बिहार के बक्सर में गंगा नदी में बड़े पैमाने पर मिली लाशों के बाद हरकत में आया प्रशासन, डीएम ने अफवाह नही फैलाने की अपील की
By एस पी सिन्हा | Published: May 11, 2021 03:41 PM2021-05-11T15:41:15+5:302021-05-11T15:41:15+5:30
बिहार के बक्सर में गंगा नदी में बड़े पैमाने पर लावारिस लाशों के मिलने के बाद अब मामले की जांच जारी है. इस बीच यह बात सामने आई है कि गंगा नदी में पाई गई लाशें तीन से चार दिन पुरानी हैं.
पटना: बिहार के बक्सर जिले के चौसा में गंगा नदी में काफी तादाद में मिले शवों का मामला सुर्खियों में आने के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आ गया है. जिले के डीएम अमन समीर और एसपी नीरज कुमार सोमवार की रात चौसा के महादेवा घाट का जायजा लिया. इसके बाद सिविल सर्जन ने कहा कि अगर पुलिस ने अनुरोध किया तो शवों का पोस्टमॉर्टम भी कराया जाएगा.
वहीं, जिलाधिकारी अमन समीर ने एसपी नीरज कुमार सिंह और एसडीएम केके उपाध्याय के साथ संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता करते हुए बताया कि जो भी शव बरामद हुए हैं, वह केवल बिहार के नहीं हैं, बल्कि उनमें के यूपी के क्षेत्र से बहकर यहां आये हैं. डीएम अमन समीर ने अफवाह नही फैलाने की अपील की है.
उन्होंने कहा कि मामले को लेकर प्रशासन का पक्ष आवश्यक है. इस घटना की जांच के लिए अनुमंडल पदाधिकारी बक्सर एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को भेजा गया था. उन्होंने कहा कि जांच के क्रम में यह बात सामने आई है कि गंगा नदी में पाई गई लाशें तीन से चार दिन पुरानी हैं. इसीलिए स्पष्ट है कि लाशें बक्सर जिले की नहीं हैं.
वहीं, एसडीएम के.के.उपाध्याय ने बताया कि ग्रामीणों ने वार्ता के क्रम में जानकारी दी कि लाशें स्थानीय नहीं है बल्कि एक-दो दिनों से गंगा नदी में अन्यत्र जगहों से बहकर आ रही है. ऐसे में यह स्पष्ट है कि ये लाशें गंगा नदी में सीमावर्ती राज्य से बहकर आई है.
एसडीएम ने कहा कि इस संबंध में जिला पदाधिकारी ने बताया कि सीमावर्ती जिलों के जिला के पदाधिकारीगणों से वार्ता भी गई है तथा भविष्य में घटना को रोकने के लिए कड़ी चौकसी बरतने के लिये नौका पर पेट्रोलिंग करवाने का भी आदेश भी देने की बात कहीं.
सरकार के दिशा-निर्देश के अनुरूप बक्सर जिले में कोविड-19 संक्रमण से संक्रमित मृत व्यक्तियों के अंत्येष्टि के लिए सरकार के द्वारा निःशुल्क व्यवस्था सुनिश्चित की गई है.
डीएम ने जानकारी दी कि सामान्य मृत व्यक्तियों के लाशों को अंत्येष्टि के लिए लकड़ी निर्धारित मूल्य पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. हालांकि श्मशान घाट पर दाह-संस्कार कराने वाले डोम राजा का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र से दाह संस्कार को शव लेकर आने वाले अधिकांश लोग जबर्दस्ती जल प्रवाह कर देते है.
यूपी-बिहार को जोड़ने वाले जयप्रभा सेतु के पास लाशें फेंकने का मामला
यह बात सामने आई है कि उत्तर प्रदेश और बिहार को जोडने वाला जयप्रभा सेतु इस वक्त लावारिश शवों को ठिकाने लगाने का सुरक्षित स्थान बन गया है. सोमवार की रात दो शवों को फेंककर एंबुलेंस चालक भाग खडे हुए. जबकि उसके आस-पास पहले से फेंके गए दो सडे गले शवों को कुत्ते व कौवे नोच रहे थे.
मंगलवार सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए निकले लोगों ने जयप्रभा सेतु के नीचे पड़े चार शवों को देखकर सन्न रह गए. दोनों तरफ बहती सरयु की धारा के बीचों-बीच रेत पर नीले रंग के कोरोना किट में पैक एक शव तथा कफ़न में लिपटी दूसरी लाश थी. इसके अलावा एक शव, जिसका सिर्फ अस्थि शेष मात्र बचा हुआ था, बगल में पड़ा हुआ था.
इन तीन शवों के अलावा लगभग दो सौ मीटर दूर एक अन्य शव को भी देखा गया. स्थानीय लोगों ने बताया कि एंबुलेंस ड्राइवर आये दिन शवों को सरयू में बहा देते हैं. कई बार स्थानीय लोगों के विरोध को देखते हुए मांझी थाने की पुलिस ने शव फेंकने आये एंबुलेंस चालकों को खदेड कर भगा दिया.
इसके अलावा मांझी तथा ड्यूमाइगढ श्मशान घाट पर प्रतिदिन दाह संस्कार के लिए लाए जा रहे दर्जनों शवों में से कई लाशों को लोग अधजला छोडकर भाग जा रहे हैं.
बक्सर के श्मशान घाट पर बड़ी संख्या में जल रही है चिता
बक्सर जिला मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर चौसा के गंगा घाटों के किनारे लाशों का ढेर लगा था. नदी के किनारे लगी इन लाशों को कुत्ते और सियार नोच रहे थे. चौसा श्मशान घाट के पास गंगा के उत्तरायणी होने के बाद करीब 150 से अधिक लाशें बहती देखी गईं थी.
ग्रामीणों का कहना था कि संक्रमितों के मर जाने के बाद बहुत लोग लाशों को गंगा व कर्मनाशा में जलप्रवाह कर चले जा रहे हैं, जो बाद में किनारे पर लग जा रही हैं. दरअसल, कोरोना मरीजों की मौत के बाद जैसे-तैसे उनका दाह-संस्कार किया जा रहा है.
बक्सर जिले में सोमवार को कोरोना से मरने वालों की संख्या मात्र तीन रही. मगर बक्सर के चरित्रवन स्थित श्मशान घाट पर 100 से अधिक चितायें जलाई जा चुकी थीं और शवों के आने का सिलसिला लगातार जारी था. यह आंकड़ा केवल बक्सर शहर स्थित श्मशान घाट का है. जबकि इसके अलावा चौसा, बयासी घाट समेत अन्य जगहों पर भी गंगा नदी किनारे लाश दफनाया जाता है.
फिलहाल स्थिति कुछ सुधरी है. अब लोगों को पहले की अपेक्षा कम इंतजार करना पड रहा है. लगने वाली अप्रत्याशित भीड भी अपेक्षाकृत कम हुई है. 7 मई से पूर्व प्रतिदिन 160 तक की संख्या प्रतिदिन श्मशान घाट पर रजिस्टर्ड किया गया है, जिनका श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया है.
इस तरह से बक्सर जिले में बडे पैमाने पर मौतों की खबरें सामने आती रहती हैं. हालांकि सरकारी तौर वही आंकड़ा दिया जाता है, जिनकी मौत कोविड अस्पतालों में रजिस्टर्ड होती हैं। हालांकि जिनकी मौत ग्रामीण इलाकों में हो जाती है, उनका कोई आंकड़ा जल्द नही मिल पाता है.