लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन बोंली, आंबेडकर ने केवल आरक्षण 10 सालों के लिए बताया था आवश्यक
By रामदीप मिश्रा | Published: October 1, 2018 08:30 AM2018-10-01T08:30:55+5:302018-10-01T08:30:55+5:30
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि बतौर भारतीय, व्यक्ति को देश के बारे में सोचना चाहिए और इस पर विचार करना चाहिए कि कैसे उसकी संस्कृति और सभ्यता को आगे ले जाया जा सकता है।
रांची, 01 अक्टूबरः झारखंड की राजधानी रांची में हुए चार दिवसीय 'लोकमंथन' कार्यक्रम के समापन के मौके पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने आरक्षण का मुद्दा उठाया और कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने 10 साल तक आरक्षण देने की जरूरत बताई थी।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, रविवार को 'लोकमंथन' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महाजन ने कहा कि आंबेडकर ने स्वयं कहा था कि आरक्षण केवल 10 वर्षों के लिए आवश्यक है और उन्होंने 10 वर्षों के भीतर समान विकास की कल्पना की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यहां तक कि संसद में मौजूद लोगों ने 10 साल आरक्षण बढ़ाना जारी रखा।
Ambedkarji's himself said that reservation is required for only 10 years. He visualised equal development within 10 years. But it didn't happen. Even those present in Parliament kept on extending reservation for 10 years: Lok Sabha Speaker Sumitra Mahajan in Ranchi (30.9) pic.twitter.com/dap0YoqBO9
— ANI (@ANI) October 1, 2018
उन्होंने आरक्षण मिलने वाले को लेकर कहा, 'मुझे आराक्षण मिला, मैं कुछ जीवन में बन गया तो मैंने जीवन के कितने क्षण ऐसे बिताए सोचने में कि मैंने मेरे समाज को बांटा कितना है? ये सोचना बहुत जरूरी है। क्या उसका फायदा है? क्या आरक्षण की यही कल्पना है?
Mujhe aarakshan mila, main kuch jivan mein ban gaya to maine jivan ke kitne chan aise bitaye soochne mein ki maine mere samaaj ko baanta kitna hai? Yeh sochna bahut zaroori hai. Kya uska fayeda hai? Kya aarakshan ka yahi kalpana hai?: LS Speaker Sumitra Mahajan in Ranchi (30.9) pic.twitter.com/9ZChIqMfHN
— ANI (@ANI) October 1, 2018
इसके अलावा लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि बतौर भारतीय, व्यक्ति को देश के बारे में सोचना चाहिए और इस पर विचार करना चाहिए कि कैसे उसकी संस्कृति और सभ्यता को आगे ले जाया जा सकता है। दुनिया भारतीय संस्कृति को सम्मान की नजर से देखती है, लेकिन क्या हम इस ओर देख रहे हैं कि यह आत्मनिरीक्षण का मामला है।
उन्होंने प्रदर्शनकारियों द्वारा सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाए जाने पर अफसोस प्रकट किया और कहा कि वे ऐसा कर करदाताओं के पैसे की बर्बादी करते हैं, इस विषय पर राष्ट्रभावना होनी चाहिए। महाजन ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा लोकमंथन के उद्घाटन के मौके पर दिये गये भाषण का हवाला दिया जिन्होंने कहा था कि राष्ट्र सबसे पहले आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लोगों को जन गण और मन (लोग, समाज और मस्तिष्क) के बारे में सोचना चाहिए। लोगों को देश के इतिहास और साहित्य के बारे में जानना चाहिए। महिलाओं के विषय में उन्होंने कहा कि महिलाओं के सम्मान का बड़ा महत्व है। महिलाएं समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनके बगैर समाज आगे नहीं बढ़ेगा।