब कहा जा रहा था कि उन्हीं के सहयोग से बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बनी थी. उस वक्त उन्हें मंत्री पद दिया गया था और खुद उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया गया था. वर्तमान में नरेन्द्र सिंह जदयू में रहते हुए भी नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.