बिहार में महागठबंधन का फॉर्मूला तय, कांग्रेस में शामिल होकर शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से उतरेंगे मैदान में
By हरीश गुप्ता | Published: March 21, 2019 08:04 AM2019-03-21T08:04:51+5:302019-03-21T08:25:53+5:30
शरद यादव के संगठन का राजद में विलय होगा। 22 मार्च को इस गठबंधन की आधिकारिक घोषणा होगी।
कांग्रेस ने बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन किया है। वह राज्या की 40 लोकसभा सीट में से 9 पर चुनाव लड़ेगी। राजद 19 सीटों पर चुनाव लड़ेगा जबकि बाकी 12 सीटें रालोसपा, हम, माकपा आदि के साथ साझा करेगा। शरद यादव हाल में बनाए गए राजनीतिक संगठन को राजद में विलय करेंगे और अपने पारंपरिक मधेपुरा सीट से चुनाव लड़ेंगे। मधेपुरा लोकसभा सीट पर कड़े मुकाबले में यहां के मौजूद सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को निराशा मिली है। लालू यादव ने राजद को छोड़कर जन अधिकार पार्ची लोकतांत्रिक बनाने वाले पप्पू यादव को मधेपुर सीट देने से इनकार कर दिया था।
महागठबंधन की घोषणा 22 मार्च को
मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी को दो सीटें मिल सकी हैं। इस गठबंधन की घोषणा 22 मार्च को होगी और पूर्णिया में एक बड़ी रैली का आयोजन होगा जिसे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य नेता संबोधित करेंगे।
राजद वाम दलों को भी महागठबंधन में समायोजित करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, माकपा दो सीटों की मांग कर रही है, लेकिन उसे एक सीट की पेशकश की गई, जिसे उसने अस्वीकार कर दिया। पार्टी के अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि भाकपा माले दो सीटों पर चुनाव लड़ेगी। एक दिलचस्प घटनाक्रम में तय हुआ कि भाजपा के बागी शत्रुघ्न सिन्हा होली के बाद औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल होंगे। उन्हें पटना साहिब सीट से चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। हालांकि, लालू इस सीट को छोड़ने के के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन महागठबंधन के लिए वह मान गए। पटना साहिब लोकसभा सीट से सांसद सिन्हा वहीं से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
समझौते के तहत लोकसभा की अपेक्षित सीटें नहीं मिलने की स्थिति में कांग्रेस को राज्यसभा की सीट मुआवजे के रूप में दी जाएगी। समझा जाता है कि कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने इस डील में अहम भूमिका निभाई।
शरद यादव के संगठन का राजद में विलय
शरद यादव ने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से नाता तोड़ने के बाद लोकतांत्रिक जनता दल (लोजद) बनाया था। वह चाहते हैं कि उनके दल को मधेपुरा के साथ एक अन्य सीट दी जाए। शरद अब दबाव में हैं क्योंकि लालू ने उन्हें बताया कि वह मूल रूप से राजद का हिस्सा थे और उस पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ने का कोई मतलब नहीं जिसे लोकसभा क्षेत्र में कोई नहीं जानता है।