बिहारः बिगड़ती कानून व्यवस्था पर सीएम नीतीश ने लगाई अफसरों की क्लास, दिए सख्त दिशा-निर्देश
By एस पी सिन्हा | Published: September 13, 2018 04:02 PM2018-09-13T16:02:50+5:302018-09-13T16:02:50+5:30
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलिस को आदेश दिया है कि वह किसी भी मामले में फरियादी को वापस नहीं भेजेगी. पुलिस मुकदमा दर्ज करेगी और जिस थाना क्षेत्र की घटना है उस थाने को केस ट्रांसफर कर देगी।
पटना, 13 सितंबरःबिहार में लगातार हो रही आपराधिक और मॉब लिचिंग की घटनाओं की वजह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष के निशाने पर हैं। यही वजह है कि उन्होंने मुख्य सचिव डीजीपी और गृह सचिव समेत सभी आलाधिकारियों के साथ बैठक कर राज्य की कानून व्यवस्था की समीक्षा की है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को जिम्मेदारी तय करने की हिदायत दी और कहा कि पुलिस मुख्यालय खुद इसकी मॉनीटरिंग करे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलिस को आदेश दिया है कि वह किसी भी मामले में फरियादी को वापस नहीं भेजेगी. पुलिस मुकदमा दर्ज करेगी और जिस थाना क्षेत्र की घटना है उस थाने को केस ट्रांसफर कर देगी। एफआईआर नहीं करने वाले थानेदारों पर कार्रवाई होगी। साथ ही मुख्यमंत्री ने आला अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह राज्य में सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं का विश्लेषण करें। आखिर क्या कारण है कि जिन स्थानों पर पहले तनाव की घटनाएं घटित होती थीं वहां काफी कमी आई है। नई जगहों पर इस तरह की घटनाएं हो रही हैं. उन्होंने कहा है कि जो संवेदनशील इलाके हैं, उन पर विशेष तौर पर निगरानी बनाये रखने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि विधि व्यवस्था और केसों के अनुसंधान को अलग-अलग करने के प्रावधान अविलंब सुनिश्चित करें। 2006 में जनता दरबार कार्यक्रम के बाद 2016 में लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून लागू किया गया। इसमें यह देखा गया कि बिहार में 60 फीसदी से अधिक मामले भूमि विवाद से जुडे हैं। इसका समाधान सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने कहा कि इंटेलिजेंस के काम में लगे लोगों द्वारा सही जानकारी दिये जाने पर उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा है कि तकनीक का दुरुपयोग कर वाहनों के फर्जी कागजात बनाने वाले रैकेटियरों को चिह्नित कर उन पर पुलिस प्रशासन सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे।
बैठक में अपराध नियंत्रण, विधि व्यवस्था में सुधार, आर्थिक अपराध, लूट, हत्या, दुष्कर्म, रेल व बैंक डकैती, वाहन चोरी, वायरल वीडियो, एससी-एसटी के विरुद्ध आपराधिक घटनाओं समेत कई मुद्दों पर समीक्षा की गई है। कितने अपराध हो रहे हैं, इसके साथ यह भी देखें कि किस तरह के अपराध हो रहे हैं। इसका विश्लेषण करें। राष्ट्रीय स्तर पर जो नई तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, उसे भी देखें। तय समय सीमा में एफएसएल जांच का काम पूरा हो। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री मॉब लिंचिंग और सांप्रदायिक तनाव को लेकर खासतौर पर चिंतित दिखे।
उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक अपने-अपने जिले में इसकी समीक्षा करें। इसके अलावा लोगों से संवाद करें। उन्होंने आगे कहा कि राज्य के कानून व्यवस्था में किसी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जो भी कमियां हैं, पुलिस थानों में उसे अविलंब पूरा करना चाहिए। यह भी कहा कि अपराध जांच और विधि व्यवस्था के लिए अलग-अलग टीमें बनाई जाएं. चार्जशीट मामलों की स्पीडी ट्रायल हो और सांप्रदायिक मामलों की जल्द सुनवाई हो। मुख्यमंत्री ने आगे कहा है कि अपराध के मामलों में थानों की मॉनीटरिंग की जाए और वारंट की समीक्षा की जाए। ये मॉनीटरिंग डीजीपी के स्तर पर हो। उन्होंने कहा कि हर परिस्थिति में बिहार में कानून का राज कायम रहे। इसके लिए जो भी सुविधा चाहिए लीजिए लेकिन अपराधियों के मनोबल को तोड़िए।