बिहार: मुख्ममंत्री बनने की चाहत वालों की लंबी कतार, तेजस्वी, जीतन राम के बाद अब संतोष मांझी ने जताई इच्छा

By एस पी सिन्हा | Published: August 30, 2019 03:33 PM2019-08-30T15:33:03+5:302019-08-30T15:33:03+5:30

बिहार की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल अगले वर्ष 29 नवंबर में समाप्त होगा। चुनाव में अभी काफी समय है लेकिन महागंठबंधन में शामिल दलों के नेताओं के बीच मुख्यमंत्री बनने को लेकर भावनाएं उमड़ने लगी हैं। राजद नेता तेजस्वी के बाद पूर्व सीएम जीतनराम मांझी और अब उनके बेटे ने सीएम बनने की इच्छा जाहिर की है।

Bihar: After Tejashwi, Jitan Ram now Santosh Manjhi in que of aspirations to be Chief Minister | बिहार: मुख्ममंत्री बनने की चाहत वालों की लंबी कतार, तेजस्वी, जीतन राम के बाद अब संतोष मांझी ने जताई इच्छा

राजद नेता तेजस्वी यादव, हम नेता संतोष मांझी और पूर्व सीएम जीतनराम मांझी। (फाइल फोटो)

Highlightsबिहार में महागठबंधन में शामिल दलों के नेताओं के बीच सीएम पद को लेकर मन में लड्डू फूट रहे हैं।पहले तेजस्वी, फिर जीतनराम मांझी और अब उनके बेटे ने संतोष मांझी ने सीएम बनने की इच्छा जाहिर की है।

बिहार में विधानसभा चुनाव में अभी एक साल से ज्यादा का वक्त है, लेकिन मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की कतार लंबी होती चली जा रही है. हालात ये हैं कि एक अनार सौ बिमार जैसी स्थिती हो गई है. बिहार में नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव तो पहले से ही कतार में खड़े हैं, कि अब महागठबंधन में जारी खींचतान के बीच पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने खुद के मुख्यमंत्री बनने को लेकर एक बयान दे दिया. मामला यही नही रुका और अब इसमें मांझी के पुत्र संतोष मांझी भी कूद गए हैं. यही नहीं उन्होंने अपनी तुलना लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव और राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान से की है.

उन्होंने कहा कि तेजस्वी या चिराग जैसी राजनीति उन्हें विरासत में नहीं मिली. अगर काबिलियत की बात की जाए तो मुझमें भी काबिलियत कम नहीं है. अगर वह पढ़े लिखे हैं तो मैं भी पढ़ा लिखा हूं और हर क्षेत्र में काम करने का माद्दा रखता हूं.

संतोष मांझी ने कहा कि वह आज जो भी है जनता और गरीब दुखियों की लड़ाई लड़कर यहां तक पहुंचे हैं. मेरी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है कि मुख्यमंत्री बनें, लेकिन गरीबों दुखियों की वह सेवा करते आए हैं और एक बड़ा जमात जब मेरे साथ है. उनके हक की लड़ाई के लिए लड़ते हैं तो मुझे भी आकांक्षा है कि मैं भी मुख्यमंत्री बनूं.

यहां उल्लेखनीय है कि जीतन राम मांझी ने कहा है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव में अभी अनुभव की कमी है. जबकि मेरा मुख्यमंत्रित्व का कार्यकाल बेहतर रहा है. चुनाव के बाद यदि महाठबंधन को बहुमत मिलता है और और अगर उन्हें नेता चुना जाता है तो वे तैयार हैं.

उन्होंने कहा कि हमने 9 महीने काम किया आज भी मेरे कार्यकाल में लिए गए निर्णय सरकार की मेजों पर हैं. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जब हमको मौका दिया गया तब हम किसी से कम काम किये क्या? मांझी ने कहा कि यह अवसर की बात है जिसको मौका मिलेगा वो अपने आपको साबित करेगा. वहीं मांझी की इस इच्छा पर भाजपा ने महागठबंधन में जल्दी ही टूट की भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं है.

वहीं, जीतन राम मांझी के इस बयान के बाद से ही महागठबंधन में जबर्दस्त बेचैनी देखी जा रही है. इसी क्रम में आज राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि मांझी जी अधीर हो रहे हैं और खुद उपहास के पात्र भी बन रहे हैं. उन्होंने उन्हें उपहास का पात्र नहीं बनने की सलाह देते हुए कहा कि उनकी उम्र मुख्यमंत्री बनने की नहीं बल्कि सलाहकार बनने की है.

शिवानंद तिवारी ने अपने जारी बयान में कहा कि महागठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा या बहुमत मिलने पर कौन मुख्यमंत्री बनेगा? यह मीडिया में तय नहीं होता है. इसको महागठबंधन के सभी घटक दल आपस में बैठकर तय करेंगे. उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मीडिया में बयान देकर नहीं बना जाता, अब उम्र सलाहकार की भूमिका में रहने की है. अब सत्ता की दौड़ में शामिल होने की उम्र नहीं है.

उन्होंने कहा कि जो खुद अपना बखान करे वो आदमी हल्का होता है. जितना मौका मिलना था मांझी को मिल गया. अगर कहीं जाना चाहते हैं तो स्वतंत्र हैं. किसी को खूंटा से बांधकर नहीं रखा जा सकता. वरिष्ठ नेता होने के नाते उन्हें समझदारी दिखानी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि अभी दो-तीन दिन पहले महागठबंधन की बैठक हुई थी. उस बैठक में जीतन बाबू भी मौजूद थे. अगर उनके मन में कोई बात थी तो उसको उस बैठक में रखकर सुलझा लिया जाना चाहिए था. वहां इस विषय पर आप मौन रहे. अब मीडिया के जरिए सवाल उठाकर जीतन बाबू विरोधियों को मौका दे रहे हैं कि वे हमारा उपहास उड़ाएं.

राजद नेता ने कहा कि इससे सिर्फ महागठबंधन का ही उपहास नहीं उड़ रहा है बल्कि जीतन बाबू भी उपहास का पात्र बन रहे हैं. जीतन बाबू महागठबंधन के सम्मानित नेता हैं. उनसे नम्रता पूर्वक मैं अनुरोध करता हूं कि इस प्रकरण में उन्हें जो कुछ भी कहना हो, महागठबंधन के भीतर कहें. इस विषय को सार्वजनिक विवाद का विषय न बनाएं.

वहीं, मांझी के बयान पर एनडीए को महागठबंधन पर हमला करने का मौका मिल गया है. भाजपा नेता और बिहार सरकार में मंत्री राणा रणधीर ने जीतन राम मांझी के मुख्यमंत्री बनने की इच्छा पर कहा कि महागठबंधन स्वार्थी लोगों का गठबंधन है. इन्हें जनता के मुद्दे से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा कि हर आदमी मुख्यमंत्री बनने में लगा है. इसलिए पहले उन्हें जनता की सेवा करने की जरूरत है. लेकिन, सेवा कर रहे हैं नीतीश कुमार और सुशील मोदी. उन्होंने दावा किया कि बिहार में एक बार फिर दो तिहाई बहुमत से एनडीए की सरकार बनेगी. 

यहां उल्लेखनीय है कि बुधवार को पूर्व सांसद और जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव ने कहा था अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो वह किसी अति पिछड़ा या महादलित को मुख्यमंत्री बनाएगी. इसी दौरान पप्पू यादव ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को भी बड़ा ऑफर दे दिया. उन्होंने कहा कि अगर जीतन राम मांझी साथ आ जाएं तो उन्हें वह मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाएंगे. पप्पू यादव ने बीते 15 अगस्त को जीतन राम मांझी से उनके सरकारी आवास पर जाकर मुलाकात की थी. दोनों नेता करीब दो घंटे तक एक साथ बैठे और आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बातचीत की थी.

यहां यह भी बता दें कि मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी पर घमासान के बीच लालू प्रसाद यादव के साले और पूर्व राज्यसभा सांसद सुभाष यादव ने कुशवाहा या दलित समाज के किसी व्यक्ति को राजद की ओर से मुख्यमंत्री बनाने की वकालत की. उन्होंने कहा कि राजद को कुशवाहा समाज या दलित समाज पर विश्वास करना चाहिए.

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