चमकी बुखार से हुई मौतों पर एम्स की टीम ने की रिपोर्ट तैयार, बिहार सरकार की उदासीनता और प्रशासन को बताया जिम्मेदार
By आदित्य द्विवेदी | Published: June 28, 2019 07:08 PM2019-06-28T19:08:57+5:302019-06-28T19:08:57+5:30
एम्स की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने बताया कि चमकी बुखार से मरने वाले अधिकांश बच्चे पिछड़े आर्थिक बैकग्राउंड के हैं।
बिहार में चमकी बुखार के कहर से होने वाली मौतों के लिए प्रशासन और बिहार सरकार की लापरवाही जिम्मेदार है। ये बात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक फैक्ट फाइडिंग टीम की एक रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘प्रशासनिक असफलता’ और सरकार की ‘उदासीनता’ के चलते राज्य में इस बीमारी का इतना प्रकोप देखने को मिला। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस साल चमकी बुखार से बिहार में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित मुजफ्फरपुर रहा।
एम्स की टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मृतकों में 1.5 साल से 12 साल की उम्र के बच्चे शामिल हैं। इनमें अधिकांश पिछड़े सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हैं।
एम्स की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि चमकी बुखार मई-जून महीने की गर्मी में सबसे ज्यादा होता है। रिपोर्ट के मुताबिक 'चमकी बुखार से प्रभावित बच्चों में इसके लक्षण रात से भोर तक दिखने लगते हैं। इसके बाद परिजन जबतक इंतजाम करके अस्पताल पहुंचते हैं देर हो जाती है।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 10 सालों से ऐसी मौतों का सिलसिला जारी रही लेकिन स्वास्थ्य जागरुकता के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।