बिहार में कोविड से बुरा हाल, किडनी, लंग्स और लिवर की परेशानियों से जूझ रहे मरीज, नए स्ट्रेन की एंट्री
By एस पी सिन्हा | Published: April 23, 2021 07:36 PM2021-04-23T19:36:07+5:302021-04-23T19:37:04+5:30
पटना एम्स पल्मोनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. दीपेंद्र कुमार राय ने बताया कि जो मरीज आइसीयू में भर्ती हो रहे हैं, उन्हें किडनी, लंग्स और लिवर की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.
पटनाः बिहार में जारी कोरोना संक्रमण की सुनामी थमने का नाम नहीं ले रहा है. पूरे राज्य में कोरोना संक्रमण का खतरा नीत नया रिकॉर्ड बनाने का कार्य कर रहा है.
पटना एम्स की आईसीयू में भर्ती होने वाले कोरोना संक्रमितों में महज 20 फीसद ही स्वस्थ होकर घर लौट पा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, यह आंकड़ा 2021 में मिले कोरोना के नए स्ट्रेन को लेकर हुए अध्ययन में सामने आया है. जो 20 फीसदी मरीज स्वस्थ हो रहे हैं, उन्हें भी अन्य परेशानियों की वजह से कुछ दिन और उपचार की जरूरत पड़ रही है.
ऐसे में जानकार बताते हैं कि अगले 10 दिन में दो लाख से ज्यादा नए केस आने की आशंका है. सबसे ज्यादा बिहार में हालात पटना के खराब है. पटना एम्स पल्मोनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. दीपेंद्र कुमार राय ने बताया कि जो मरीज आइसीयू में भर्ती हो रहे हैं, उन्हें किडनी, लंग्स और लिवर की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.
70 फीसद मरीजों में किडनी, सौ फीसद मरीजों में लंग्स और 60 फीसद मरीजों में लिवर की परेशानी हो रही है. वहीं मेडिसीन विभागाध्यक्ष डॉ. रवि ने बताया कि नया स्ट्रेन मल्टी ऑर्गेन डिसआर्डर का कारण बन रहा है. इसके कारण मरीज की मौत हो जा रही है.
इसबीच कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए बिहटा स्थित ईएसआइसी अस्पताल में सेना के 8 चिकित्सक व 21 पारा मेडिकल स्टाफ आज पहुंचकर कमान को संभाल लिया है. डीसीएलआर रवि राकेश ने बताया कि बिहटा स्थित ईएसआइसी अस्पताल में कोविड संक्रमित मरीजों को बेहतर इलाज के लिए सेना के 8 चिकित्सक व 21 पारा मेडिकल स्टाफ व तकनीशियन आज पहुंच गये हैं.
उधर, कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुए अब न्यायालय ने भी अपने दरवाजे बंद कर लिये हैं. पटना सहित सभी सिविल कोर्ट और अनुमंडल कोर्ट में चल रहे वर्चुअल न्यायिक कार्य बंद कर दिये गये हैं. 1 मई तक अब कोर्ट परिसर में एंट्री पर भी सशर्त रोक लगा दी गई है. सूबे में हालात ऐसे हो गये हैं कि मुजफ्फरपुर जिले के सदर अस्पताल में आज एक दंपति कोरोना जांच के लिए पहुंचे थे.
लंबी लाइन को देखते हुए दोनों पति-पत्नी अपनी बारी का इंतजार करने के लिए अस्पताल के प्रतीक्षालय में बैठ गए. इस दौरान कुर्सी पर बैठे-बैठे अचानक पति फर्श पर गिर गया. महिला आसपास के लोगों से मदद के लिए चिल्लाने लगी, लेकिन कोई उनके पास नहीं आया. मौके पर मौजूद अस्पताल के कर्मचारियों ने भी महिला की मदद नहीं की.
अंततः मेडिकल टीम वहां पहुंची, लेकिन तब तक व्यक्ति की मौत हो चुकी थी. डॉक्टर ने पति के मृत होने की पुष्टि की जिसके बाद महिला रोने और चिल्लाने लगी. महिला ने अस्पताल प्रशासन को पति की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है. महिला ने बताया कि लगभग एक घंटे तक उसका पति फर्श पर पड़ा रहा.
महिला बार-बार अस्पताल कर्मियों और आम लोगों से मदद के लिए मिन्नतें करती रही लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की. वहीं, घटना की सूचना जब सिविल सर्जन डॉक्टर सुरेंद्र कुमार चौधरी को मिली तो उन्होंने अस्पताल के मैनेजर प्रवीण कुमार को कडे़ लहजे में फटकारा और कोविड-19 प्रोटोकॉल का ख्याल रखते हुए तुरंत डेड बॉडी को हटाने का आदेश दिया. इसके बाद अस्पताल के मैनेजर ने एंबुलेंस से उनकी पत्नी के साथ डेड बॉडी को मेडिकल कॉलेज भेज दिया.