Bihar Elections 2020: तेजस्वी यादव ने भाभी और साली को दिया धोखा, नहीं दिया टिकट, खुद राघोपुर से मैदान में
By एस पी सिन्हा | Published: October 14, 2020 07:54 PM2020-10-14T19:54:37+5:302020-10-14T19:54:37+5:30
बिहार विधानसभा चुनावः तेजस्वी यादव ने तेजप्रताप यादव की साली को धोखा दिया है. ऐश्वर्या राय की बहन करिश्मा राय चुनाव से पहले राजद में शामिल हुई थी. वह दानापुर से राजद को टिकट पर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन राजद ने दानापुर से बाहुबली रीतलाल यादव को मैदान में उतार दिया.
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में लगातार मौसम बदलता नजर आ रहा है, इस बार लालू प्रसाद यादव के बडे़ बेटे तेजप्रताप यादव की पत्नी और साली दोनों नहीं दिखेंगी.
तेजस्वी यादव ने तेजप्रताप यादव की साली को धोखा दिया है. ऐश्वर्या राय की बहन करिश्मा राय चुनाव से पहले राजद में शामिल हुई थी. वह दानापुर से राजद को टिकट पर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन राजद ने दानापुर से बाहुबली रीतलाल यादव को मैदान में उतार दिया. दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट की रेस में इस बार जिन दो चेहरों का नाम बड़ी तेजी से सामने आ रहा था, उनमें से एक तेजप्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या राय और दूसरी उनकी साली करिश्मा थीं.
लेकिन दोनों ही फिलहाल टिकट की रेस से बाहर हो गई हैं. पहले से ऐसा कहा जा रहा था कि तेजप्रताप यादव के विरोध में उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय को जदयू मैदान में उतार सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. करिश्मा राय दानापुर से विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर पूरी तैयारी कर ली थी. लेकिन नामांकन से ऐन वक्त पहले दानापुर से बाहुबली रीतलाल यादव को राजद ने सिंबल दे दिया और रीतलाल दानापुर से नामांकन कर चुनावी मैदान में उतर गए. राजद के फैसले से करिश्मा राय को बड़ा झटका लगा है.
क्या राजद करिश्मा को आगे किसी सीट में एडजस्ट करती है की नहीं?
अब देखना है कि क्या राजद करिश्मा को आगे किसी सीट में एडजस्ट करती है की नहीं? करिश्मा का फैसले का भी इंतजार है कि वह अगला कदम क्या उठाती हैं? इसबीच तेजस्वी यादव ने मंगलवार को समस्तीपुर जिले के हसनपुर विधानसभा सीट से पर्चा भरा तभी से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय के डर से वैशाली की महुआ सीट से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.
ऐश्वर्या राय के साथ तेज प्रताप अलग हो चुके हैं और अदालत में तलाक का मामला चल रहा है. ऐश्वर्या के पिता चंद्रिका राय, जो 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद के टिकट पर परसा सीट से विधायक चुने गए थे, इस बार जदयू से मैदान में हैं. करिश्मा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय के परिवार से हैं, जिनके राजद में आने के साथ ही इस बात के कयास लगाने तेज हो गए थे कि वो इस बार चुनावी मैदान में होंगी. लेकिन करिश्मा राय को टिकट नहीं मिला है.
उनके दानापुर और परसा दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन लालू प्रसाद यादव की पार्टी ने इन दोनों जगह से अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर कयास पर फिलहाल विराम लगा दिया है. दानापुर सीट से जहां राजद ने इलाके के बाहुबली और डॉन कहे जाने वाले रीतलाल राय को अपना सिंबल दिया है तो वहीं परसा सीट राजद नेता छोटे लाल राय के खाते में गई है.
करिश्मा के लिए दोनों रास्ते फिलहाल बंद हो गए
ऐसे में करिश्मा के लिए दोनों रास्ते फिलहाल बंद हो गए हैं. करिश्मा राय ऐश्वर्या राय की चचेरी बहन हैं, जिन्होंने चुनाव लडने के उद्देश्य से ही पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी. हालांकि उन्होंने कहा था कि पार्टी मुझे जो भी काम देगी. उसे मैं बखूबी निभाऊंगी. 2 जुलाई को करिश्मा राय ने पार्टी में शामिल होने के बाद लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजप्रताप यादव तेजस्वी यादव और मीसा भारती की जमकर तारीफ की थी और कहा था कि आज मैं भले ही पार्टी में शामिल हो रही हूं. लेकिन लालू परिवार से उनका दादा दारोगा राय प्रसाद के समय से पारिवारिक संबंध है.
दोनों परिवार एक दूसरे के सुख दुख में शामिल होते रहे हैं. करिश्मा राय ने कहा था कि तेजस्वी यादव युवा हैं उन्होनें एक नयी सोच की शुरूआत की है. वे सकारात्मक दिशा में काम कर रहे हैं. करिश्मा राय ने बताया था कि वे डेंटिस्ट हैं पैसा कमाना ही जीवन का उदेश्य नहीं है, वे अब समाज सेवा का काम करना चाहती हैं. वे गरीबों की मदद करना चाहती हैं. उन्होंने कहा था कि राजनीति में उतरने के लिए मेरे प्रेरणाश्रोत मेरे दादाजी दारोगा प्रसाद राय हैं, जो बिहार की जनता के लिए समर्पित होकर काम कर चुके हैं.
पत्नी को उनके खिलाफ चुनाव लड़ना होगा तो वह उनके खिलाफ हसनपुर सीट से भी खड़ी हो सकती हैं
उधर, लोग मान रहे थे कि अगर तेज प्रताप यादव की पत्नी को उनके खिलाफ चुनाव लड़ना होगा तो वह उनके खिलाफ हसनपुर सीट से भी खड़ी हो सकती हैं. ऐसे में नामांकन दाखिल करने से पहले जब तेज प्रताप से पूछा गया कि उन्होंने सीट क्यों बदली है? तो उनका जवाब था कि हसनपुर का विकास नहीं हुआ है. इसलिए मैं यहां से चुनाव लड़ने आया हूं.
अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या महुआ में विकास की गंगा बह चुकी है या तेज प्रताप ने हार के डर से सीट बदली है? स्थानीय समीकरण भी इसी ओर इशारा करते हैं कि महुआ का रण तेज प्रताप के लिए इस बार 2015 के विधानसभा चुनाव की तरह आसान नहीं रहने वाला था और 2010 का परिणाम रिपीट हो सकता था. वैसे, 2010 में हुए विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो साल 2000, 2005 के फरवरी-अक्टूबर और 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद के उम्मीदवार ने ही इस सीट से जीत दर्ज की है.
लोगों की नाराजगी भी तेज प्रताप के सीट बदलने की वजह मानी
बदले हुए स्थानीय समीकरण के अलावा क्षेत्र के लोगों की नाराजगी भी तेज प्रताप के सीट बदलने की वजह मानी जा रही है. तेज प्रताप चुनाव जीतने के बाद महुआ नहीं गए हैं और लोगों में इस बात को लेकर नाराजगी है. पिछले दिनों महुआ के कुछ युवा अपनी मांगों के लेकर तेज प्रताप के आवास पर भी पहुंचे थे, लेकिन उन्हें गेट के अंदर नहीं घुसने दिया गया था. इससे स्थानीय मतदाताओं में नाराजगी थी.
यहां बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और राजद साथ थीं. ऐसे में यादवों और मुस्लिमों की अच्छी खासी संख्या वाली महुआ सीट से तेज प्रताप आसानी से चुनाव जीत गए थे. लेकिन, इस बार नीतीश और भाजपा साथ हैं. माना जा रहा है कि कोईरी-कुर्मी सहित अगड़ी और अति पिछड़ी जातियों के वोटर मिलकर तेज प्रताप के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते थे.
इसके अलावा जदयू ने राजद के पूर्व मंत्री मोहम्मद इलियास हुसैन की बेटी आशमा परवीन को महुआ से अपना प्रत्याशी बनाकर घेरेबंदी कर दी थी. एनडीए की ओर से मुस्लिम प्रत्याशी होने की वजह से अल्पसंख्यक वोट भी राजद के खाते में एकमुश्त जाते नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में तेज प्रताप यादव का यहां से चुनावी मैदान में उतरना जोखिम भरा होता.
ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि तेज प्रताप ने महुआ से 60 किलोमीटर दूर हसनपुर सीट को क्यों चुना? हसनपुर भी यादव बहुल सीट माना जाती है और कुशवाहा वोटरों की भी संख्या ठीकठाक है. ऐसे में तेज प्रताप यादव अपने लिए इसे सुरक्षित सीट मानकर यहां से मैदान में उतर रहे हैं. यहां उनका मुकाबला उन्हीं के यादव समाज के जदयू उम्मीदवार राजकुमार राय से है.