बिहार भाजपाः सुशील कुमार मोदी नहीं कामेश्वर चौपाल हो सकते हैं अगले उप मुख्यमंत्री, जानिए कारण
By एस पी सिन्हा | Published: November 13, 2020 03:33 PM2020-11-13T15:33:19+5:302020-11-13T19:15:32+5:30
बिहार में भाजपा की ओर से इसबार सुशील कुमार मोदी के बदले किसी अन्य को उप मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा की जा रही है. इसको लेकर नए नाम की चर्चा तेज हो गई है. इसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता और आरएसएस से जुडे़ कामेश्वर चौपाल के नाम की चर्चा शुरू हो गई है.
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के बाद अब सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है और इसी सिलसिले में आज एनडीए के नेताओं की बैठक हुई. हालांकि अगला बैठक 15 नंवर तय किया गया, जिसमें यह निर्णय लिया गया.
इसबीच बिहार में भाजपा की ओर से इसबार सुशील कुमार मोदी के बदले किसी अन्य को उप मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा की जा रही है. इसको लेकर नए नाम की चर्चा तेज हो गई है. इसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता और आरएसएस से जुडे़ कामेश्वर चौपाल के नाम की चर्चा शुरू हो गई है.
बताया जा रहा है कि दलित कार्ड को लेकर भाजपा कामेश्वर चौपाल का उप मुख्यमंत्री बनाने को लेकर चर्चा हो रही हैं. कामेश्वर चौपाल जैसे ही आज पटना एयरपोर्ट पहुंचे तो उनके समर्थक नारा लगाने लगे. उनके समर्थक नारा लगा रहे थे कि बिहार का उप मुख्यमंत्री कैसा हो? कामेश्वर चौपाल बाबू जैसा हो. इस नारे के बाद चर्चा और तेज हो गई है.
कामेश्वर चौपाल ने कहा कि वह भाजपा के कार्यकर्ता हैं. उनको पार्टी जो भी जिम्मेवारी देगी उसको वह नीतीश कुमार के साथ मिलकर निभाएंगे. यहां बता दें कि 1989 में जब राम मंदिर के नींव की पहली ईंट सुपौल के रहने वाले कामेश्वर चौपाल ने रही रखी थी. उस समय तब पूरे भारत के हिंदू विद्वानों ने कामेश्वर चौपाल के नाम का चयन किया था. इसका सबसे बड़ा वजह उनका दलित नेता होना था. चौपाल राम मंदिर आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं. इसके अलावे वह बिहार भाजपा के महामंत्री भी रह चुके हैं.
वहीं, कामेश्वर चौपाल ने खुद को लेकर जारी अटकलों पर कहा कि, ‘मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं, पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी वो मुझे स्वीकार है.’ बता दें कि कामेश्वर चौपाल दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. आरएसएस ने उन्हें पहले कारसेवक का दर्जा दिया है.
कामेश्वर चौपाल ने 1991 में लोजपा के दिवंगत नेता रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि वे हार गए थे. 2002 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने. 2014 में भाजपा ने उन्हें पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन यहां भी उन्हें कामयाबी नहीं मिली.