बिहार में टूट सकते हैं कांग्रेस के 19 में से 13 विधायक, हाईकमान से नाराज, जदयू के संपर्क में कई बड़े नेता

By एस पी सिन्हा | Published: June 14, 2021 05:26 PM2021-06-14T17:26:31+5:302021-06-14T19:20:01+5:30

बिहार लोजपाः असंतुष्ट सांसदों में चाचा पशुपति कुमार पारस, प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीना देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं, जो चिराग के काम करने के तरीके से नाखुश हैं.

Bihar Congress sinking ship Crisis ljp congress 19 mla 13 mla may join jdu cm nitish kumar sonia rahul gandhi patna | बिहार में टूट सकते हैं कांग्रेस के 19 में से 13 विधायक, हाईकमान से नाराज, जदयू के संपर्क में कई बड़े नेता

जानकारों का यहां तक मानना है कि जदयू के इस ऑपरेशन को एनडीए की ताकत बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. (file photo)

Highlightsचिराग अब पार्टी में अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं.जदयू लंबे समय से लोजपा अध्यक्ष को अलग-थलग करने की कोशिश कर रही थी.बिहार में अभी जदयू के पास 46, भाजपा के पास 71 और राजद के पास 75 विधायक हैं. वहीं कांग्रेस के पास वर्तमान में 19 विधायक है.

पटनाः लोजपा में हुई बगावत के बाद अब कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है. चर्चा है कि कांग्रेस को तोड़कर एनडीए को मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है.

इसके लिए जदयू और भाजपा दोनों अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस के कई नेताओं ने जदयू के साथ आने के संकेत भी दिए हैं. अगर ये अटकलें सही साबित होती हैं तो जल्द ही बिहार में कांग्रेस पार्टी में बड़ी टूट देखने को मिल सकती है. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के कई नेताओं की जदयू के नेताओं से बात भी हुई है. बस इंतजार संख्या बल का है.

ताजा घटनाक्रम के बाद कांग्रेस को अपने विधायकों के टूटने का डर सताने लगा है. पार्टी के राज्य में 19 विधायक है. बताया जा रहा है कि पार्टी के 13 विधायक कभी भी मोर्चा खोल सकते हैं. बताया जा रहा है कि पार्टी के अधिकतर विधायक कांग्रेस हाईकमान साथ नाराज चल रहे हैं. दरअसल, चुनाव के बाद से ही राज्य में प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने की मांग की जा रही है.

हाथ का साथ छोड़कर जदयू का दामन थाम सकते हैं

वहीं अभी तक राज्य में स्थायी प्रभारी भी नियुक्त नहीं किया गया है, जिसके वजह से विधायकों में आक्रोश है. वैसे राज्य में यह बात काफी वक्त से तैर रही है कि कांग्रेस के कई विधायक जदयू के संपर्क में हैं और ये सभी आने वाले दिनों में हाथ का साथ छोड़कर जदयू का दामन थाम सकते हैं. जानकारों का यहां तक मानना है कि जदयू के इस ऑपरेशन को एनडीए की ताकत बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.

दरअसल, पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही यह चर्चा जोर पकड़ने लगी थी कि कांग्रेस विधायक दल में बड़ी टूट हो सकती है. तब यह कहा गया था कि पार्टी के 11 विधायकों का एक धड़ा टूटकर जदयू में जाने के लिए तैयार है. तब यह चर्चा भी जोरों पर थी कि जदयू में कांग्रेस से टूटकर जो विधायक जाने वाले हैं.

13 विधायक कांग्रेस से टूटेंगे तो पूरी पार्टी विधानसभा में टूट जाएगी

वे सब जदयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह तथा सूबे की सरकार में मंत्री अशोक चौधरी के नजदीकियों में से हैं. यहां बता दें कि बिहार विधान सभा में कांग्रेस के 19 विधायक हैं. कांग्रेस के इन विधायकों को तोड़ने के लिए दो तिहाई विधायकों को तोड़ना जरूरी होगा यानी कि कम से कम 13 विधायक कांग्रेस से टूटेंगे तो पूरी पार्टी विधानसभा में टूट जाएगी.

टूट के बाद सभी विधायक किसी एक दल में शामिल होकर अपना समर्थन दे सकते हैं. अब इस बात की चर्चा जोरों पर हैं कि एनडीए के कुछ बडे़ नेता इसी मिशन में लगे हैं. सूत्रों की मानें तो इस मिशन में रुकावट सूबे में कोरोना संक्रमण को देखते हुए रोक दिया गया था. कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक रहे भरत सिंह ने कुछ माह पहले ही यह कह दिया था कि कांग्रेस के करीब 11 ऐसे विधायक हैं तो चुनाव तो जीत चुके हैं, लेकिन उनको पार्टी से कोई लेना देना नहीं है. इन विधायकों की ही जदयू में जाने की संभावना है.

बिहार में अभी जदयू के पास 46, भाजपा के पास 71 एलएलए हैं

यहां उल्लेखनीय है कि बिहार में अभी जदयू के पास 46, भाजपा के पास 71 और राजद के पास 75 विधायक हैं. वहीं कांग्रेस के पास वर्तमान में 19 विधायक है. राज्य में 127 सीटों के साथ एनडीए की बहुमत वाली सरकार है. इसमें जीतन राम मांझी की पार्टी के चार और मुकेश सहनी की पार्टी के चार विधायकों का समर्थन शामिल है.

गौरतलब है कि बिहार की राजनीति में अचानक से कोहराम मचने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. पिछले दिनों मुकेश सहनी और जीतनराम मांझी के बयानों ने नीतीश कुमार के साथ भाजपा की चिंता बढा दी. जहां भाजपा पर जीतनराम मांझी हमलावर दिखें तो वहीं मुकेश सहनी की मांगों ने कुछ और ही रंग दे दिया. शायद यही वजह है कि एनडीए कोई रिस्क लेना नहीं चाहती. यदि चार पैरों में से एक भी पैर टूटती है तो कुर्सी गिरने का खतरा है.

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