बिहार में बीजेपी को चाहिए दो उपमुख्यमंत्री पद! नीतीश बने रहेंगे सीएम, भाजपा की महत्वपूर्ण मंत्रालयों पर नजर
By हरीश गुप्ता | Published: November 12, 2020 06:38 AM2020-11-12T06:38:50+5:302020-11-12T06:52:44+5:30
बिहार चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. हालांकि पार्टी ने साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे. ये जरूर है कि बीजेपी की नजर अहम मंत्रालयों पर रहेगी. साथ ही नित्यानंद राय को भी उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद भाजपा चाहती है कि इस बार उसे उपमुख्यमंत्री के दो पदों के साथ-साथ महत्वपूर्ण मंत्रालय भी दिए जाएं. बिहार में वरिष्ठ सहयोगी जदयू से चार फीसदी ज्यादा वोटों (19.46%) और 31 अतिरिक्त सीटों पर जीत के बावजूद भाजपा ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाए रखने का फैसला कायम रखा है.
भाजपा ने इस बार 74 सीटें जीती हैं, जबकि जदयू के खाते में केवल 43 सीटें आईं. तमाम अटकलों के बीच गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा प्रमुख जे.पी. नड्डा ने जदयू के साथ गठबंधन पर कायम रहने का फैसला किया है. भाजपा नेतृत्व नहीं चाहता कि किसी और प्रयोग के फेर में नीतीश कुमार फिर राजद-कांग्रेस के खेमे में चले जाएं.
वैसे चुनाव परिणाम आ जाने के बाद अब भाजपा और जदयू के बीच विवाद के अनेक मुद्दे सामने आने की आशंका यथावत कायम है. सबसे अहम मुद्दा है सत्ता में भागीदारी का. भाजपा अब अपनी बिहार ईकाई में भी परिवर्तन कर युवा पीढ़ी को नेतृत्व थमाना चाहती है.
नित्यानंद राय बनाए जाएंगे उपमुख्यमंत्री!
संकेत मिले हैं कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को उपमुख्यमंत्री बनाकर बिहार भेजा जा सकता है ताकि वक्त गुजरने के साथ मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार की जगह ले सकें.
चुनावों के दौरान बिहार में 200 से ज्यादा रैलियों को संबोधित करने वाले नित्यानंद यादव समाज में भाजपा के मुख्य नेता बनकर उभरे हैं. भाजपा चाहती है कि उसके नये साथी विकासशील इंसाफ पार्टी (वीआईपी) को भी मंत्रिमंडल में स्थान मिले.
चिराग पासवान पर पेंच
नीतीश कुमार चाहते हैं कि भाजपा आलाकमान लोजपा नेता चिराग पासवान को पुनर्स्थापित करने का कोई प्रयास न करे. चिराग की पार्टी कम से कम 20 सीटों पर जदयू की हार का कारण बनी है.
चिराग की पार्टी को छह प्रतिशत वोट मिले. नीतीश नहीं चाहते कि रामविलास पासवान के निधन से रिक्त हुई राज्यसभा सीट लोजपा को दी जाए. यह गुत्थी सुलझने तक जदयू मोदी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी.