भीमा कोरेगांव का मामला जनवरी 2019 तक टला, सुप्रीम कोर्ट ने पांचों आरोपियों के खिलाफ फिर से मांगी चार्जशीट
By पल्लवी कुमारी | Published: December 3, 2018 12:44 PM2018-12-03T12:44:16+5:302018-12-03T12:44:16+5:30
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा सुप्रीम कोर्ट जानना चाहता है कि आखिर पांचों आरोपियो के खिलाफ क्या मामला है। इन पॉंचों आरोपियों में सुरेंद्र गाडलिंग के साथ सोमा सेन, सुधीर धवरे, रोना विल्सन और महेश राउत का नाम है।
भीमा कोरेगांव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पांच आरोपियों - सुरेंद्र गाडलिंग समेत चार लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने को कहा है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मराठी में दाखिल चार्जशीट को ट्रांसलेट कर दाखिल किया जाए।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा सुप्रीम कोर्ट जानना चाहता है कि आखिर पांचों आरोपियो के खिलाफ क्या मामला है। इन पॉंचों आरोपियों में सुरेंद्र गाडलिंग के साथ सोमा सेन, सुधीर धवरे, रोना विल्सन और महेश राउत का नाम है। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 तक सुनवाई को टाल दिया है।
Bhima Koregaon case: Maharashtra government today submitted to the Supreme Court that the charges against accused, Surendra Gadling and other persons are very serious and cannot be granted bail due to technicality. The Apex Court adjourned the hearing till January 2019.
— ANI (@ANI) December 3, 2018
क्या है भीमा कोरेगांव पूरा विवाद?
महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एलगार परिषद सम्मेलन के बाद दर्ज की गई एक प्राथमिकी के सिलसिले में 28 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इस सम्मेलन के बाद राज्य के कोरेगांव - भीमा में हिंसा भड़की थी।
पुणे पुलिस ने दावा किया कि माओवादियों ने पीएम नरेंद्र मोदी की आत्मघाती हमलावर से हत्या करवाने की योजना पर भी विचार किया था।
पुलिस ने इस मामले में तेलुगू कवि वरवर राव, मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुण फरेरा और वरनन गोंजाल्विस, मजदूर संघ कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को आोरपी बनाया।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस द्वारा पीएम मोदी की हत्या की साजिश के दावे को पूरी तरह बेबुनियाद बताया।