Bihar Enrollment Scam: 1 साल में 700000 बच्चे गायब?, बिहार में एक और घोटाला, ई-शिक्षा कोष पर आधार कार्ड के साथ...
By एस पी सिन्हा | Published: December 11, 2024 05:43 PM2024-12-11T17:43:09+5:302024-12-11T17:43:52+5:30
Bihar Enrollment Scam: साल 2023-24 में बिहार के निजी स्कूलों में बच्चों का आंकड़ा 31 लाख 15 हजार था, वहीं 2024-25 में ई-शिक्षा कोष पर आंकड़ा करीब 23 लाख बच्चों का दिया गया है।
Bihar Enrollment Scam:बिहार में ई-शिक्षा कोष पर आधार कार्ड के साथ बच्चों के रिकॉर्ड लेने से पता चला है कि निजी स्कूलों में बड़ा घोटाला हुआ है। पिछले एक साल में करीब 7 लाख बच्चे स्कूलों से गायब हो गए हैं। इस खुलासे के बाद विभाग में हड़कंप मच गया। ई-शिक्षा कोष पर डाले गए दो साल के रिकॉर्ड से यह खुलासा हुआ है। एक साल में 31 लाख का आंकड़ा 23 लाख पर आया है। साल 2023-24 में बिहार के निजी स्कूलों में बच्चों का आंकड़ा 31 लाख 15 हजार था, वहीं 2024-25 में ई-शिक्षा कोष पर आंकड़ा करीब 23 लाख बच्चों का दिया गया है।
इसके साथ ही कई तरह की और गड़बड़ियों की पोल खोली है। शिक्षा विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार बिहार के निजी स्कूलों से केवल सात लाख बच्चे गायब ही नहीं हुए हैं बल्कि जिन बच्चों का नाम दाखिला रजिस्टर पर उल्लेखित किया गया है, उनमें कई बच्चों के नाम के साथ उनका आधार नंबर नहीं दर्ज है। ऐसे बच्चों की संख्या कुल बच्चों की संख्या का 25 फीसदी से अधिक बताया जा रहा है।
जिन 23 लाख बच्चों की संख्या बिहार के 38 जिलों से दी गई है, इनमें भी 6 लाख बच्चे बिना आधार के ही नामांकन वालों की सूची में हैं। इसका मतलब है कि इन बच्चों का दोहरा नामांकन हो सकता है या फिर इनका नाम सिर्फ रजिस्टर में दर्ज किया गया हो। शिक्षा विभाग द्वारा दी गई जानकारी में निजी स्कूलों से केवल सात लाख बच्चे गायब ही नहीं हुए हैं बल्कि जिन बच्चों का नाम दाखिला रजिस्टर पर उल्लेखित किया गया है। उनमें कई बच्चों के नाम के साथ उनका आधार नंबर दर्ज नहीं है। अगर दोहरा नामांकन नहीं है तो ये बच्चे कहां गए?
सरकारी स्कूलों में भी बच्चों की संख्या घट रही है। इसका मतलब है कि बच्चे न तो निजी स्कूलों में हैं और न ही सरकारी स्कूलों में। इस घोटाले में स्कूल प्रबंधन, शिक्षा विभाग के अधिकारी और अन्य लोग शामिल हो सकते हैं। शिक्षा विभाग ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच शुरू कर दी है।
विभाग का मानना है कि इस घोटाले में बड़े पैमाने पर सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है। दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। शिक्षा विभाग में पारदर्शिता लाने के लिए नए नियम बनाए जाएंगे। बच्चों के नामांकन और उपस्थिति की निगरानी के लिए एक प्रभावी व्यवस्था बनाई जाएगी। यह घोटाला बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।