Bihar Caste Census: जाति आधारित गणना की कवायद 'ऐतिहासिक' कदम, तेजस्वी ने कहा- भाजपा को छोड़कर सभी दल तैयार
By एस पी सिन्हा | Published: January 7, 2023 03:56 PM2023-01-07T15:56:44+5:302023-01-07T15:58:02+5:30
Bihar Caste Census: बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि जाति आधारित गणना की यह कवायद सरकार को समाज के कमजोर वर्गों के लाभ की दिशा में काम करने के लिए वैज्ञानिक आंकड़े उपलब्ध कराएगी।
पटनाः बिहार में आज से शुरू हुए जातीय जनगणना को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ऐतिहासिक करार दिया है। उन्होंने कहा कि इसकी मांग लालू जी पहले से ही करते रहे हैं, जिसे लेकर हम सड़क पर भी उतरे थे और मनमोहन सिंह की सरकार ने जाति जनगणना सर्वे भी कराया था, लेकिन भाजपा ने इसके डेटा को भ्रष्ट बता दिया था।
ये लोग नहीं चाहते कि जाति जनगणना हो। अब आज से इसकी शुरुआत हो गई है। इससे सही डेटा आएगा तो हम उसी हिसाब से बजट का स्वरूप तैयार करेंगे और कल्याणकारी योजना बनेगा। उप मुख्यमंत्री ने कहा पिछड़ा, गरीब और दलित विरोधी भाजपा शुरू से ही इसका विरोध करते रही है। लेकिन नीतीश कुमार ने राजद की उस मांग को जरूरी समझा और आज इसकी शुरुआत हो रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा नहीं चाहती थी कि जाति जनगणना हो। यहां तक कि जब राजद की मांग पर नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर देश स्तर पर जाति जनगणना की मांग तो भाजपा सरकार ने संसद में ही इसे नकार दिया। जातीय जनगणना को जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि इस समाज में जो अंतिम पायदान पर है, वह मुख्य धारा में आ जाएगा।
जब समाज के सभी वर्गों के लोगों के बारे में सही वैज्ञानिक डेटा आ जाएगा तब उस अनुरूप उन वर्गों के उत्थान के लिए काम किया जा सकेगा। जो समाज में सबसे कमजोर और पिछड़ा रहेगा उसे टारगेट करके उनकी बेहतरी के लिए काम हो सकेगा।
राज्य में विकास की दिशा में यह बड़ा बदलाव लायेगा। भाजपा इसी से डरी हुई है। भाजपा के लोग घबराए हुए हैं। यही कारण है कि भाजपा ने हमेशा ही जातीय जनगणना का विरोध किया है। वहीं, जनगणना की मांग करने वाले लोगों का भी कहना है कि कोटा को संशोधित करने के लिए जाति आधारित जनगणना की सख्त जरूरत है।
तेजस्वी का यह बयान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस बयान के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जाति आधारित गणना सभी के लिए फायदेमंद हो सकती है। बिहार की राजनीति में जाति-आधारित गणना एक प्रमुख मुद्दा रही है।
नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और महागठबंधन के सभी घटक दल लंबे समय से मांग कर रहे थे कि यह कवायद जल्द से जल्द शुरू की जाए। केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 2010 में राष्ट्रीय स्तर पर यह अभ्यास करने की सहमति जताई थी, लेकिन जनगणना के दौरान एकत्र किए गए डेटा को कभी तैयार नहीं किया गया।
केंद्र की मौजूदा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति आधारित गणना करने में असमर्थता व्यक्त करने के मद्देनजर बिहार सरकार ने यह कवायद शुरू की है। पटना में पूरा अभ्यास दो चरणों में किया जाएगा। प्रथम चरण में, जो 21 जनवरी तक पूरा हो जाएगा, जिले के सभी घरों की संख्या की गणना की जाएगी।
दूसरे चरण में मार्च से सभी जातियों, उप-जातियों और धर्मों के लोगों से संबंधित डेटा जुटाया जाएगा। पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने शनिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “गणना करने वाले कर्मी सभी लोगों की वित्तीय स्थिति के बारे में भी जानकारी दर्ज करेंगे।
मैंने आज सुबह पटना में बिस्कोमान भवन के पास बैंक रोड क्षेत्र में राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा चलाए जा रहे अभ्यास का निरीक्षण भी किया।” उन्होंने कहा, “अभ्यास बहुत सुचारू रूप से किया जा रहा है। पटना जिले के सभी 12,696 प्रखंडों में इसे अंजाम दिया जा रहा है।”
पटना में जाति आधारित गणना को मई 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पहले, यह अभ्यास फरवरी 2023 तक पूरा किया जाना था। राज्य सरकार इस अभ्यास के लिए अपने आकस्मिक कोष से 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। सर्वेक्षण के लिए सामान्य प्रशासन विभाग नोडल प्राधिकारी है।