बिहार में कोविड कहर, मंत्री, आईएएस और जज कोरोना संक्रमित, प्रशासन विभाग में 31 कर्मचारी पॉजिटिव, जदयू और राजद कार्यालय बंद
By एस पी सिन्हा | Published: April 15, 2021 06:55 PM2021-04-15T18:55:17+5:302021-04-15T20:02:19+5:30
बिहार के मुख्य सचिव अरुण कुमार दो दिन पहले ही कोरोना जांच कराई थी, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. फिलहाल वह होम कोरेंटिन हैं.
पटनाः बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने के बाद स्थिति डरावनी होती जा रही है. कोरोना का खतरा हर दिन बढ़ता ही जा रहा है.
राज्य के एक दर्जन जिलों में तेजी से संक्रमण की रफ्तार बढ़ रही है. कोरोना की दूसरी लहर में मौत और संक्रमण के आंकडे़ हर दिन रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. राज्य में नेता, मंत्री, आईएएस और जज कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं. ना केवल आम लोग बल्कि कई सारे खास भी कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं.
वहीं, मुख्य सचिव अरुण कुमार दो दिन पहले ही कोरोना जांच कराई थी, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. फिलहाल वह होम कोरेंटिन हैं. इधर, राजधानी पटना में कोरोना का जबर्दस्त संक्रमण देखने को मिल रहा है. आज पता चला कि राजस्व एंव भूमि सुधार विभाग में सचिव कंचन कपूर सहित कई पॉजिटिव हैं. सचिवालय स्थित राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के दफ्तर में संक्रमण फैला है, जिसके बाद विभाग के दफ्तर को सील कर दिया गया है. दो दिन के लिए विभागीय सचिवालय बंद कर दिया गया है. वहीं समान्य प्रशासन विभाग में 31 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव निकले हैं.
वित्त विभाग में भी संक्रमितों की संख्या करीब-करीब दो दर्जन पहुंच गई है. राज्य के टॉप अधिकारियों के टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद सरकार के शीर्ष गलियारे में हड़कंप मचा हुआ है. अब यहां सैनिटाइजेशन का काम कराया जाएगा, जो कर्मचारी इस विभाग में काम करते हैं, उन्हें आइसोलेशन में जाने के लिए कह दिया गया है.
बिहार के दो सीनियर आईएएस अधिकारी बुधवार को भी संक्रमित पाए गए थे. गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद और वित्त विभाग के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है. आईपीएस अधिकारी बलराम चौधरी की टेस्ट रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है. इसके पहले पंचायती राज विभाग में भी इस संक्रमण देखने को मिला था.
पंचायती राज विभाग में तैनात आईएएस अधिकारी की मौत भी कोरोना से हो गई थी. वहीं, भाजपा कार्यालय खुला हुआ है. लेकिन, गेट पर मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई है. कार्यकर्ताओं और नेताओं को पार्टी कार्यालय आने के लिए मना किया गया है. राजधानी पटना में राजद कार्यालय के बाद जदयू कार्यालय को भी बंद कर दिया गया है.
कोविड संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बाद अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर का नेचर सफारी बंद कर दिया गया है. अगले आदेश तक ब्रह्म कुंड भी बंद रहेगा. तकनीकी खराबी के कारण रोपवे पहले से ही बंद है. राज्य के कई जिलों में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. इसी बीच कोरोना से जुडी ऐसी कई खबरें भी आ रही हैं जो थोड़ी अजीब सी होती हैं. एक ऐसी ही घटना भागलपुर में घटी है. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल (जेएलएमएनसीएच) के एमसीएच वार्ड में देर रात करीब 12 बजे एक कोराना पॉजिटिव महिला को भर्ती कराया गया था.
महिला की तबीयत में थोडा सुधार हुआ तो करीब साढे़ चार बजे महिला अपनी बीमार मां के पास जाने की जिद करने लगी. महिला डॉ विनय कुमार के यूनिट में भर्ती थी. महिला घर जाने की जिद करते हुए वार्ड के गेट पर आ गई. मरीज पॉजिटिव थी, इसलिए किसी गार्ड की हिम्मत नहीं हुई की उसे रोक सके. महिला सीधे अपने घर चली गई.
मरीज के बीएचटी में लामा अस्पताल से फरार घोषित कर दिया गया. अब परेशानी यह है कि महिला कोरोना पॉजिटिव है. अपने घर में जाने के लिए इसने किस वाहन का प्रयोग किया? वाहन का चालक कौन था? यह महिला रास्ते में कहां-कहां रूकी? समेत कई अहम जानकारी लेने का प्रयास अस्पताल प्रबंधन कर रहा है. पॉजिटिव होने से महिला जिससे भी मिलेगी उसे संक्रमण होने का खतरा होगा.
कोरोना नोडल पदाधिकारी डॉ हेमशंकर शर्मा ने बताया कि महिला को गंभीर हालत में लाया गया था. महिला के परिजनों ने जो मोबाइल नंबर दिया था. उस पर संपर्क करने का प्रयास किया गया. मरीज के फरार होने की सूचना अस्पताल अधीक्षक को दे दी गई है. इसबीच बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले में बढ़ोतरी के साथ ही रिकवरी रेट में लगातार गिरावट आ रही है.
स्थिति यह है कि 14 अप्रैल को रिकवरी रेट गिरकर 91.40 फीसदी पर आ गया, जो एक अप्रैल को 98.69 फीसदी था. इस तरह 14 दिनों में रिकवरी रेट 7.29 फीसदी कम हुआ है. वहीं, दूसरी ओर राज्य में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या में प्रतिदिन तेजी से वृद्धि हो रही है. एक्टिव मरीजों की संख्या एक अप्रैल को सिर्फ 1907 थी, जो 14 अप्रैल को बढ़ कर 23,724 हो गयी.
14 दिनों में एक्टिव मरीजों की संख्या में 12 गुने से अधिक वृद्धि हुई है. इसका नतीजा है कि अस्पतालों में मरीज बढ़ रहे हैं और बेड की उपलब्धता में लगातार कमी आ रही है. वहीं, जांच सेंटरों पर कोरोना जांच करानेवालों की लंबी कतार दिख रही है. इसके अलावा जिन लगों को आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए सैंपल सरकारी अस्पतालों में दिये गये हैं, उनकी रिपोर्ट मिलने में छह से आठ दिनों का भी समय लग रहा है.