Bihar Elections 2020: दूसरा चरण, महिला मतदाता का जलवा, क्या फिर से सत्ता में आएंगे सीएम नीतीश कुमार!
By एस पी सिन्हा | Published: November 4, 2020 04:56 PM2020-11-04T16:56:04+5:302020-11-04T16:59:14+5:30
बिहार चुनावः अनुमान लगाया जाने लगा है कि यह शायद नीतीश कुमार के सत्ता में वापसी के लिए ’संजीवनी बूटी’ की तरह काम आ सकती हैं. ऐसे में सवाल यह उठने लगा है कि बिहार में क्या महिलायें नीतीश कुमार को सत्ता में वापस लाएंगी?
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में जारी एनडीए बनाम महागठबंधन की लडाई अब दूसरे चरण के मतदान के बाद एक निर्णायक मोड़ पर जा पहुंचा है. ऐसे में अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या नीतीश कुमार की वापसी होगी या फिर तेजस्वी यादव सत्ता की कमान संभालेंगे?
हालांकि महिला मतदाताओं के जोश को देखते हुए यह अनुमान लगाया जाने लगा है कि यह शायद नीतीश कुमार के सत्ता में वापसी के लिए ’संजीवनी बूटी’ की तरह काम आ सकती हैं. ऐसे में सवाल यह उठने लगा है कि बिहार में क्या महिलायें नीतीश कुमार को सत्ता में वापस लाएंगी?
ऐसे में सभी की नजरें इस बात पर टिकी होंगी कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा खेला गया महिला कार्ड उनको एक बार फिर से मुख्यमंत्री का पद दिला पाएगा? बिहार विधानसभा के पिछले चार चुनावों की बात करें तो महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है.
पिछले दो दशक में हुए चार विधानसभा चुनाव में महिलाओं का मतदान करीब 17 फीसदी बढ़ा है. पिछले दो चुनावों से तो मतदान प्रतिशत में महिलाएं लगातार पुरुषों को पछाड़ रही हैं. अपने पिछले पांच साल के कार्यकाल में नीतीश कुमार ने महिलाओं के उत्थान और उनके सशक्तिकरण की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए, उनमें पूर्ण नशाबंदी भी एक था.
अप्रैल 2016 में नशाबंदी की घोषणा के बाद राज्य के आय-श्रोत में भारी कमी आई. लेकिन बिहार मेम हुई शराबबंदी से सरकारी राजस्व में भले ही भारी गिरावट आई, लेकिन इस निर्णय से महिलायें बेहद खुश नजर आईं. जनकारों के अनुसार शुरुआती दौर में महिला मतदाता मतदान से दूर रहती थीं और उनका मतदान प्रतिशत काफी कम होता था, पिछले दो विधानसभा चुनावों में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं ने अधिक संख्या में मतदान किया.
पुरुष मतदाताओं का प्रतिशत था 51.12 और महिला मतदाताओं का 54.49
2010 में पुरुष मतदाताओं का प्रतिशत था 51.12 और महिला मतदाताओं का 54.49. फासला 2015 में बढ़कर सात प्रतिशत का हो गया. जब 53.32 प्रतिशत पुरुष और 60.48 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान के अधिकार का उपयोग किया. जदयू और भाजपा गठबंधन को सबसे बड़ी जीत साल 2010 में मिली थी.
तब गठबंधन को 39.1 फीसदी मत मिले थे. 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के राजद से हाथ मिलाया और प्रभावी जीत दर्ज की. उस चुनाव में 41.8 फीसदी मतों के साथ वो सत्ता में आए. इस चुनाव में भी गठबंधन को, जिसका चेहरा नीतीश कुमार ही थे, 42 फीसदी महिलाओं का ही वोट मिला.
माना जाता है कि बतौर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं. इन योजनाओं से बडी संख्या में महिलाओं को लाभ मिला है, इससे महिला मतदाताओं का वोट नीतीश कुमार के पक्ष में शिफ्ट हुआ है. उनका मत प्रतिशत बढ़ा है और पुरुषों से भी ज्यादा हुआ है.
महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में सात प्रतिशत ज्यादा मतदान किया था
2015 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में सात प्रतिशत ज्यादा मतदान किया था. इसकी शुरुआत 2010 के चुनाव में हुई थी जब महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में तीन प्रतिशत ज्यादा मतदान किया. 2005 और 2010 के विधानसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार 102-103 सीटों पर थे, जबकि 2020 में भाजपा 121 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
दूसरी ओर, 2005 और 2010 में जदयू 138-141 सीटों पर लड़ी थी, 2020 में 122 सीटों पर उसके उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं. कई लोगों का मानना है कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता कम हुई है और उनका अपना वोट बैंक भी कमजोर हुआ है, हालांकि यह सही नहीं है. जानकारों की अगर मानें तो नशाबंदी महिलाओं को खुश करने की दिशा में नीतीश सरकार द्वारा लिए गए कई कदमों में से एक था. पंचायत चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया और सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत.
आरक्षण से महिला सशक्तिकरण जमीनी स्तर पर हुआ है. पर क्या इसका चुनावी लाभ नीतीश कुमार को होगा? इस तरह से महिलाओं का अभीतक का रूझान नीतीश कुमार की तरह रहा है. ऐसे में अगर इसबार भी वह कायम रहा तो नीतीश कुमार को सत्ता में वापस में लौटने से कोई नही रोक सकता है.
अगर महिला मतदाताओं के रुझान में बदलाव आया तो नीतीश कुमार को जबर्दस्त नुकसान हो सकता है. लेकिन अब यह चुनाव परिणाम के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा. अब सबकी निगाहें मतगणना पर जा टिकी हैं. हालांकि नीतीश कुमार की ताजा परेशानी यह है कि भाजपा के साथ गठबंधन में जो सीटे जदयू के हिस्से में आई हैं, वहां से भाजपा के नेता बागी होकर लोजपा के टिकट से ताल ठोंक रहे हैं.