बिहार चुनावः नोटा ने कई उम्मीदवारों के उम्मीदों पर फेरा पानी, कुल 7,06,252 वोट पडे़, 30 सीट पर हार-जीत...
By एस पी सिन्हा | Published: November 13, 2020 09:22 PM2020-11-13T21:22:36+5:302020-11-13T21:24:18+5:30
दो प्रमुख प्रतिद्वंदियों के बीच जीत-हार का अंतर नोटा से भी कम रहा है. इसतरह से बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिले जिन्हें इस बार कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं आए. नोटा के वोट ने उम्मीदवारों के जीत-हार पर भी कइ जगहों पर असर डाला है.
पटनाः बिहार में इस बार नोटा ने कई नेताओं की चूलें हिलाकर रख दी हैं. खासकर पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल में इसने सभे एके पसीने छुड़ा कर रख दिये हैं.
कई सीटें तो ऐसी भी रहीं, जहां आमने-सामने हुए दो प्रमुख प्रतिद्वंदियों के बीच जीत-हार का अंतर नोटा से भी कम रहा है. इसतरह से बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिले जिन्हें इस बार कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं आए. नोटा के वोट ने उम्मीदवारों के जीत-हार पर भी कइ जगहों पर असर डाला है.
पूरे बिहार में इस बार विधानसभा चुनाव में कुल 7,06,252 वोट नोटा को पडे़ हैं. प्रदेश की कुल 30 सीटें इस बार ऐसी रहीं जहां जीत-हार के अंतर नोटा में पडे़ वोट से कम थे. इन सीटों में अधिक जगहों पर हार महागठबंधन के प्रत्याशी को ही मिली है. करीब 20 से अधिक सीटें ऐसी हैं, जहां नोटा को मिले वोट से कम अंतर में महागठबंधन प्रत्याशी की हार हुई है.
वहीं कुछ सीटों पर यही हालत एनडीए के साथ भी है. इस चुनाव में एनडीए और महागठबंधन दोनों जब बहुमत के आंकडे़ के करीब ही आगे-पीछे जाकर रुकी है तो ये नोटा के वोट और सीटों पर उसका प्रभाव इस बात का संकेत देता है कि प्रत्याशी अगर जनता के मिजाज को देखकर दी गई होती तो ये नोटा में पडे़ वोट किसी न किसी दल के हिस्से ही आई होती और इससे राजनीतिक दलों को सीटों का फायदा भी हो सकता था.
पूर्व बिहार में जमुई, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर और खगड़िया में 25 सीटों पर नोटा को कुल 71,162 वोट मिले. वहीं कोसी की 13 सीटों पर 39,314 वोटरों की पसंद नोटा ही रही. जबकि सीमांचल में 76,899 लोगों ने नोटा के साथ ही जाना उचित समझा. अर्थात इन क्षेत्रों के 1,87,375 लोग ऐसे थे, जिन्हें इस बार कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं था और उन्होंने नोटा का बटन दबाकर अपनी नाराजगी जताई.