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बिहार विधानसभा चुनावः कई नए दलों का उदय, वोट बंटने से किसे फायदा और नुकसान, जानें समीकरण

By एस पी सिन्हा | Updated: May 12, 2025 15:05 IST

Bihar Assembly Elections: दो अक्टूबर 2024 को प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी का गठन किया और बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया।

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ठळक मुद्देआरसीपी सिंह ने आप सबकी आवाज के नाम से अपनी नई पार्टी की घोषणा की।पूर्व आईपीएस शिवदीप वामनराव लांडे ने हिन्द सेना नाम से नई पार्टी बनाई है। सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की भी घोषणा की है।

पटनाः बिहार विधानसभा का चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने वाला है, लेकिन उसके पहले सभी पार्टियां चुनावी बिसात बिछाने में जुट गई हैं। इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है क्योंकि जनता के पास इस बार पहले की अपेक्षा और अधिक दलों को वोट करने का मौका मिलने वाला है। वहीं, नए दलों के बनने की बहार आ गई है। बीते कुछ दिनों में बिहार की सियासत में चार नए सियासी दलों का गठन हो चुका है। दो अक्टूबर 2024 को प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी का गठन किया और बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया।

Bihar Assembly Elections: 

प्रशांत किशोरः जन सुराज पार्टी

शिवदीप वामनराव लांडेः हिन्द सेना

ई आईपी गुप्ताः इंडियन इंकलाब

आरसीपी सिंहः आप सबकी आवाज

पुष्पम प्रिया चौधरीः प्लूरल्स पार्टी

इसके बाद दूसरे राजनीतिक दल का गठन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी रहे आरसीपी सिंह ने आप सबकी आवाज के नाम से अपनी नई पार्टी की घोषणा की। वहीं, भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा देने वाले पूर्व आईपीएस शिवदीप वामनराव लांडे ने हिन्द सेना नाम से नई पार्टी बनाई है। उन्होंने 8 अप्रैल को औपचारिक रूप से नए राजनीतिक दल का ऐलान कर दिया और बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की भी घोषणा की है। वे खुद भी चुनाव लड़ेंगे। लांडे पिछले काफी समय से सियासत में आने को बेताब थे।

पहले कयास लगाए जा रहे थे कि वह प्रशांत किशोर की जन सुराज ज्वाइन कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी बनाई है। वहीं, बिहार में चौथी पार्टी अखिल भारतीय पान महासंघ के अध्यक्ष ई आईपी गुप्ता ने इंडियन इंकलाब पार्टी नाम से नए राजनीतिक दल का गठन किया है।

अब इंडियन इंकलाब पार्टी के आगमन के साथ यह स्पष्ट है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुकाबला केवल पुराने खिलाड़ियों तक सीमित नहीं रहेगा। आईपी गुप्ता और आरसीपी सिंह ने जहां अपनी-अपनी जातीय वोटबैंक के सहारे सियासी राह तलाशने के लिए राजनीतिक गठन किया है, तो शिवदीप लांडे और प्रशांत किशोर कहते हैं कि उनका उद्देश्य जात-पात, धर्म और वोटबैंक की राजनीति से हटकर एक साफ-सुथरी व्यवस्था देना है। इतना ही नहीं बिहार को एक नया नेतृत्व चाहिए, जो ईमानदारी, ऊर्जा और विकास की बात करे, न कि जनता को पुराने नारों से बहकाए।

वहीं मायावती की बसपा, पशुपति पारस की रालोजपा, 2020 में पुष्पम प्रिया चौधरी ने प्लूरल्स पार्टी की स्थापना की। पुष्पम प्रिया लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातकोत्तर हैं। पुष्पम प्रिया स्वयं बांकीपुर और बिस्फी सीट से उम्मीदवार थीं। हालांकि, उन्हें सफलता नहीं मिली।

पुष्पम प्रिया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खासी सक्रिय रही। 2020 के चुनाव में पुष्पम प्रिया की पार्टी ने 102 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। सिर्फ तीन सीटों पर यह पार्टी तीसरे स्थान पर आई। इसके अलावा एआईएमआईएम और कई छोटे दल जो चुनाव में बड़ी संख्या में उम्मीदवार उतारेंगे। जबकि चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी भी चुनावी मैदान में उतरने को बेताब है।

इस बीच महागठबंधन और एनडीए दोनों ही गठबंधनों में सीट शेयरिंग को लेकर घटल दलों में बैठकों का दौर जारी है। एनडीए में इस बार सीट शेयरिंग की गुत्थी पर सबकी नजर है क्योंकि चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी(रामविलास) भी इस बार एनडीए का हिस्सा है, जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में उसने अलग चुनाव लड़ा था।

चिराग पासवान की लोजपा, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा एनडीए के साथ है, जिसका नेतृत्व नीतीश कुमार के हाथ में है और भाजपा मजबूत सारथी बनी हुई है। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस, मुकेश सहनी वाली वीआईपी वामपंथी दल राजद नेता तेजस्वी यादव के अगुवाई वाले महागठबंधन के साथ हैं।

बिहार में अभी तक का चुनाव एनडीए बनाम महागठबंधन के बीच होता रहा, लेकिन इस बार जिस तरह से नए दल बने हैं। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने हाल ही में हुए उप-चुनावों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। हालांकि, वह सिर्फ वोटकटवा साबित हुई और उसकी वजह से उपचुनावों में महागठबंधन (खास तौर पर राजद) को काफी नुकसान हुआ था।

4 सीटों पर हुए उपचुनावों में एनडीए ने क्लीन स्वीप किया था। इसी तरह से 2020 के चुनाव में ओवैसी ने सीमांचल के इलाके में महागठबंधन का खेल बिगाड़ दिया था। उल्लेखनीय है कि राजद का युवाओं पर पहले से ही भरोसा बना हुआ है। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज भी युवाओं पर ही अधिक भरोसा कर रही है तो शिवदीप वामनराव लांडे को भी युवा वोटरों से ही उम्मीद है।

इस तरह से एक चौथाई वोटों के लिए फिलवक्त कई खिलाड़ी मैदान में होंगे, जाहिर है कि जब एक चौथाई वोटर तीनों राजनीतिक दलों में बंट जाएंगे तो इसका सर्वाधिक लाभ एनडीए को मिल सकता है। बिहार में अभी तक जितने भी दल वजूद में आए हैं, उनकी नजर विपक्ष के वोट बैंक पर ही है।

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