बिहार: कोरोना वायरस के नाम पर संदिग्ध मरीजों के मरने का सिलसिला तेज, आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराना पड़ रहा महंगा
By एस पी सिन्हा | Published: April 6, 2020 05:11 PM2020-04-06T17:11:10+5:302020-04-06T17:11:10+5:30
बिहार के लिए फिलहाल, राहत की बात यह है कि पिछले 24 घंटे में कोरोना पॉजिटिव का कोई मरीज सामने नही आया है.
पटना: बिहार में कोरोना वायरस के नाम पर भर्ती संदिग्ध मरीजों के सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है. राजधानी पटना के विभिन्न संस्थानों में संदेह के आधार पर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करीब एक दर्ज के आसपास लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि आज बिहार के गोपालगंज में एक कोरोना संदिग्ध की मौत हो गई है. हालांकि बिहार के लिए फिलहाल, राहत की बात यह है कि पिछले 24 घंटे में कोरोना पॉजिटिव का कोई मरीज सामने नही आया है. सूबे में अबतक 32 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं.
इनमें से कुछ मरीज की इलाज के बाद टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव मिलने से उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है तो वहीं मुंगेर के पहले कोरोना पीड़ित की मौत हो गई थी. हालांकि, मौत के बाद उसके कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट आई थी.
इसबीच, आज गोपालगंज सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने इस संदिग्ध मरीज को इलाज के लिए पटना रेफर किया था. गोपालगंज से पटना आने के क्रम में ही उसकी रास्ते में मौत हो गई. उसकी कोरोना जांच के लिए सैंपल पटना भेजा गया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही उसके शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा. बताया जाता है कि मृतक 20 दिनों पूर्व सूरत से अपने घर लौटा था. वह गोपालगंज के सिधवलिया थाना के बरहिमा गांव का निवासी बताया जा रहा है. बिहार में अभी हालात ये हैं कि सामान्य फ्लू और सांस लेने में तकलीफ सुनते ही पीएमसीएच, एम्स पटना समेत अन्य सरकारी अस्पताल रोगियों को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करा दिया जा रहा है. लेकिन इस दौरान उनकी मौत हो जा रही है.
जानकारों के अनुसार कोरोना के संदिग्ध मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है, वैसी ही समस्याएं हृदय रोग समेत तमाम अन्य गंभीर रोगों में होती है. कोरोना संदिग्धों के लिए गाइडलाइन होने के कारण सामान्य फ्लू, बुखार और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण देखते ही चिकित्सक रोगियों का उपचार किए बिना उन्हें आइसोलेशन वार्ड में रेफर कर देते हैं. वहां जब तक नमूना लेकर भेजा जाता है और रिपोर्ट आती है तब तक कई रोगियों की मौत हो जा रही है.
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि ईलाज के अभाव में मरीज दम तोड दे रहे हैं या फिर जांच रिपोर्ट पर भी संदेह व्यक्त किया जा सकता है. हालांकि फिजिशियन डॉ. विजय कुमार का कहना है कि कोरोना के बीच गंभीर रोगियों के उपचार के लिए कोई गाइडलाइन नहीं होने से ऐसी समस्या आ रही है. पीएमसीएच में गुरुवार को मुजफ्फरपुर के 60 वर्षीय व्यक्ति की इंसेफेलाइटिस और बेगूसराय के 65 वर्षीय व्यक्ति की दमा से मौत हो गई. लेकिन उसके पहले उनपर कोरोना का संदेह व्यक्त किया गया था.
उसीतरह से शनिवार को रोहतास के टीबी पीडित युवक की मुंह से रक्तस्नाव से मौत हो गई. बाद में तीनों की कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आई. वहीं, पटना के एम्स में बने आइसोलेशन वार्ड में जिन तीन लोगों की मौत हुई थी, उनकी भी रिपोर्ट निगेटिव आई थी. जबकि एनएमसीएच में तो आइसोलेशन वार्ड में भर्ती होने की प्रक्रिया में ही औरंगाबाद के युवक की मौत हो गई थी. इनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी.
एम्स पटना में रविवार को 12 लोगों की फ्लू स्क्रीनिंग की गई, जिसमें संदेह के आधार पर एक मरीज को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर लिया गया है. नोडल अधिकारी डॉ. नीरज अग्रवाल ने बताया कि सैंपल के इंतजार में एम्स के आइसोलेशन वार्ड में आठ लोगों को रखा गया है. सभी लोगों की कोरोना जांच निगेटिव आई है. लेकिन हालात ये हैं कि संदेह के आधार पर आजकल सभी मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करा दिया जा रहा है, जिसके चलते उनका सही से इलाज नही हो पा रहा है और उनकी मौत हो जा रही है.