भीमा कोरेगांव: कांग्रेस, एनसीपी नेताओं की सीएम उद्धव ठाकरे से मांग, वापस लिए जाएं केस
By अभिषेक पाण्डेय | Published: December 4, 2019 08:44 AM2019-12-04T08:44:55+5:302019-12-04T08:44:55+5:30
Bhima Koregaon case: कांग्रेस, एनीसीपी नेताओं ने सीएम उद्धव ठाकरे से भीमा कोरेगांव दंगे में दर्ज केसों को वापस लिए जाने की मांग की है
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार में शामिल दोनों सहयोगी दलों-कांग्रेस और एनसीपी के कुछ वरिष्ठ नेताओँ ने जनवरी 2018 में हुई भीमा कोरेगांव हिंसा मामले से संबंधित केसों को वापस लेने की मांग की है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नितिन राउत ने कहा, हमारा मानना है कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में दलितों पर दर्ज किए गए केस वापस लिए जाने चाहिए। हमने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से निवेदन किया है कि वे इन मामलों का वापस लिया जाना सुनिश्चित करें।
राउत ने कहा, 'निर्दोष लोगों के खिलाफ मामले वापस होने चाहिए..उनमें से ज्यादातर छात्र हैं...मैंने विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।'
कांग्रेस, एनसीपी नेताओँ की मांग, 'वापस लिए जाएं भीमा कोरेगांव मामले'
इस रिपोर्ट के मुताबिक, 'एनसीपी नेता और विधायक धनंजय मुंडे ने कहा, भीमा कोरेगांव दंगा मामले में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों, विचारकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और निर्दोष नागरिकों को नक्सल के रूप में दिखाया गया और उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए। ये मेरा निवेदन है कि उनके खिलाफ केस तुरंत वापस लिए जाने चाहिए।'
मुंडे ने कहा, 'जिन लोगों ने पिछली सरकार के खिलाफ आवाज उठाई उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया। जिन लोगों को बीजेपी सरकार द्वारा पीड़ित किया गया उनके लिए इंसाफ सुनिश्चित करना जरूरी है।'
राउत ने हालांकि, भीमा कोरेगांव और एलगार परिषद मामलों को अलग बताया। उन्होंने कहा, 'भीमा कोरेगांव में, हमारे लोगों ने आंदोलन छेड़ा था। कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज हैं...जिन लोगों ने गलियों में आंदोलन किया था। वे केस वापस होने चाहिए, क्योंकि वे लोग निर्दोष हैं।'
राउत ने कहा, 'एलगार परिषद अलग है। एलगार का भीमा कोरेगांव से कुछ लेनादेना नहीं है...मैं एलगार परिषद मामलों को हटाने के लिए नहीं कह रहा हूं। मैं उनके बारे में ज्यादा नहीं जानता हूं। मैं उन पुलिस मामलों को वापस लेने के लिए कह रहा हूं जो राज्य के विभिन्न हिस्सों में आशांति फैलने के बाद दलित महिला और पुरुषों के खिलाफ दर्ज किए गए थे।'
एनसीपी एमएलसी प्रकाश गजभिये ने भी कहा कि भीमा कोरेगांव मामले वापस लिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, 'पिछली सरकार द्वारा भीमा कोरेगांव दंगों में दलित पुरुषों और महिलाओं के खिलाफ गंभीर मामले दर्ज किए थे। इंदु मिल आंदोलन के दौरान भी ऐसे ही मामले दर्ज किए गए थे। हमने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि ये मामले वापस लिए जाने चाहिए और दलित समुदाय के साथ इंसाफ किया जाना चाहिए।'
1 जनवरी 2018 को कई लोगों, जिनमें ज्यादातर दलित थे, ने 200 साल पहले हुए युद्द की वर्षगांठ मनाने के लिए भीमा कोरेगांव गांव की तरफ मार्च किया था। इसके बाद पुणे और मुंबई में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे।