बिहार विधानसभाः 51 साल बाद अध्यक्ष का चुनाव, 12 वोट से जीते एनडीए के विजय सिन्हा

By एस पी सिन्हा | Published: November 25, 2020 02:25 PM2020-11-25T14:25:08+5:302020-11-25T14:42:16+5:30

भाजपा विधायक और एनडीए प्रत्याशी विजय सिन्हा ने महागठबंधन के अवध बिहारी चौधरी को 12 वोटों से हरा दिया. साल 1969 के बाद पहली बार बिहार विधानसभा में अध्यक्ष पद के लिए मतदान की नौबत आई है.

bihar assembly new speaker elected vijay sinha BJP MLA win 12 vote nda rjd  Awadh Bihari Chaudhary | बिहार विधानसभाः 51 साल बाद अध्यक्ष का चुनाव, 12 वोट से जीते एनडीए के विजय सिन्हा

सर्वसम्मति से ही विधानसभा अध्यक्ष का फैसला होते आने की परंपरा रही है. (photo-ani)

Highlightsहंगामे के बीच प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने परिणाम सुनाया.विजय सिन्हा के पक्ष में 126 वोट पडे़, जबकि विरोध में 114 वोट पडे़.नये विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कुर्सी संभाल ली है.

पटनाः 17वीं बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष को लेकर विधानसभा के इतिहास में तीसरी बार सदन में मतविभाजन हुआ.

सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सर्वानुमति नहीं बनने के कारण सदन के इतिहास में यह तीसरा मौका है, जब अध्यक्ष के मत के लिए मतदान हुआ. इससे पहले दो बार विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए बिहार विधानसभा मतदान हो चुका है. पिछली बार 51 साल पहले मतदान हुआ था. मतदान प्रक्रिया समाप्त होने के बाद हंगामे के बीच प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने परिणाम सुनाया.

जिसमें एनडीए उम्मीदवार विजय सिन्हा के पक्ष में 126 वोट पडे़, जबकि विरोध में 114 वोट पडे़. इस तरह चुनाव में एनडीए के विजय सिन्हा ने महागठबंधन के अवध बिहारी चौधरी को 12 वोटों से हरा दिया. इस तरह विजय कुमार सिन्हा 17वीं बिहार विधानसभा अध्यक्ष के रूप में चुने गए. नये विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कुर्सी संभाल ली है.

वहीं, विजय सिन्हा के विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव विजय सिन्हा को आसन पर लेकर गए. विजय सिन्हा ने विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद सभी विधायकों को धन्यवाद दिया. सदन के प्रति आधार जताया हैं. इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद विजय सिन्हा को बधाई दी.

आपको सत्ता और विपक्ष के बातों को सुन नियम के अनुसार काम करना

संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि आप अध्यक्ष की निष्पक्ष भूमिका होती है. आपको सत्ता और विपक्ष के बातों को सुन नियम के अनुसार काम करना है. आप सदन के सदस्य रहे हैं और मंत्री भी रहे हैं. सबकुछ जानते भी हैं. हमलोगों को संभवाना हैं कि आप अपनी भूमिका बेहतरीन तरीके से चलाएंगे. सभी को अपनी बात रखने का अधिकारी है और अध्यक्ष महोदय को नियम के अनुसार चलाने का हक हैं. 

इससे पहले आज सुबह बिहार विधानसभा में अध्यक्ष के चुनाव को लेकर मतदान हुआ. मतदान के दौरान विधान परिषद के सदस्य मुख्यमंत्री और मंत्रियों की विधानसभा में आने पर तेजस्वी यादव ने सवाल खडे़ किए. विपक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मंत्री अशोक चौधरी, मंत्री मुकेश सहनी को विधानसभा में होने वाली मतदान की प्रक्रिया के दौरान सदन से बाहर करने की मांग को लेकर हंगामा भी किया.

इस दौरान विपक्षी विधायकों ने वेल में आकर जमकर हंगामा किया. सत्ता पक्ष की ओर से भाजपा विधायक विजय सिन्हा और विपक्ष की ओर से राजद विधायक अवध बिहारी चौधरी चुनाव मैदान में थे. हालांकि प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने सर्वसम्मति से स्पीकर चुनने का प्रस्ताव दिया था, जिसे विपक्ष ने नहीं माना. साल 1969 के बाद पहली बार बिहार विधानसभा में अध्यक्ष पद के लिए मतदान की नौबत आई है. इसके पहले सर्वसम्मति से ही विधानसभा अध्यक्ष का फैसला होते आने की परंपरा रही है.

मांझी ने कहा कि क्या सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष चुनाव का जो प्रस्ताव आया

चुनाव से पहले प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने कहा कि क्या सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष चुनाव का जो प्रस्ताव आया है. इसपर सभी लोग सहमत है, लेकिन इसका तेजस्वी यादव ने विरोध किया. तेजस्वी ने कहा कि अगर नियम की बात की जाए तो चार साल में चार सरकार देखी गई है. तेजस्वी ने कहा कि बिहार में जनादेश की चोरी हुई है.

विपक्ष ने गुप्त मतदान की मांग की, लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने गुप्त मतदान कराने से इंकार कर दिया और कहा कि इस तरह की परंपरा नहीं रही हैं. बिहार विधानसभा में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ी. सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मंत्री अशोक चौधरी और मंत्री मुकेश साहनी की उपस्थित को मुद्दा बनाकर विपक्ष हंगामा किया.

हंगामे के बीच पांच मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित की गई. इससे पहले सदन में राजद विधायक तेजस्वी यादव ने प्रोटेम स्पीकर को संबोधित करते हुए कहा कि ये आपका दायित्व है महोदय की सदन की कार्रवाई नियमावली के अनुसार चले. जब तक दूसरे सदन के सदस्य बाहर नहीं जाएंगे, ये तो बेइमानी है.

विपक्ष वेल में धरने पर बैठ गया. उधर राजद ने ट्वीट कर लिखा है कि ये विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव का अवसर है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई ऐसे मंत्री महोदय जो किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं, विराजमान होकर अपनी 'ध्वनि' से ध्वनि मत को समृद्ध कर रहे हैं. जनादेश चोरी के बाद आप लोकतंत्र को और शर्मसार कर रहे हैं. 

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने भी हंगामा कर रहे सदस्यों को समझाया

इससे पहले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने भी हंगामा कर रहे सदस्यों को समझाया और कहा वह मुख्यमंत्री रहने की हैसियत से सदन में मौजूद रह सकते हैं. ऐसे पहले से चलता रहा है, लेकिन विपक्षी सदस्य मामने को तैयार नही हुए. जिसके बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि कैसे मंत्री अशोक चौधरी और मुकेश सहनी यहां पर बैठे हुए हैं. उनको बाहर करना चाहिए.

नियमावली के तहत चुनाव होना चाहिए, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष महोदय आपके सामने जनादेश की चोरी हो रही है. जो सदन के सदस्य नहीं है वह सदन में मौजूद हैं. अगर नियम के साथ मतदान नहीं करना है तो हमलोगों को क्यों चुना गया? नियमावली को फाड़कर फेंक दिया जाए.

यहां बता दें कि बिहार में सत्ता पक्ष के पास जहां 126 विधायकों का समर्थन हासिल है, तो वहीं विपक्ष के पास मात्र 110 विधायकों का समर्थन है. एआईएमआईएम के 5 विधायकों ने भी सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने की बात कहकर महागठबंधन को झटका दे दिया था. वहीं एक निर्दलीय और एक लोजपा विधायक ने भी एनडीए को अपना समर्थन दिया है. 

उधर, विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों को रांची जेल से प्रलोभन देने का खुलासा भाजपा नेता सुशील मोदी ने किया है. मोदी ने एक ऑडियो भी जारी किया है, जिसमें लालू प्रसाद यादव एनडीए विधायक से कोरोना के बहाने अनुपस्थित रहने और उसके बदले जब महागठबंधन की सरकार बनेगी तो उन्हें मंत्री पद का प्रलोभन देते हुए सुने जा सकते हैं.

ऑडियो में लालू प्रसाद यादव कह रहे हैं कि वो विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के दौरान ही सरकार गिरा देंगे, जिसके बाद आज सदन में होने वाला विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव काफी अहम हो गया था. हालांकि विधायकों के समर्थन के लिहाज से एनडीए के विजय सिन्हा की जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन तेजस्वी यादव ने अवध बिहारी चौधरी के लिए एनडीए विधायकों से भी अंतरात्मा की आवाज पर वोट करने की अपील की थी. विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर एनडीए ने अपने सभी विधायकों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हीप जारी किया था.

अध्यक्ष के पिछले दो मतदानों में सत्ता पक्ष के उम्मीदवार ही विजय हुए थे

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष के पिछले दो मतदानों में सत्ता पक्ष के उम्मीदवार ही विजय हुए थे और इस बार भी सत्ता पक्ष का पलडा भारी लग रहा था. 1967 और 1969 में पक्ष-विपक्ष के मतों के आधार पर सदन में अध्यक्ष पद पर निर्णय हुआ था. इस बार भी सदन में मतों का अंतर इसी आधार पर माना जा रहा है. 1967 में 16 मार्च को कार्यकारी अध्यक्ष दीप नारायण सिंह ने अध्यक्ष पद के लिए 9 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव देने की सूचना सदन को दी थी.

सत्तापक्ष की ओर से छह प्रस्ताव थे, जिनमें एक का प्रस्ताव सच्चिदानंद सिंह की ओर से सदन में रखा गया. उन्होंने धनिक लाल मंडल का नाम अध्यक्ष पद के लिए सदन के सामने रखा. श्रीकृष्ण सिंह ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया. विपक्ष की ओर से सनाथ राउत ने प्रस्ताव रखा कि विधानसभा के अध्यक्ष पद पर हरिहर प्रसाद सिंह चुने जाएं.

किशोरी प्रसाद ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया. इसके बाद कार्यकारी अध्यक्ष दीप नारायण सिंह ने सदन के समक्ष प्रश्न रखा-प्रश्न यह है कि धनिक लाल मंडल विधानसभा अध्यक्ष चुने जाएं. उसके बाद सभा ‘हां’ और ‘ना’ में विभक्त हुई. ‘हां’ के पक्ष में 171 जबकि ‘ना’ के पक्ष में 126 सदस्यों ने मत दिया और सदन में प्रस्ताव स्वीकृत हो गया. धनिक लाल मंडल विधानसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए.

वहीं, 1969 में 11 मार्च को मतदान हुआ था. तब भी सदन में कार्यकारी अध्यक्ष के पास विस अध्यक्ष पद के लिए कुल छह प्रस्ताव आए थे. उनमें चार के वापस होने पर दो रह रह गये थे. इसके कारण मतदान कराना पड़ा था. उस समय हरिहर प्रसाद सिंह ने रामनारायण मंडल को अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव रखा, जगदेव प्रसाद ने इसका अनुमोदन किया.

वहीं कर्पूरी ठाकुर ने अध्यक्ष पद के लिए धनिक लाल मंडल के नाम का प्रस्ताव किया और इसका अनुमोदन राम अवधेश सिंह ने किया. रामानंद तिवारी ने भी इसका अनुमोदन किया, लेकिन सूची में नाम नहीं होने से उनका अनुमोदन स्वीकृत नहीं हुआ. उसके बाद मतदान हुआ और राम नारायण मंडल को अध्यक्ष बनाये जाने के पक्ष में 155, जबकि विपक्ष में 149 वोट पडे़. हरिहर प्रसाद सिंह और भोला पासवान शास्त्री ने राम नारायण मंडल को विस अध्यक्ष के आसन तक ससम्मान लाकर उसपर बिठाया.

 

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