बिहार: पांच विधान पार्षदों ने कहा पार्टी को बाय-बाय तो पार्टी के वरिष्ठ नेता भी रूठे, अब खतरे में पड़ी राबडी देवी की नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी!
By एस पी सिन्हा | Published: June 23, 2020 08:45 PM2020-06-23T20:45:05+5:302020-06-23T20:45:24+5:30
RJD पार्टी नेता पूर्व मंत्री भोला राय के समर्थकों ने सोमवार को राबडी देवी के आवास 10 सर्कुलर रोड पर जाकर हंगामा किया था. ऐसे में राजद के पांच विधान पार्षदों के जदयू में शामिल होने के बाद अब यह तय माना जा रहा है कि राबडी देवी के नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी चली जाएगी.
पटना: राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की पार्टी के लिए आज मंगलवार का दिन अमंगल साबित हुआ है. बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राजद को एक के बाद एक तीन झटके लगे हैं. दो झटके तो एक साथ लगे, जबकि इसके कुछ देर बाद ही तीसरा झटका लगा गया. इसमें राजद के पांच विधान परिषद सदस्यों के जदयू में जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी के नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी भी खतरे में पड़ गई है. बिहार विधान परिषद में कुल 75 सीटें है और विपक्ष के नेता के लिए 8 सीटें होनी चाहिए.
यहां बता दें कि राजद के पांच विधान पार्षदों ने राजद का साथ छोड जदयू का दामन थाम लिया है. इसके बाद राजद के पास सिर्फ तीन सीटें रह गई हैं. ऐसे में राबडी देवी को जल्द विपक्ष के नेता की कुर्सी छोडनी पड सकती है. राजद के दिलीप राय, राधा चरण सेठ, संजय प्रसाद ,कमरे आलम और रणविजय सिंह ने जदयू की सदस्यता ग्रहण कर लिया है. जदयू की सचेतक रीना यादव के पत्र के आलोक में विधान परिषद ने राजद से आए जदयू के सभी सदस्यों को मान्यता दे दी है. बताया जा रहा है कि राजद में विधानपरिषद उम्मीदवारों के नाम की चर्चा होते ही विवाद शुरू हो गया था. पार्टी नेता पूर्व मंत्री भोला राय के समर्थकों ने सोमवार को राबडी देवी के आवास 10 सर्कुलर रोड पर जाकर हंगामा किया था. ऐसे में राजद के पांच विधान पार्षदों के जदयू में शामिल होने के बाद अब यह तय माना जा रहा है कि राबडी देवी के नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी चली जाएगी. वैसे, बिहार विधान परिषद में अभी 29 सीटें खाली है. इसमें 12 मनोनयन कोटा, 9 विधानसभा, चार शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र और चार स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के हैं. वर्तमान में जदयू के 20, भाजपा के 16, राजद के तीन, लोजपा और हम के एक-एक, कांग्रेस के दो और निर्दलीय दो विधान परिषद सदस्य हैं.
इसबीच, पांच विधान पार्षदों की टूट के बाद भी राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा है कि उनकी पार्टी समाजवादियों का खजाना है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बटोरुआ पार्टी चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने इसी तरह दूसरे दलों से नेताओं को बटोर- बटोर कर पार्टी बनाई है. जगदानंद सिंह ने कहा है कि राजद के इक्के दुक्के नेताओं के चले जाने से पार्टी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पडेगा. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार रात के अंधेरे में डाका डाल रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद वह विधानसभा का अगला चुनाव नहीं जीतेंगे. जगदानंद सिंह ने कहा है कि अब चंद महीनों की बात है. नीतीश कुमार की विदाई होने वाली है. राजद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जो हमारे विधायकों के कंधे पर चढकर सरकार बना बैठे हैं, वह हवा का रुख अच्छे से समझ रहे हैं. जगदानंद सिंह का गुस्सा केवल नीतीश कुमार ही नही बल्कि आरसीपी सिंह पर भी निकला. राजद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में जिस तरह आरसीपी टैक्स की वसूली हो रही है, जनता उससे त्राहिमाम कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार में बैठकर नीतीश कुमार दलबदल का खेल खेल रहे हैं और इसके लिए वह लॉलीपॉप का इस्तेमाल कर रहे हैं.
उधर, राजद के पांच विधान पार्षदों के पाला बदलने के बाद विरोधियों के साथ-साथ सहयोगी दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने भी तंज कसा है. राजद के जले पर नमक छिडकते हुए हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि पैसे और बाहुबल के दम पर राजद जिन लोगों को विधान परिषद भेज रही है. उसके बाद उसका बुरा हश्र होना है. दानिश रिजवान ने कहा कि तेजस्वी यादव को महागठबंधन में जल्द कोआर्डिनेशन कमेटी का गठन करना चाहिए. वरना उनकी पार्टी में केवल लालू परिवार या तेजस्वी यादव बचेंगे. जब से राजद के 5 विधान पार्षदों ने पार्टी छोडी है. तब से लगातार दानिश रिजवान राजद पर इशारों-इशारों में ही हमला बोल रहे हैं. इससे पहले उन्होंने अपने ऑफिसियल फेसबुक अकाउंट से लिखा कि "राजद के 5 विधान पार्षद ने पार्टी छोडी, दो दर्जन विधायक भी छोड सकतें हैं तेजस्वी का साथ! तेजस्वी भाई को-आर्डिनेशन कमिटी बना लिजिए नहीं तो अकेले रह जाईएगा."
वहीं, दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का टेंशन बढ गया है. विधान पार्षदों के टूटने के बाद अब विधायकों के टूटने का खतरा बढ गया है. राजद पार्टी को करारा झटका लगा है. तेजस्वी यादव के लिए यह बडा झटका माना जा रहा है. ऐसे में तेजस्वी यादव ने राजद के सभी विधायकों को पटना आवास पर बुलाया है. जाहिर है तेजस्वी को अब विधायकों के भी टूटने का डर सता रहा है क्योंकि जदयू के नेताओं का कहना है कि कई बडे नेता जदयू में शामिल होने के लिए तैयार हैं. कई नेता लगातार संपर्क में बने हुए हैं. कहा तो यह भी जा रहा है राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के नेतृत्व से कई विधान पार्षद और विधायक तेजस्वी यादव की कार्यशैली से नाराज चल रहे हैं. पार्टी के अंदर कई दिनों से लगातार विरोध के स्वर उठ रहे थे. ऐसे में अभी भी पार्टी पर खतरा अभी टला नही है. भले ही जगदानन्द सिंह दल को नही छोडें, लेकिन कई विधायक मौके की तलाश में बताये जा रहे हैं.