बिहार भाजपा में मनमुटाव, विधान पार्षद संजय पासवान ने समिति से दिया इस्तीफा, सीएम नीतीश पर लगातार कर रहे हमला

By एस पी सिन्हा | Published: June 11, 2021 07:13 PM2021-06-11T19:13:08+5:302021-06-11T19:15:01+5:30

कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने समितियों का पुनर्गठन करते हुए सदस्यों को अलग-अलग समितियों की जिम्मेदारी दी थी. लेकिन कार्यकारी सभापति के फैसले से संजय पासवान नाखुश थे और समिति छोड़ने का फैसला कर लिया.

Bihar BJP Discord mlc sanjay paswan resigns council committee attacking CM Nitish kumar nda jdu | बिहार भाजपा में मनमुटाव, विधान पार्षद संजय पासवान ने समिति से दिया इस्तीफा, सीएम नीतीश पर लगातार कर रहे हमला

संजय पासवान बिहार में शराबबंदी व कानून-व्‍यवस्‍था को लेकर भी सरकार को नसीहत देते रहे हैं.

Highlightsबिहार विधान परिषद की समितियों का पुनर्गठन किया गया था. इस्तीफा परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह को सौंपा. गुरुवार को नवगठित समितियों की पहली बैठक बुलाई गई थी.

पटनाः भाजपा के विधान पार्षद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. संजय पासवान ने विधान परिषद की अनुसूचित जाति-जनजाति समिति के सभापति पद से इस्तीफा दे दिया है.

पिछले दिनों बिहार विधान परिषद की समितियों का पुनर्गठन किया गया था. कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने समितियों का पुनर्गठन करते हुए सदस्यों को अलग-अलग समितियों की जिम्मेदारी दी थी. लेकिन कार्यकारी सभापति के फैसले से संजय पासवान नाखुश थे और आज उन्होंने समिति छोड़ने का फैसला कर लिया.

उन्होंने अपना इस्तीफा परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह को सौंपा. कार्यकारी सभापति भी भाजपा के ही हैं. बताया जाता है कि गुरुवार को नवगठित समितियों की पहली बैठक बुलाई गई थी. बैठक में शामिल होने के तुरंत बाद वे नाराज होकर निकल गए थे. निकलने के समय ही उन्होंने सभापति पद से इस्तीफे की घोषणा की थी. आज उन्होंने विधिवत इस्तीफा दे दिया.

बिहार में शराबबंदी व कानून-व्‍यवस्‍था को लेकर हंगामा

उन्‍होंने सभापति से फैसले को लेकर नाराजगी भी जाहिर की है. यहां उल्लेखनीय है कि जनवरी 2020 में संजय पासवान ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार का यह कहकर विरोध किया था कि जनता एक चेहरे से ऊब चुकी है, अब भाजपा से नया मुख्‍यमंत्री बनाया जाना चाहिए. संजय पासवान बिहार में शराबबंदी व कानून-व्‍यवस्‍था को लेकर भी सरकार को नसीहत देते रहे हैं.

एक बार अपने गले में सांप लपेटकर सोशल मीडिया में चर्चा में रह चुके हैं. डा. पासवान ने बताया कि उनका एतराज कई मुद्दों पर है. उन्होंने 10 साल पहले घोषणा की थी कि वे विधानसभा या लोकसभा का चुनाव अनुसूचित जातियों के लिए सुरक्षित सीट से नहीं लड़ेंगे. बीच में कई चुनाव हुए. लेकिन वे अपनी घोषणा पर कायम रहे.

कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह की कार्यशैली पर सख्त ऐतराज

इसी तर्क के आधार पर उन्होंने परिषद की अनुसूचित जाति, जनजाति समिति के सभापति पद से इस्तीफा दिया है, क्योंकि उन्हें अनुसूचित जाति का होने के कारण यह पद दिया गया था. उन्होंने कहा कि जाति और लिंग के आधार पर समितियों का सभापति बनाना गलत है. हम कहते हैं कि अगर कोई पुरुष सदस्य सक्षम है तो उसे महिलाओं से संबंधित समितियों का सभापति बना देना चाहिए.

डा. पासवान ने कहा कि सभापति पद से उनके इस्तीफे की इकलौती वजह यह नहीं है. उन्हें कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह की कार्यशैली पर सख्त ऐतराज है. उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया था. शपथ ग्रहण के लिए नाम भेजने से पहले उनकी राय ली गई थी. बडे़ नेताओं ने राय ली थी. लेकिन कार्यकारी सभापति ने बिना हमारी राय लिए पद दे दिया. यह तरीका आपत्तिजनक है.

उन्होंने कहा कि विधान परिषद में कम संख्या वाले दलों के नेताओं को महत्वपूर्ण समितियों का सभापति बनाया गया. इस लिहाज से उन्हें जिस समिति का सभापति बनाया गया, उसकी खास पहचान नहीं है. तमाम बातों के अलावा उन्हें इस बात का भी मलाल है कि उनके कद का सम्मान नहीं किया गया. वहीं, कार्यकारी सभापति अवधेश नारायन सिंह की मानें तो समितियों के लिए नाम पार्टियों द्वारा तय करने की परंपरा रही है.

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