भीमा कोरेगांव: नजरबंद पांचों सामाजिक कार्यकर्ताओं पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: September 12, 2018 05:57 AM2018-09-12T05:57:25+5:302018-09-12T05:57:25+5:30

गुरुवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी। हालांकि उनके घर में नज़रबंदी को लेकर बहस अभी जारी रही और अगली सुनवाई आज होगी।

Bhima Koregaon: Supreme court to hear five social workers detained today | भीमा कोरेगांव: नजरबंद पांचों सामाजिक कार्यकर्ताओं पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

भीमा कोरेगांव: नजरबंद पांचों सामाजिक कार्यकर्ताओं पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं पर  महाराष्ट्र पुलिस अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रख चुका है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पांचों सामाजिक कार्यकर्ताओं को उनके घर में नजरबंद रखा गया है। आज इस मामले की सुनवाई होनी है।

गुरुवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी। हालांकि उनके घर में नज़रबंदी को लेकर बहस अभी जारी रही और अगली सुनवाई आज होगी। महाराष्ट्र पुलिस ने एक हलफ़नामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया. जिसमें कहा गया है कि 'इन कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ ऐसे सबूत हैं जो बताते हैं कि इनका संबंध प्रतिबंधित माओवादी संगठन के साथ था।

 सुप्रीम कोर्ट में 06 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्‍या की साजिश और भीमा कोरोगांव हिंसा केस की सुनवाई करने का फैसला फिलहाल के लिए टाल दिया था।। कोर्ट ने कहा कि पुलिस में प्रेस में साक्ष्य दिखाकर सुप्रीम कोर्ट को गलत साबित करने की कोशिश न करे। कोर्ट ने सरकारी वकील से कहा, 'पुलिस को ऐहतियात बरतना चाहिए। हम इस मामले में बेहद गंभीर हैं।' 

क्या था पूरा मामला

एक जनवरी 1818 को ईस्ट इंडिया कंपनी और पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना के बीच पुणे के निकट भीमा नदी के किनारे कोरेगांव नामक गाँव में युद्ध हुआ था। एफएफ स्टॉन्टन के नेतृत्व में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को गंभीर नुकसान पहुँचाया। ब्रिटिश संसद में भी भीमा कोरेगांव युद्ध की प्रशंसा की गयी। ब्रिटिश मीडिया में भी इस युद्ध में अंग्रेज सेना की बहादुरी के कसीदे काढ़े गये। इस जीत की याद में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोरेगांव में 65 फीट ऊंचा एक युद्ध स्मारक बनवाया जो आज भी यथावत है। भीमा कोरेगांव के इतिहास में बड़ा मोड़ तब आया जब बाबासाहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कोरेगांव युद्ध की 109वीं बरसी पर एक जनवरी 1927 को इस स्मारक का दौरा किया। 

शिवराम कांबले के बुलावे पर ही बाबासाहब कोरेगांव पहुंचे थे। बाबासाहब ने भीमा कोरेगांव स्मारक को ब्राह्मण पेशवा के जातिगत उत्पीड़न के खिलाफ महारों की जीत के प्रतीक के तौर पर इस युद्ध की बरसी मनाने की विधवित शुरुआत की। इस साल एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव की 200वीं बरसी पर आयोजित आयोजन का कई दक्षिणपंथी संगठनों ने विरोध किया था। विरोध करने वालों में अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा, हिन्दू अगाड़ी और राष्ट्रीय एकतमाता राष्ट्र अभियान ने शामिल थे। ये संगठन इस आयोजन को राष्ट्रविरोधी और जातिवादी बताते हैं।
 

Web Title: Bhima Koregaon: Supreme court to hear five social workers detained today

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