बिहार कैबिनेट की बैठक कल, 23 नवंबर को विधानसभा का विशेष सत्र, पहली बार राज्य में दो डिप्टी सीएम
By एस पी सिन्हा | Published: November 16, 2020 08:07 PM2020-11-16T20:07:09+5:302020-11-16T20:37:59+5:30
मंत्रिमंडल में नीतीश कुमार के अलावे कुल 13 लोगों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है. आज शपथ लेने वाले मंत्रियों में भाजपा के सात व जदयू के पांच नाम शामिल हैं. इसके अलावा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी के एक-एक मंत्री भी शपथ लिया.
पटनाः बिहार में नई सरकार ने शपथ ले लिया है. नीतीश कुमार ने सातवीं बार मुख्यमंत्री पद और गोपनियता की शपथ ली. राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल फागू चौहान ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.
मंत्रिमंडल में नीतीश कुमार के अलावे कुल 13 लोगों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है. आज शपथ लेने वाले मंत्रियों में भाजपा के सात व जदयू के पांच नाम शामिल हैं. इसके अलावा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी के एक-एक मंत्री भी शपथ लिया. कल नवगठित बिहार कैबिनेट की बैठक होगी, 23 नवंबर को राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा.
इसतरह से नीतीश कुमार सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर भारतीय राजनीति के इतिहस में कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिये है. वहीं दूसरे नंबर पर भाजपा के तारकिशोर प्रसाद ने मंत्री के रूप में शपथ लिया. वहीं तीसरे नंबर पर रेणु देवी ने पद व गोपनीयता की शपथ ली. बिहार में पहली बार 2 उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं.
इसके पहले नीतीश कुमार के कैबिनेट में भाजपा की तरफ से केवल एक उप मुख्यमंत्री हुआ करते थे. लेकिन सुशील मोदी की छुट्टी करने के बाद अब भाजपा नेता किशोर प्रसाद और रेणु देवी को जिम्मेदारी सौंपी है. शपथ ग्रहण समारोह में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस के साथ भाजपा के कई दिग्गज नेता राजभवन पहुंचे थे. उधर राजद सहित महागठबंधन दल ने शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार कर किया. समारोह में महागठबंधन का कोई नेता शामिल नहीं हुए.
तार किशोर प्रसाद कटिहार विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर सदन पहुंचे हैं
वहीं, भाजपा की ओर से उप मुख्यमंत्री बनाये गये तार किशोर प्रसाद कटिहार विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर सदन पहुंचे हैं. वह चौथी बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं जबकि रेणु देवी भी पांचवीं बार जीत कर सदन पहुंची हैं. रेणु देवी बेतिया विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर आती हैं.
बिहार में पहली बार उप मुख्यमंत्री का पद किसी महिला को सौंपा गया है. रेणु देवी अब बिहार की पहली महिला उप मुख्यमंत्री बनी हैं. इसतरह से पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने नया प्रयोग करते हुए किसी महिला को उप मुख्यमंत्री की कुर्सी दी है.
रेणु देवी का कहना है कि यह एक बड़ी जिम्मेदारी
रेणु देवी का कहना है कि यह एक बड़ी जिम्मेदारी है. अगर बिहार की जनता ने एनडीए को चुना है तो हम मिलकर काम करेंगे. वहीं, तारकिशोर प्रसाद ने भी खुशी जाहिर की है. इसके पहले बिहार के उप मुख्यमंत्री के पद पर सुशील कुमार मोदी काम कर चुके हैं.
वहीं, पिछली सरकार में मंत्री रहे विजेंद्र यादव ने एक बार फिर शपथ ली है. सुपैल से जदयू के टिकट पर विधायक हैं और अब तक 8 बार चुनाव जीत चुके हैं. वह 1990 से लगातार जीतते रहे हैं. जेपी आंदोलन से उन्होंने राजनीति की शुरुआत की थी. लालू यादव के साथ भी काम कर चुके हैं और उनकी कैबिनेट में भी मंत्री रह चुके हैं. पिछली सरकार में ऊर्जा मंत्री थे.
जदयू के विजय चौधरी ने मंत्री पद की शपथ ली
इसके साथ ही जदयू के विजय चौधरी ने मंत्री पद की शपथ ली. नीतीश कुमार के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं. अभी वह विधानसभा अध्यक्ष थे. छह बार विधायक बन चुके हैं. इसबार वह सरायरंजन सीट से जीते हैं. वहीं, जदयू के कोटे से मेवालाल चौधरी ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली. तारापुर विधानसभा से जदयू के टिकट पर जीते हैं.
बिहार में कृषि विश्वविद्यालय के वीसी रह चुके हैं. बतौर वीसी रहते हुए इनपर भ्रष्टाचार का आरोप लग चुका है. इन पर जूनियर वैज्ञानिक की बहाली में धांधली और भवन निर्माण में घपला का आरोप है. निगरानी ब्यूरो ने इस मामले की जांच की थी. मेवालाल चौधरी पर स्पेशल विजिलेंस ने 2017 में केस दर्ज किया था और भागलपुर के सबौर थाने में भी 2017 में केस दर्ज हुआ था. जदयू के विधायक मेवालाल चौधरी के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 46,7 468, 471 और 120 बी के तहत भ्रष्टाचार के मुकदमा दर्ज है. इनके खिलाफ अभी भागलपुर के एडीजे-1 की अदालत में मामला लंबित है.
जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोर चौधरी ने मंत्री पद की शपथ ली
जबकि जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोर चौधरी ने मंत्री पद की शपथ ली. 2018 में कांग्रेस छोडकर जदयू में शामिल हुए थे. अशोक चौधरी फिलहाल किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें जल्द ही विधान परिषद में राज्यपाल के मनोनीत कोटे से सदस्य बना दिया जायेगा. इसके साथ ही फुलपरास से जदयू विधायक शीला मंडल को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. उन्होंने कांग्रेस के कृपानाथ पाठक को मात दी है.
इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने मंत्री पद की शपथ ली. हम की संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं. 2018 से बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं. 2015 से कुटंबा से चुनाव हार गए थे. लेकिन अब हम पार्टी की तरफ से संतोष सुमन ने मंत्री पद की शपथ ली है.
बॉलीवुड के सेट डिजाइनर से नेता बने मुकेश साहनी भी बिहार सरकार में मंत्री बने
वहीं, बॉलीवुड के सेट डिजाइनर से नेता बने मुकेश साहनी भी बिहार सरकार में मंत्री बने हैं. विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख साहनी इसबार सिमरी बख्तियारपुर से चुनाव लडे थे, लेकिन हार गए. पार्टी ने 11 में से 4 सीटों पर जीत दर्ज की. निषाद समुदाय के बडे़ नेता हैं. मुंबई में सेल्समैन के तौर पर अपना सफर शुरू करने वाले मुकेश साहनी बाद में फिल्मों के डिजाइन करने के काम में जुट गये. उन्होंने देवदास और बजरंगी भाईजान जैसी फिल्मों के लिए डिजायन का काम किया था, जिससे वो काफी लोकप्रिय हुए थे. 2014 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनाव प्रचार किया, लेकिन अपनी मांग पूरी नहीं होने पर उन्होंने खुद को भाजपा से अलग कर लिया. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में उनकी पार्टी वीआईपी ने एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लडने का फैसला लिया और चार सीटों पर पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की.
इसके साथ ही नीतीश सरकार में भाजपा कोटे से मंगल पांडेय ने फिर से शपथ ग्रहण किया है. इसके पहले वो स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावे भाजपा विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह को भी मंत्री पद का जिम्मा दिया गया है. आरा से चुनाव जीतने वाले अमरेंद्र प्रताप सिंह बिहार विधानसभा के पूर्व उप सभापति भी रह चुके हैं. वहीं, भाजपा विधायक और पार्टी के दिग्गज नेता रामप्रीत पासवान को नीतीश सरकार में मंत्रीपद का जिम्मा दिया गया है. रामप्रीत पासवान ने राजनगर से विधानसभा का चुनाव जीता है.
Sushil Modi Ji is not at all upset. He is an asset to us. Party will think about him, a new responsibility will be given to him: Devendra Fadnavis, BJP in-charge for #BiharElectionshttps://t.co/OKCpu55gA0
— ANI (@ANI) November 16, 2020
उन्होंने राजद के रामावतार पासवान को मात दी है. रामप्रीत पासवान ने मैथिली में शपथ ली. जबकि दरभंगा के जाले सीट से जीते जीवेश मिश्रा को भी मंत्री पद का जिम्मा दिया गया है. कांग्रेस के मशकूर अहमद को मात दी है. 2015 में भी इस सीट से जीते थे. उन्होंने मैथिली भाषा में शपथ ली. वहीं, औराई सीट से जीते भाजपा नेता राम सूरत राय को भी मंत्रीपद की शपथ दिलाई गई. वह औराई से दूसरी बार चुनाव जीते हैं. इन सबके बीच नीतीश कुमार की राह आसान नहीं दिख रही है. भाजपा के बडे़ भाई की भूमिका में आने से नीतीश कुमार की परेशानी बढ़ सकती है.
नीतीश कुमार के सिर पर सजने वाला ताज कांटों भरा होगा
विधानसभा चुनाव में भाजपा के 74 सीटें जीतने और जदयू के 43 सीटों पर सिमट जाने से नीतीश कुमार के सिर पर सजने वाला ताज कांटों भरा होगा. ऊपर से भाजपा कोटे से तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को उप मुख्यमंत्री बनाने से सरकार में नीतीश कुमार का रोल बहुत सीमित दिख सकता है. नीतीश कुमार को बिहार में कई चुनौतियों से जूझना होगा.
ये भारतीय जनता पार्टी का फैसला है। हमारा गठबंधन है, हम लोग मिलकर काम करते हैं, मिलकर काम करेंगे : बिहार CM नीतीश कुमार, बिहार की नई सरकार में सुशील मोदी के उपमुख्यमंत्री ना बनने के सवाल पर pic.twitter.com/oF1OiR5cEH
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 16, 2020
इसतरह से नीतीश सरकार में पिछली सरकार के 13 मंत्री नहीं रहे. सबसे पहले पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी इस बार बिहार सरकार में शामिल नहीं हुए. वहीं दो कपिल देव कामत (जदयू) और विनोद कुमार सिंह (भाजपा) दिवंगत हो चुके हैं, जबकि शेष दस चुनाव हार गए हैं.
इनमें जदयू के आठ और भाजपा के दो मंत्री शामिल हैं. भाजपा के सुरेश शर्मा और ब्रजकिशोर बिंद वहीं जदयू के कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, जयकुमार सिंह, शैलेश कुमार, लक्ष्मेश्वर राय, संतोष निराला, खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद, रमेश ऋषिदेव, रामसेवक सिंह भी हार गए हैं।
बिहार विधानसभा के अध्यक्ष को लेकर दोनों दलों में जिच फंस गई
उधर, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष को लेकर दोनों दलों में जिच फंस गई है. संख्या बल के हिसाब से भाजपा ने इस पद के लिए दावा कर दिया है, जबकि जदयू पिछली सरकार की तरह इस पद को अपने पास रखना चाहती है. उसका तर्क यह भी है कि विधान परिषद के कार्यकारी सभापति भाजपा के ही हैं, जबकि उस हाउस में जदयू के भाजपा से अधिक सदस्य हैं. ऐसे में जदयू इसे अपने पास रखना चाहती है. लेकिन सूत्रों की अगर मानें तो भाजपा के वरिष्ठ नेता नंद किशोर यादव को विधानसभा का अध्यक्ष बनाने की तैयारी चल रही है.
इन सबके साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले चार दशक से बिहार की राजनीति का केंद्र बने हुए हैं. नीतीश कुमार ने अपने राजनीति की शुरुआत जेपी आंदोलन और लालू प्रसाद यादव के साथ रहकर की. 1977 के बाद हिंदी भाषी राज्यों में लगातार चौथी पारी का जनादेश हासिल करने वाले नीतीश पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं.
गठबंधन में लगातार चार चुनावी जीत के बाद मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड भी अब नीतीश के नाम दर्ज हो गया. उल्लेखनीय है कि बिहार चुनाव में एनडीए को 125 और महागठबंधन को 110 सीटें मिली है. सबअसे बड़ी बात तो यह है कि चुनाव परिणाम में राजद 75 सीट जीतकर सबसे बडी पार्टी के रूप में उभरी है. दूसरी तरफ भाजपा को 74 तो जदयू को 43 सीटें मिली है.