Bihar Elections 2020: शरद यादव की प्रतिष्ठा दांव पर, बेटी सुभाषिनी चुनावी मैदान में, मधेपुरा के बिहारीगंज सीट पर रोचक लड़ाई
By एस पी सिन्हा | Published: November 7, 2020 02:57 PM2020-11-07T14:57:32+5:302020-11-07T14:58:40+5:30
मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में एक बार शरद यादव ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को पराजित कर सबको चौंका दिया था. अब उन्हीं लालू यादव की पार्टी राजद के समर्थन से सुभाषिनी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान संपन्न होने के साथ ही अब सबकी निगाहें मधेपुरा के बिहारीगंज सीट पर भी टिक गई है. यहां से जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.
ऐसे में शरद यादव की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र का शरद यादव कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इस क्षेत्र के तहत ही बिहारीगंज विधानसभा सीट है. मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में एक बार शरद यादव ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को पराजित कर सबको चौंका दिया था. अब उन्हीं लालू यादव की पार्टी राजद के समर्थन से सुभाषिनी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी सुभाषिनी की जीत के लिए जोर लगा चुके हैं. बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र से पहली बार राजनीति में कदम रख रही कांग्रेस उम्मीदवार सुभाषिनी राज राव के सामने अपने पिता और दिग्गज समाजवादी नेता शरद यादव के राजनीतिक विरासत को बचाने की चुनौती है. इस सीट पर उन्हें कई उम्मीदवारों से मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है. मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में आने वाले बिहारीगंज सीट पर बिहार विधानसभा के तीसरे चरण और अंतिम चरण के तहत आज मतदान संपन्न हो गया है.
सुभाषिनी की शादी हरियाणा के एक राजनीतिक परिवार में ही हुई है
सुभाषिनी यादव के पास एमबीए की डिग्री है. जिनकी उम्र इस समय 30 साल है. सुभाषिनी की शादी हरियाणा के एक राजनीतिक परिवार में ही हुई है. सुभाषिनी ने पिछले साल लोकसभा चुनावों के दौरान मधेपुरा का दौरा किया था और यहां उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बयान भी दिया था.
सुभाषिनी ने कहा था कि वे पूरा बिहार छोडकर मधेपुरा में डेरा जमाये बैठे हैं, इसका मतलब कि वो डरे हुए हैं. सुभाषिनी ने ये बयान तब दिया था जब उनके पिता शरद मधेपुरा से चुनाव लड रहे थे. शरद यादव साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वे महागठबंधन का हिस्सा थे और मधेपुरा से चुनाव भी लडे़ थे.
सुभाषिनी अपने पिता की आजमाई कर्मभूमि मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से राजनीति में अपना भाग्य आजमा रही हैं. मध्य प्रदेश के मूल निवासी, शरद यादव ने मंडल आयोग की रिपोर्ट के लेकर बी पी मंडल के सम्मान के रूप में उनकी जन्मस्थली मधेपुरा को अपने संसदीय सफर के लिए चुना था. अन्य पिछड़ी जातियों को सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण देने वाली मंडल आयोग की रिपोर्ट को वी पी सिंह सरकार ने केंद्र में लागू किया था, जिसमें शरद वरिष्ठ सदस्य थे.
मंडल आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी
शरद ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के साथ और बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मिलकर 1990 में नौकरियों में कोटा की इस सिफारिश को लागू करने का रास्ता साफ करने वाले मंडल आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी. 73 साल के शरद पिछले कई दिनों से दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती हैं और इसलिए उनकी बेटी ने उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढाने के लिए बिहार विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरी हैं. निर्वाचन क्षेत्र में उनके चुनावी पोस्टर पर उन्हें ‘सुभाषिनी शरद यादव’ के रूप में पेश किया गया है.
सुभाषिनी ने लोगों से कहा है कि यह मेरे पिता शरद यादव की कर्मभूमि है और पिछले 25-30 वर्षों में आपने उन्हें जिस तरह का समर्थन और स्नेह दिया है, वैसा ही आज भी महसूस कर सकती हूं. मैं आपकी उम्मीदवार हूं, आपकी बेटी हूं. मैं अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए आपकी सेवा करने के लिए यहां आई हूं. चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने भी कहा था कि आपको अपनी बहन के लिए वोट करना है. मैं आपसे गारंटी चाहता हूं कि आप शरद जी की बेटी को चुनाव जिताएंगे.
मैं अपने लिए नहीं, आपके और शरद यादव जी के लिए कह रहा हूं, जो आपके नेता हैं. हरियाणा के एक कांग्रेस परिवार में विवाहित सुभाषिनी राज राव बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस पार्टी में शामिल हुई थीं और बिहारीगंज विधानसभा सीट से पार्टी ने उन्हें चुनावी मैदान में उतारा. अपनी पहली चुनावी यात्रा में सुभाषिनी का बिहारीगंज में मुकाबला यहां दो बार से जदयू के विधायक निरंजन मेहता, लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार विजय कुमार सिंह और शरद के पुराने प्रतिद्वंदी मधेपुरा के पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की पार्टी जनअधिकार पार्टी के प्रभाष कुमार के साथ है.
राजद उम्मीदवार शरद यादव को हराकर मधेपुरा सीट से जीत हासिल की थी
यहां बता दें कि जदयू के दिनेश चंद्र यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद उम्मीदवार शरद यादव को हराकर मधेपुरा सीट से जीत हासिल की थी. इस निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचकों में हालांकि यादव समुदाय भारी संख्या में हैं, लेकिन कुशवाहा और अति पिछड़ी जातियों जैसी अन्य पिछड़ी जातियों की भी महत्वपूर्ण मौजूदगी है.
बिहारीगंज के निवर्तमान विधायक निरंजन मेहता कुशवाहा जाति से आते हैं पर लोजपा उम्मीदवार विजय कुमार सिंह के भी इस वर्ग का होने के कारण इस समुदाय के वोटों के बंटवारे की संभावना है. सुभाषिनी के लिए भी जीत की राह बहुत आसान नहीं है क्योंकि जनअधिकार पार्टी के उम्मीदवार प्रभाष कुमार यादव जाति से आते हैं, जो पूर्व में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद में राज्य महासचिव के पद पर आसीन रह चुके हैं और बिहार के विपक्षी महागठबंधन में सीट बंटवारे के तहत यह सीट कांग्रेस के खाते में चले जाने पर सुभाष राजद छोड़ पप्पू यादव के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो गए थे.
राजद का पूर्ण समर्थन मिलने को लेकर आशंका जताई जा रही है
सुभाषिनी को विपक्षी महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे राजद का पूर्ण समर्थन मिलने को लेकर आशंका जताई जा रही है क्योंकि राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि राजद के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता एक बाहरी व्यक्ति को पैराशूट उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारे जाने पर खुश नहीं हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2015 के दौरान पुराने महागठबंधन, जिसमें कांग्रेस और राजद के अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू भी शामिल थी, आपसी सीट बंटवारे में यह सीट जदयू के खाते में चले जाने के कारण कांग्रेस ने पिछले चुनाव में यहां से अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था.
लेकिन 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में, पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर यहां तीसरे स्थान पर रही थीं. 2010 में लोजपा प्रत्याशी की पत्नी रेणु कुशवाहा ने बिहारगंज सीट पर जदयू के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी. इस चुनाव में राजद के उम्मीदवार के तौर पर प्रभाष कुमार दूसरे स्थान पर रहे थे.
सुभाषिनी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी जदयू उम्मीदवार नीतीश कुमार के विकास मंत्र पर भरोसा कर रहे हैं और राजद के 15 साल के शासन में राज्य में खराब शासन और कानून व्यवस्था को भी उजागर करते रहे. नीतीश ने हाल ही में अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए प्रचार करते हुए अपनी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और सुभाषिनी के खिलाफ कुछ भी बोलने से परहेज किया.