कोरोना का ये कैसा खौफ! बिहार में जज बेटे ने पिता का शव लेने से किया इंकार, फिर ऐसे कराया अंतिम संस्कार

By एस पी सिन्हा | Published: May 9, 2021 03:30 PM2021-05-09T15:30:50+5:302021-05-09T15:33:19+5:30

कोरोना के इस संकट काल में कई ऐसे उदाहरण मिले हैं जहां रिश्तों और इंसानियत पर से भी भरोसा उठना नजर आया है। ऐसा ही एक उदाहरण बिहार के सीवान में देखने को मिला है।

Bihar Coronavirus siwan where Judge son refuses to take father dead body | कोरोना का ये कैसा खौफ! बिहार में जज बेटे ने पिता का शव लेने से किया इंकार, फिर ऐसे कराया अंतिम संस्कार

कोरोना काल में रिश्ते भी तोड़ रहे दम (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsबिहार के सीवान जिले की घटना, जज ने अपने वृद्ध पिता का शव अपनाने से किया इनकारजज बेटे ने एक वकील को अधिकृत करते हुए प्रशासन से पिता का अंतिम संस्कार करवायाकोरोना से मौत के बाद अस्पताल में 20 घंटे तक पड़ा रहा पिता का शव

पटना: कोरोना के जारी तांडव के बीच एक तरफ ऐसे भी लोग हैं जो जान हथेली पर लेकर दूसरों की हर संभव मदद कर हैं तो वहीं, दूसरी ओर कुछ ऐसे भी हैं जिनकी पहल से इंसानियत दम तोड़ रही है. कोरोना के खौफ से अब कई अपने भी अपनों का सथ छोड़ दे रहे हैं. ऐसी ही एक खबर सीवान जिले से है, जहां एक जज ने अपने वृद्ध पिता के शव को ही अपनाने से इंकार कर दिया. 

यही नही उन्होंने एक वकील को अधिकृत करते हुए प्रशासन से उनका अंतिम संस्कार कराने का निवेदन कर दिया. कोरोना संक्रमण से पिता की मौत क्या हुई जज साहब ने पिता के अंतिम दर्शन व विदाई में भी शामिल होना उचित नही समझा. 

प्राप्त जानकारी के अनुसार सीवान शहर के डायट परिसर में चल रहे डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में शुक्रवार की रात एडीजे-छह जीवन लाल के 70 वर्षीय पिता ब्रह्मदेव लाल की मौत हो गई. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने रात में ही इसकी सूचना दे दी थी. 

अस्पताल में 20 घंटे पड़ा रहा पिता का शव

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जज साहब ने कहा कि डेड बॉडी हम अपने यहां नहीं लायेंगे. पूरा परिवार संक्रमित हो जायेगा. आप अपने स्तर से दाह-संस्कार करा दीजिए. ऐसे में करीब 20 घंटे तक शव यूं हीं अस्पताल में पड़ा रहा. 

न्यायाधीश ने शव ले जाने की बजाए एक पत्र जारी कर एक वकील गणेश राम को शव लेने को लेकर अधिकृत कर दिया. इस मामले को देखते हुए डीएम अमित पांडेय के हस्तक्षेप के बाद प्रभारी सिविल सर्जन डॉ एमआर रंजन सेंटर पहुंचकर शव को अधिकृत व्यक्ति को सौंप दिया. 

इसके बाद एसडीओ व नोडल अधिकारी की मौजूदगी में शव दिया गया और समाजसेवी निवास यादव के सहयोग से दाहा नदी के किनारे जज साहब के पिता का अंतिम संस्कार किया गया. स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसकी फोटोग्राफी भी कराई गई.

ऑक्सीजन लेबल कम पर होने पर भी नहीं मिला साथ

जज जीवनलाल सीवान में अकेले रहते हैं. इनका पूरा परिवार अभी दिल्ली में है. डॉ एमआर रंजन ने बताया कि जज साहब ने मुझे प्रेषित पत्र में अधिवक्ता गणेश राम को डेड बॉडी देने की बात लिखी थी. 

उन्होंने बताया कि तीन दिन पहले जज साहब के पिताजी का ऑक्सीजन लेबल कम होने पर डीसीएचसी में भर्ती किया गया था. कोई अटेंडेंट नहीं होने से काफी परेशानी हो रही थी. 

सिविल सर्जन ने कहा कि जज साहब को डेड बॉडी ले जाने के लिए कई बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया. उन्होंने बताया कि इसके बाद उन्होंने एक वकील के माध्यम से शव के दाह संस्कार की अनुमति दी.

Web Title: Bihar Coronavirus siwan where Judge son refuses to take father dead body

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