बिहार चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर फ़िर सुलगी चिंगारी, कपिल सिब्बल और कार्ति चिदंबरम ने बोला हमला
By शीलेष शर्मा | Published: November 16, 2020 07:07 PM2020-11-16T19:07:33+5:302020-11-16T19:09:20+5:30
बिहार और देश के विभिन्न राज्यों में हुये उप चुनावों के जो नतीजे आये उसके बाद यह नेता फिर सक्रिय हो गये हैं। पार्टी के सांसद कपिल सिब्बल और कार्ति चिदंबरम ने नेतृत्व पर बिना नाम लिये हमला बोला।
नई दिल्लीः बिहार चुनाव नतीजों में कांग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी में नेतृत्व को लेकर फिर उन नेताओं के स्वर मुखर हो रहे हैं, जिन्होंने पिछले दिनों सोनिया गाँधी को पत्र लिख कर पार्टी की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाये थे।
23 नेताओं के आलोचना के स्वर को कार्य समिति की बैठक में दवा दिया गया था लेकिन बिहार और देश के विभिन्न राज्यों में हुये उप चुनावों के जो नतीजे आये उसके बाद यह नेता फिर सक्रिय हो गये हैं। पार्टी के सांसद कपिल सिब्बल और कार्ति चिदंबरम ने नेतृत्व पर बिना नाम लिये हमला बोला।
कार्ति चिदंबरम ने नेतृत्व को चेताया कि पार्टी को आत्म चिंतन की ज़रूरत है, ज़रूरत है कि हम विचार और आपसी संवाद करें। चिदंबरम ने यह टिप्पणी सिब्बल की चुनाव नतीज़ों पर आयी प्रतिक्रिया पर व्यक्त की।
दरअसल कपिल सिब्बल ने परोक्ष रूप से राहुल गाँधी और उनकी टीम पर हमला करते हुये कहा कि मज़बूर हो कर उनको सार्वजनिक प्रतिक्रिया व्यक्त करनी पड़ रही है क्योंकि बात रखने के लिये उनके पास कोई मंच नहीं है। आज पार्टी को ज़रुरत है कि अनुभवी ,राजनीतिक हक़ीक़त को समझने वाले जिनको संघटन चलाने का ज्ञान हो ,ऐसे नेताओं को आगे लाया जाये, सिब्बल का इशारा सीधे राहुल गाँधी की ओर था। उन्होंने दो टूक कहा कि अब आत्म चिंतन का समय खत्म हो चुका है। पार्टी को सशक्त नेतृत्व की ज़रूरत है। चुनाव नतीजों ने साबित कर दिया है कि पार्टी कमज़ोर हो चुकी है ,इसे स्वीकारना होगा।
आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने तो महागठबंधन की हार के लिये ठीकरा कांग्रेस के सिर फ़ोड़ते हुये राहुल -प्रियंका पर सीधा हमला किया ,हालांकि आरजेडी सांसद मनोज झा ने बात संभाली और कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है ,आरजेडी की राय नहीं।
परन्तु कांग्रेस नेता और महासचिव तारिक़ अनवर भी स्वीकारते हैं कि नतीज़ों में कांग्रेस की कमियाँ उजागर हुयी हैं। बगाबत का स्वर मुखर करने वाले काँग्रेस नेता फिर सक्रीय हो गये हैं। कश्मीर में गुलामनवी आज़ाद को किनारे लगाने के लिये पंचायत चुनाव में उनके समर्थकों को नेतृत्व के इशारे पर टिकट नहीं दिये जा रहे।
आज़ाद की राय थी कि फ़ारूक़ -महबूबा के फ़्रंट से कांग्रेस चुनावी समझौता न करे क्योंकि इससे जम्मू में कांग्रेस को नुकसान होगा लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने समझौता करने का निर्णय लेकर आज़ाद को संकेत दे दिया कि उनकी राय नेतृत्व को नहीं चाहिये।