Bihar Election Exit Polls: बिहार विधानसभा चुनाव खत्म, एग्जिट पोल के अपने-अपने दावे पर 2015 में फेल हो गए थे सभी अनुमान

By एस पी सिन्हा | Published: November 7, 2020 08:24 PM2020-11-07T20:24:33+5:302020-11-07T20:30:21+5:30

Bihar Election Exit Polls: बिहार में चुनाव खत्म हो गए हैं और सभी की नजरें अब 10 नवंबर पर टिकी हैं जब नतीजे आएंंगे। इससे पहले आज कई सर्वे एजेंसियों और टीवी चैनलों के एग्जिट पोल आ गए।

Bihar Election Exit Polls 2020: Voting Ended know what happen in 2015 when all exit polls got failed | Bihar Election Exit Polls: बिहार विधानसभा चुनाव खत्म, एग्जिट पोल के अपने-अपने दावे पर 2015 में फेल हो गए थे सभी अनुमान

बिहार चुनाव खत्म, 10 नवंबर पर टिकी निगाहें (फाइल फोटो)

Highlightsबिहार विधानसभा चुनाव खत्म, 10 नवंबर को नतीजे, एग्जिट पोल में कांटे के मुकाबले का अनुमान2015 के बिहार चुनाव के एग्जिट पोल में तमाम दावे गलत साबित हुए थे, पिछले चुनाव में एनडीए और महागठबंधन में टक्कर था

पटना: बिहार में आखिरी चरण का मतदान संपन्न हो गया है. मतदान खत्म होने के ठीक बाद अलग-अलग न्यूज चैनलों ने अपने एग्जिट पोल दे दिए हैं. हालांकि 2015 के बिहार चुनाव के एग्जिट पोल में तमाम दावे गलत साबित हुए थे. पिछले चुनाव में एनडीए और महागठबंधन में टक्कर था. 

जदयू महागठबंधन का हिस्सा था, जिसमें राजद और कांग्रेस भी शामिल थे. पिछले अधिकांश एग्जिट पोल में एनडीए को महागठबंधन से बढत दिखाई गई थी. महागठबंधन से ज्यादा एनडीए को 100 और 127 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था. 

यहां तक कि महागठबंधन को बहुमत में भी नहीं दिखाया गया था. लेकिन इसका उलटा हुआ और महागठबंधन की सरकार बहुमत के साथ बनी. उस साल के 3 एग्जिट पोल में नीतीश कुमार को बढत दिखाई गई, लेकिन हल्के अंतर के साथ. कुछ एग्जिट पोल में भाजपा को ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया. 

इन सबसे अलग मतदाताओं ने महागठबंधन को बहुमत से सीटें देकर सरकार बनाने का रास्ता साफ कर दिया. 2015 के बिहार चुनाव के एग्जिट पोल में सिर्फ एक एजेंसी (एक्सिस एपीएम) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वापसी की उम्मीद जताई थी. किसी ने त्रिशंकु विधानसभा तो किसी ने भाजपा को बहुमत मिलने का आंकलन किया था. चुनावी नतीजे में तमाम कयास फेल हो गए. 

243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में कई एग्जिट पोल में भाजपा गठबंधन को 160 तक सीटें दी गई थी. हालांकि, 2015 के चुनाव परिणाम में राजद, जदयू और कांग्रेस गठबंधन ने सत्ता की चाबी हासिल की थी. 

2015 में आरजेडी को मिली थी सबसे ज्यादा सीटें

2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद को सबसे ज्यादा 80 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं दूसरे नंबर पर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू थी, जिसे 71 सीटें हासिल हुई थी.

इसके अलावा भाजपा को 54, कांग्रेस को 27, लोजपा को 2, रालोसपा को 2, हम को 1 और अन्य के हिस्से में 7 सीटें गई थी. बता दें कि 2015 में जदयू और राजद का गठबंधन था.

वहीं, बिहार में आज संपन्न हुए तीसरे चरण के मतदान में सबसे ज्यादा चुनौती राजद के सामने है क्योंकि असदुद्दीन ओवैसी और पप्पू यादव का मोर्चा कोसी-सीमांचल में समीकरण बिगाड सकता है.

कोसी और सीमांचल का इलाका एम-वाय (मुस्लिम-यादव) समीकरण पुष्ट करता है, जहां से राजद को बडी उम्मीदें लगी रहती हैं. इस बार पप्पू यादव ने जहां यादव वोट में सेंध लगाने की तैयारी की है तो मुस्लिम मतदाताओं को असदुद्दीन ओवैसी पिछले कई महीने से साध रहे हैं. 

पिछले विधानसभा चुनाव में राजद, जदयू और कांग्रेस का गठबंधन था. एम-वाय समीकरण के बावजूद राजद की स्थिति काफी अच्छी नहीं रही थी. राजद को 78 में 20 सीटें मिली थीं जबकि उससे ज्यादा जदयू ने 23 सीटें हासिल की थीं. कांग्रेस को भी 11 सीटें मिल गई थीं. पिछली बार महागठबंधन ने 78 में 54 सीटें हासिल जरूर की लेकिन राजद 20 सीटों के साथ जदयू के बाद रही. 

आरजेडी के लिए इस बार और मुश्किल लड़ाई?

इस बार राजद को उम्मीद है कि जदयू एनडीए में है, इसलिए मुस्लिम वोट उसके खाते में शिफ्ट होंगे. लेकिन जानकारों का मानना है कि इस बार राजद के लिए लडाई और मुश्किल है क्योंकि पप्पू यादव और ओवैसी का मोर्चा काफी सक्रिय है.

जानकारों के मुताबिक, पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम, मायावती की बहुजन समाज पार्टी जैसे छोटे दलों का अकेले के स्तर पर भले कोई प्रभाव न दिखता हो लेकिन इनका गठजोड बडी पार्टियों की जीत मुश्किल कर सकते हैं. 

कुछ हजार वोट भी इधर-उधर हो जाएं तो सीटें घट सकती हैं और वोट शेयर में घाटा देखा जा सकता है. इसे देखते हुए राजद को कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा है कि वह ज्यादा से ज्यादा सीटें निकाल ले ताकि छोटे दलों के प्रभाव को कम किया जा सके. तीसरे चरण में कांग्रेस कई महत्वपूर्ण सीटों पर लडाई में है.

जानकारों का यह भी मानना है कि कोसी-सीमांचल के यादव-मुस्लिम बहुल इलाके में भाजपा को कमतर आंकना नासमझी होगी. पिछली बार राजद-जदयू के गठबंधन के बावजूद भाजपा ने 20 सीटें निकाल ली थी. इसका एक कारण वोटों का ध्रुवीकरण है. 

मुस्लिम वोट जितना गोलबंद होगा, उतने ही गैर-मुस्लिम वोटों में भी गोलबंदी दिखेगी. भाजपा को लगता है कि इस बार जदयू उसके साथ है तो राजद या तीसरे मोर्चे के प्रभाव को कम करने में आसानी होगी. जदयू का मानना है कि भाजपा के साथ जाने से अगर मुस्लिम वोट उससे कटेंगे तो दूसरी ओर गैर-मुस्लिम वोट उससे जुडेंगे भी. 

Web Title: Bihar Election Exit Polls 2020: Voting Ended know what happen in 2015 when all exit polls got failed

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